Belgium Arrest : क्या मेहुल चोकसी भारत लौटेगा या फिर एक और चालाकी से बच निकलेगा?
पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी की बेल्जियम में गिरफ्तारी के बाद उसके भारत प्रत्यर्पण पर सवाल उठे हैं। व्हिसलब्लोअर हरिप्रसाद ने कहा कि चोकसी की कानूनी ताकत भारत को उसे वापस लाने में मुश्किल पैदा कर सकती है।

नई दिल्ली: पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक मेहुल चोकसी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। शनिवार को बेल्जियम में उनकी गिरफ्तारी के बाद ऐसा लग रहा था कि अब वह जल्द ही भारत की जेल में होंगे। लेकिन सोमवार को PNB स्कैम व्हिसलब्लोअर हरिप्रसाद एसवी ने इस पूरे मामले में एक नया मोड़ ला दिया।
हरिप्रसाद ने चोकसी के भारत प्रत्यर्पण को लेकर गंभीर शंका जताई है। उनका मानना है कि यह प्रक्रिया उतनी आसान नहीं होगी जितनी दिखाई दे रही है। उनके अनुसार, चोकसी के पास यूरोप में टॉप क्लास कानूनी सहायता उपलब्ध है और वह इसका पूरा इस्तेमाल करेगा ताकि प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को रोक सके, ठीक वैसे ही जैसे विजय माल्या ने किया।
बेल्जियम में गिरफ्तारी, लेकिन भारत वापसी पर सवाल
65 वर्षीय भगोड़ा हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी को जब बेल्जियम में पकड़ा गया, तो भारत सरकार को उम्मीद जगी कि इतने वर्षों से फरार यह घोटालेबाज अब कानून के शिकंजे में आएगा। लेकिन हरिप्रसाद की चेतावनी कुछ और ही संकेत दे रही है।
उन्होंने ANI को दिए इंटरव्यू में याद दिलाया कि डोमिनिका में भी चोकसी को हिरासत में लिया गया था, लेकिन फिर वह कानूनी रास्तों से बच निकलने में कामयाब हो गया।
“चोकसी का पर्स भरा हुआ है, वह यूरोप के बेस्ट वकीलों को लगाएगा। ये केस माल्या की तरह लंबे समय तक खिंच सकता है,” हरिप्रसाद ने कहा।
इतिहास दोहराने को तैयार?
यह पहली बार नहीं है जब चोकसी को विदेश में पकड़ा गया हो। 2021 में जब वह डोमिनिका में पकड़ा गया था, तब भी भारतीय एजेंसियों को लगा था कि अब उसे वापस लाया जा सकेगा। लेकिन चोकसी ने कानूनी दांवपेचों और हेल्थ इश्यूज का हवाला देकर खुद को कानून से बचा लिया।
इस बार भी बेल्जियम जैसी मजबूत न्याय प्रणाली वाले देश में उसका बच निकलना असंभव नहीं लगता।
100 से ज्यादा फ्रेंचाइजियों से ठगी
हरिप्रसाद ने बताया कि चोकसी ने केवल सरकारी बैंकों को ही नहीं, बल्कि भारत भर में 100 से ज्यादा फ्रेंचाइज बिज़नेस मालिकों को भी चूना लगाया।
“मैंने खुद बेंगलुरु पुलिस से उसका अरेस्ट वारंट लिया था, लेकिन वह हाथ नहीं आया। वो बहुत चतुर और अनुभव वाला आदमी है,” उन्होंने कहा।
यह बात भारत की कानूनी और पुलिस व्यवस्था की कमजोरी को भी दर्शाती है, जहां आर्थिक अपराधी बड़े आराम से फरार हो जाते हैं।
प्रत्यर्पण की कठिन राह
भारत की कानूनी व्यवस्था चाहे जितनी भी मजबूत हो, लेकिन प्रत्यर्पण तब मुश्किल हो जाता है जब सामने वाला देश यूरोपीय न्याय व्यवस्था वाला हो। हरिप्रसाद ने साफ कहा, “ये कोई सीधी प्रक्रिया नहीं है। प्रत्यर्पण उस देश की सहमति पर निर्भर करता है, और चोकसी जैसे लोगों के पास पैसा, वकील और रणनीति सब कुछ होता है।”
अब क्या उम्मीद है?
हालांकि हरिप्रसाद ने उम्मीद भी जताई कि इस बार शायद भारतीय एजेंसियां पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरी हों। उन्होंने कहा कि अगर सरकार राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाए और प्रक्रिया को तेज करे, तो चोकसी को भारत लाया जा सकता है, लेकिन इसमें समय और धैर्य दोनों की ज़रूरत होगी।
मेहुल चोकसी की बेल्जियम में गिरफ्तारी भारत के लिए एक बड़ी जीत हो सकती है, लेकिन यह तभी संभव होगा जब भारत उसे कानूनी पेंचों से निकालकर वतन ला पाए।
इस मामले में विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे केसों का इतिहास हमारे सामने है, जहां प्रत्यर्पण की लड़ाई सालों तक चली। क्या चोकसी भी उसी राह पर है या इस बार इतिहास बदलेगा?
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