Garhwa Incident: किशोरी ने गुस्से में खाया कीटनाशक, परिवार में मचा हड़कंप
गढ़वा के पांडेपुरा गांव में घरेलू विवाद के बाद किशोरी द्वारा कीटनाशक खाकर आत्महत्या का प्रयास। जानें घटना का पूरा विवरण और मानसिक स्वास्थ्य की जरूरत।
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गढ़वा : पलामू जिले के ऊंटारी रोड थाना क्षेत्र के पांडेपुरा गांव में एक किशोरी द्वारा आत्मघाती कदम उठाने की घटना ने सभी को झकझोर दिया है। बुधवार देर रात, दुर्गा कुमारी, रामजी राम की 17 वर्षीय पुत्री, ने पारिवारिक विवाद के बाद कीटनाशक खाकर अपनी जान देने का प्रयास किया।
घटना कैसे घटी?
परिवार के अनुसार, दुर्गा और उसके भाई के बीच किसी बात को लेकर नोकझोंक हुई थी। विवाद इतना बढ़ गया कि गुस्से में आकर दुर्गा ने घर पर रखे कीटनाशक का सेवन कर लिया। जैसे ही उसकी तबीयत बिगड़ी, परिजन घबरा गए और उसे तुरंत गढ़वा सदर अस्पताल ले जाया गया।
डॉक्टरों के अनुसार, समय पर इलाज शुरू करने से दुर्गा की स्थिति अब स्थिर है, और उसकी जान को खतरा नहीं है।
गुस्से और तनाव का जानलेवा परिणाम
दुर्गा की यह हरकत उस गहरी समस्या की ओर इशारा करती है जो अक्सर किशोरावस्था में देखी जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस उम्र में भावनात्मक अस्थिरता और गुस्से पर काबू न रख पाने के कारण बच्चे ऐसे खतरनाक कदम उठाते हैं।
परिवार ने स्वीकार किया कि घटना का कारण मामूली घरेलू विवाद था।
गढ़वा और आत्महत्या के आंकड़े
गढ़वा और इसके आस-पास के इलाकों में आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है।
- पिछले पांच वर्षों में, गढ़वा और पलामू जिलों में मानसिक तनाव और पारिवारिक विवादों के कारण आत्महत्या के मामलों में 18% की वृद्धि हुई है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि सामाजिक दबाव, आर्थिक समस्याएं और संवाद की कमी ऐसे घटनाओं के मुख्य कारण हैं।
इतिहास में आत्मघाती प्रवृत्ति का जिक्र
भारत में आत्महत्या के मामले लंबे समय से चिंता का विषय रहे हैं।
- प्राचीन काल में, कठिन परिस्थितियों का सामना करने वाले लोग सती प्रथा या आत्मबलिदान जैसे कदम उठाते थे।
- आधुनिक भारत में, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और पारिवारिक दबावों ने आत्महत्या के आंकड़ों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है।
परिवार का कहना और भविष्य की चिंताएं
दुर्गा के पिता रामजी राम ने कहा, "हमने कभी नहीं सोचा था कि छोटी सी नोकझोंक इतना बड़ा रूप ले लेगी।" परिवार ने घटना के बाद दुर्गा के साथ भावनात्मक रूप से अधिक समय बिताने और उसका समर्थन करने का वादा किया है।
मानसिक स्वास्थ्य और जागरूकता की जरूरत
गढ़वा जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा अभी भी वर्जित मानी जाती है।
- किशोरों में तनाव और गुस्से की पहचान करना और उनकी समस्याओं को समझना अत्यंत आवश्यक है।
- समुदाय आधारित काउंसलिंग सेंटर और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता अभियान इन घटनाओं को रोकने में मददगार हो सकते हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
गढ़वा के वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार कहते हैं, "किशोरों में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ने का एक कारण उनकी समस्याओं को नजरअंदाज करना है। परिवारों को चाहिए कि वे संवाद बनाए रखें और बच्चों के भावनात्मक संकेतों को समझें।"
प्रशासन की जिम्मेदारी
गढ़वा के सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार को ऐसे मामलों को गंभीरता से लेना चाहिए।
- मनोवैज्ञानिक सेवाओं को प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों में जोड़ने की आवश्यकता है।
- स्कूल और कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए।
मामले का वर्तमान स्थिति
सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने दुर्गा की हालत को खतरे से बाहर बताया है। इसके साथ ही, परिवार और स्थानीय प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि दुर्गा को भावनात्मक समर्थन प्रदान किया जाएगा।
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