झारखंड हाईकोर्ट की बड़ी कार्रवाई: सिविल जज पर जुर्माना
झारखंड हाईकोर्ट का यह निर्णय न्यायिक प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इससे न्यायिक अधिकारियों के प्रति एक सख्त संदेश जाता है कि न्याय की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की चूक को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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झारखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए डाल्टनगंज में पदस्थापित सिविल जज सुरेंद्र सिंह यादव पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई राज्य में पहली बार किसी सिविल जज के खिलाफ हुई है।
जुर्माने का कारण
सिविल जज सुरेंद्र सिंह यादव पर यह जुर्माना हाईकोर्ट द्वारा दाखिल अंतर्वर्ती आवेदन (इंटरलोक्यूटरी एप्लिकेशन या आइए) को खारिज करने के बाद लगाया गया। श्री यादव ने हाई कोर्ट में आइए दाखिल कर प्रतिवादी बनाये गए 86 न्यायिक अधिकारियों को डाक से नोटिस भेजने के आदेश में संशोधन की मांग की थी।
डिजिटल मोड में नोटिस भेजने का आग्रह
श्री यादव ने अपने आवेदन में सभी प्रतिवादियों को डिजिटल मोड में नोटिस भेजने का निर्देश जारी करने का आग्रह किया था।
प्रोन्नति को चुनौती
सिविल जज सुरेंद्र सिंह यादव ने हाईकोर्ट में रिट पिटीशन दाखिल कर जिला जज के रूप में प्रोन्नति दिये जाने को चुनौती दी थी। उन्होंने अपनी अपील में 86 न्यायिक सेवा के अधिकारियों को भी प्रतिवादी बनाया था।
सिविल जज अमित कुमार वैश्य की याचिका
सिविल जज अमित कुमार वैश्य ने भी एक याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने जिला जज में प्रोन्नति के संबंध में जारी अधिसूचना को रद्द करने की मांग की थी। हाई कोर्ट ने दोनों याचिकाओं को एक साथ जोड़कर सुनवाई करने का निर्णय लिया।
आवेदन की अस्वीकृति
हाईकोर्ट ने सुरेंद्र सिंह यादव के आवेदन को खारिज करते हुए उन्हें निर्देश दिया कि जुर्माने की राशि रांची के सेंट माइकल्स नेत्रहीन विद्यालय के बच्चों के कल्याण के लिए जमा कराई जाए।
कोर्ट का निर्णय और दिशा-निर्देश
हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि किसी भी न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय का पालन होना चाहिए। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जुर्माने की राशि समाज कल्याण के लिए उपयोग की जाए।
महत्वपूर्ण पहल
इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि झारखंड हाईकोर्ट न्यायिक प्रणाली में सुधार और पारदर्शिता के लिए प्रतिबद्ध है।
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