Chakulia Water Crisis: जर्जर जलमीनार से खतरा, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा, मरम्मत की मांग अनसुनी
चाकुलिया के बड़ामारा पंचायत में जर्जर सोलर जलमीनार से पानी की बर्बादी और हादसे का खतरा। ग्रामीणों ने कई बार की मरम्मत की मांग, पर विभाग चुप।
झारखंड के चाकुलिया प्रखंड के बड़ामारा पंचायत स्थित मुंडा टोला में सोलर जलापूर्ति योजना के तहत निर्मित जलमीनार और चापाकल अब जर्जर हालत में पहुंच चुके हैं। जलमीनार की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि यह कभी भी ध्वस्त हो सकता है।
पानी के झरने से पिलर कमजोर, हादसे की आशंका
ग्रामीणों के अनुसार, जलमीनार की टंकी कई जगह से फट चुकी है, जिससे पानी झरने की तरह बहता रहता है। इस पानी के रिसाव के कारण पिलर कमजोर हो गए हैं और जलमीनार के नीचे लगाई गई पाइपें भी फट चुकी हैं। पाइपों से लगातार पानी बहने के कारण जल की बर्बादी हो रही है।
ग्रामीणों की व्यथा
मुंडा टोला के रवि मुंडा, लालटू मुंडा, शिवनाथ मुंडा, और अन्य ग्रामीणों ने बताया कि यह जलमीनार उनके लिए पेयजल का मुख्य स्रोत है। लेकिन अब यह जर्जर हो चुका है, और पानी की स्थायी समस्या बन गई है। ग्रामीणों का कहना है कि जलमीनार की हालत ऐसी है कि यह किसी भी समय गिर सकता है, जिससे बड़ा हादसा हो सकता है।
प्रशासन की अनदेखी से गुस्सा
ग्रामीणों ने कई बार पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधिकारियों से इसकी मरम्मत की मांग की है। लेकिन अब तक विभाग ने कोई कदम नहीं उठाया। इस कारण ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।
इतिहास: झारखंड में जल संकट और सरकारी योजनाएं
झारखंड में जल संकट कोई नई बात नहीं है। यहां के कई ग्रामीण इलाकों में सोलर जलापूर्ति योजनाएं शुरू की गई थीं, ताकि लोगों को स्वच्छ पानी उपलब्ध हो सके। लेकिन रखरखाव की कमी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण ये योजनाएं अब विफल हो रही हैं।
समस्या की जड़ और संभावित समाधान
- रखरखाव का अभाव: जलमीनार की मरम्मत न होने से इसकी हालत खराब हुई।
- जल की बर्बादी: फटी हुई पाइपों और टंकी से लगातार पानी बह रहा है, जिससे जल संकट बढ़ रहा है।
- संवेदनशीलता की कमी: प्रशासन की उदासीनता से ग्रामीणों का भरोसा टूट रहा है।
समाधान के सुझाव:
- जलमीनार की तत्काल मरम्मत की जाए।
- पाइप लाइनों को बदलकर पानी की बर्बादी रोकी जाए।
- नियमित निरीक्षण और रखरखाव सुनिश्चित किया जाए।
- ग्रामीणों को इस योजना की स्थिति से अवगत कराते हुए उनके सुझाव लिए जाएं।
ग्रामीणों की अपील और चेतावनी
ग्रामीणों ने कहा कि यदि जल्द ही जलमीनार की मरम्मत नहीं की गई, तो वे प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पानी की समस्या के कारण उनका जीवन प्रभावित हो रहा है।
बड़ामारा पंचायत में जर्जर जलमीनार प्रशासनिक लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण है। जल ही जीवन है और इसकी बर्बादी न केवल प्राकृतिक संसाधनों का नुकसान है, बल्कि ग्रामीणों के अधिकारों का भी हनन है।
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