अजमेर का काला अध्याय: 32 साल बाद मिला इंसाफ, 100 से ज्यादा स्कूली लड़कियों के गैंगरेप और ब्लैकमेलिंग के मामले में 6 दोषियों को उम्रकैद
अजमेर के सबसे बड़े सेक्स स्कैंडल में 32 साल बाद 6 दोषियों को स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह मामला 1990-1992 के दौरान 100 से अधिक लड़कियों के गैंगरेप और ब्लैकमेलिंग का है, जिसने पूरे देश को हिला दिया था।
राजस्थान की पवित्र धरती पर स्थित अजमेर शहर, जो दरगाह शरीफ और अपनी धार्मिक आस्थाओं के लिए जाना जाता है, कभी एक ऐसे घिनौने अपराध का गवाह बना जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। 1990 से 1992 के बीच, इस शहर में 100 से ज्यादा स्कूली लड़कियों के साथ गैंगरेप और ब्लैकमेलिंग का ऐसा मामला सामने आया जिसने समाज की नैतिकता पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया। आज, 32 साल बाद, इस मामले में न्याय की जीत हुई है। स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने इस अपराध में शामिल 6 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
आज का फैसला: न्याय की दिशा में बड़ा कदम
20 अगस्त 2024 को स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने अजमेर गैंगरेप और ब्लैकमेलिंग कांड में 6 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। इस मामले में कुल 18 आरोपी थे, जिनमें से 9 को पहले ही सजा सुनाई जा चुकी है। एक आरोपी दूसरे मामले में पहले से ही जेल में बंद है, जबकि एक ने सुसाइड कर लिया था और एक अभी भी फरार है। इस ऐतिहासिक फैसले ने पीड़ित परिवारों को कुछ हद तक सुकून पहुंचाया है, जो पिछले तीन दशकों से न्याय की आस लगाए बैठे थे।
कहानी की शुरुआत: अखबार की एक रिपोर्ट ने खोली पोल
इस घिनौने अपराध का खुलासा 1992 में हुआ जब अजमेर के एक स्थानीय अखबार 'नवज्योति दैनिक' में संतोष गुप्ता नामक एक युवा रिपोर्टर ने एक सनसनीखेज रिपोर्ट प्रकाशित की। रिपोर्ट की हेडलाइन थी, 'बड़े लोगों की पुत्रियां ब्लैकमेलिंग का शिकार'। इस रिपोर्ट ने पूरे शहर में खलबली मचा दी और दोपहर होते-होते यह खबर राज्य के मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत तक पहुंच गई। इस रिपोर्ट ने ना केवल अपराधियों को बेनकाब किया, बल्कि उन पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर भी सवाल खड़े कर दिए जिन्होंने इस मामले को दबाने की कोशिश की।
अपराधियों की गिरफ्तारी और कार्रवाई में देरी
इस घिनौने कांड की जांच में शुरू में पुलिस की सुस्ती ने अपराधियों को सबूत मिटाने का पूरा मौका दिया। हालांकि, जब संतोष गुप्ता ने अपने दूसरे लेख में आरोपियों की तस्वीरें प्रकाशित कीं, तो शहर का गुस्सा फूट पड़ा। इसके बाद जब तीसरी और चौथी रिपोर्ट प्रकाशित हुई, तो मामला और भी गंभीर हो गया। आखिरकार, सरकार ने केस को सीआईडी सीबी के हाथों में सौंपा, जिसके बाद जांच तेजी से आगे बढ़ी।
कैसे हुआ 100 से ज्यादा लड़कियों का शिकार
इस कांड की शुरुआत 1991 में हुई जब शहर के एक बड़े युवा नेता ने एक बिजनेसमैन की बेटी को अपने जाल में फंसाया। इस नेता ने पहले लड़की का रेप किया और उसकी तस्वीरें खींचीं। फिर उसे ब्लैकमेल कर और लड़कियों को भी इस घिनौने खेल में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया। इस प्रकार, 100 से ज्यादा लड़कियों के साथ गैंगरेप किया गया और उनकी न्यूड तस्वीरें खींची गईं। बाद में, ये तस्वीरें शहर में फैल गईं और कई अन्य लोगों ने भी इन तस्वीरों का इस्तेमाल कर लड़कियों को ब्लैकमेल किया। न जाने कितनी लड़कियों की जिंदगी बर्बाद करने के बाद भी इन दरिंदों को सजा मिल रही है. कितनी मासूम लड़कियाँ अपना दर्द सहन नहीं कर पाईं और आत्महत्या कर लीं, कितने परिवार बर्बाद हो गए, कितने लोगों की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी।
मुकदमे का अंत: एक लंबी लड़ाई
इस केस का पहला फैसला 6 साल बाद आया, जिसमें 8 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। 1994 में एक आरोपी पुरुषोत्तम ने जेल से रिहा होने के बाद आत्महत्या कर ली। अब 32 साल बाद, बचे हुए 6 दोषियों को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई है, जिससे इस लंबे और दर्दनाक मामले का कानूनी अंत हुआ है।
आखिरकार मिला इंसाफ, लेकिन बहुत देर से
अजमेर के इस सेक्स स्कैंडल ने ना केवल पीड़ित लड़कियों और उनके परिवारों को गहरी चोट दी, बल्कि समाज के नैतिक मूल्यों को भी झकझोर कर रख दिया। इस मामले ने दिखाया कि न्याय की राह लंबी और कठिन हो सकती है, लेकिन अंततः न्याय की जीत होती है। 32 साल बाद मिले इस इंसाफ ने पीड़ितों के परिवारों को एक नई उम्मीद दी है, हालांकि उन्हें इस न्याय के लिए बहुत लंबा इंतजार करना पड़ा।
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