Bokaro Land Scam: भूमाफिया और बोकारो स्टील अफसरों की मिलीभगत से 100 एकड़ वन भूमि की खरीद-बिक्री
बोकारो में भूमाफिया और बोकारो स्टील अफसरों की मिलीभगत से 100 एकड़ वन भूमि की खरीद-बिक्री का बड़ा घोटाला सामने आया है। सीआईडी जांच कर रही है।
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बोकारो में एक बड़े भू-घोटाले का खुलासा हुआ है, जहां भूमाफिया, अंचल कर्मी और बोकारो स्टील प्लांट के अफसरों की मिलीभगत से करीब 100 एकड़ वन भूमि की खरीद-बिक्री की जा रही थी। इस घोटाले को लेकर अब सीआईडी ने जांच शुरू कर दी है। यह मामला कोर्ट के आदेश पर 18 मार्च 2024 को बोकारो के सेक्टर-12 थाने में दर्ज हुआ था और अब इसकी जांच सीआईडी के पास पहुंच चुकी है।
क्या था मामला?
तेतुलिया मौजा के पास स्थित 100 एकड़ वन भूमि का फर्जी दस्तावेज तैयार कर भूमाफिया और कुछ सरकारी अफसरों ने मिलकर उसकी खरीद-बिक्री की। यह भूमि बोकारो इस्पात संयंत्र को लौटानी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भूमाफिया ने इसे अपनी तरफ हस्तांतरित कर लिया और गबन कर लिया। इस घोटाले में बोकारो स्टील के कई उच्च अधिकारी भी शामिल थे।
सीआईडी ने क्यों उठाया कदम?
झारखंड पुलिस के डीजीपी अनुराग गुप्ता और बोकारो के एसपी मनोज एस के निर्देश पर सीआईडी ने सेक्टर-12 थाना में दर्ज कांड संख्या 32/2024 को टेकओवर कर जांच शुरू कर दी है। आरोप है कि बोकारो स्टील के अधिकारियों ने मिलकर इस भूमि का गबन किया और इसकी बिक्री की। इसके बाद अब सीआईडी ने पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच शुरू कर दी है।
शिकायत में क्या कहा गया था?
शिकायत में कहा गया था कि भूमाफिया इजहार अंसारी, अख्तर हुसैन और शैलेश कुमार सिन्हा, बोकारो स्टील प्लांट के अधिकारियों जेएन सिंह, सचिंद्र प्रसाद पांडेय, सत्येंद्र सत्यार्थी, माधव प्रसाद सिन्हा और आरबी सिंह की मदद से इस भूमि का फर्जी दस्तावेज बनाकर उसकी खरीद-बिक्री कर रहे थे।
शिकायत में यह भी कहा गया था कि भूमि को चास अंचल के तत्कालीन हल्का कर्मचारी रंगनाथ सिंह ने गलत तरीके से जमा-बंदी करने में मदद की थी। बोकारो के वन प्रमंडल ने इसकी जांच की और चास अंचल के सीओ को पत्र लिखा कि यह भूमि वन भूमि है और इस पर की गई जमाबंदी को रद्द किया जाए।
क्या है इसका इतिहास?
बोकारो में भूमि घोटाले की यह कोई नई घटना नहीं है। इतिहास में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां सरकारी अफसरों और भूमाफिया के गठजोड़ के कारण लाखों रुपये की सरकारी संपत्ति हड़प ली गई है। इस बार भी यह घोटाला किसी संयोग से नहीं बल्कि साजिश के तहत हुआ है।
क्या अब उम्मीद है न्याय की?
अब सीआईडी के पास मामला पहुंच चुका है, और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही जांच पूरी होगी और दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी। इससे पहले भी बोकारो में कई भूमि घोटाले सामने आए थे, लेकिन इन पर कोई खास कार्रवाई नहीं की गई थी। इस बार सीआईडी की जांच से उम्मीद है कि न्याय मिलेगा और ऐसे घोटालों पर रोक लगेगी।
क्या होगा अगला कदम?
सीआईडी जांच करेगी कि भूमि की बिक्री में कितने और अधिकारी शामिल थे और कैसे इस पूरे मामले को अंजाम दिया गया। इसके बाद न्यायिक प्रक्रिया के तहत दोषियों को सजा दिलाई जाएगी।
बोकारो में हुए इस बड़े भू-घोटाले ने एक बार फिर से सरकारी अफसरों और भूमाफिया के गठजोड़ को उजागर किया है। इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि अगर इस तरह के मामलों में सख्त कार्रवाई की जाए, तो बड़ी मात्रा में सरकारी संपत्ति की रक्षा की जा सकती है।
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