India Honors: डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर मनाया जाता है अधिवक्ता दिवस
अधिवक्ता दिवस हर साल 3 दिसंबर को भारत के पहले राष्ट्रपति और महान वकील डॉ. राजेंद्र प्रसाद के सम्मान में मनाया जाता है। जानिए उनके जीवन, उपलब्धियों और भारतीय न्याय प्रणाली में उनके योगदान की पूरी कहानी।
जमशेदपुर: हर साल 3 दिसंबर को देशभर में अधिवक्ता दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारत के प्रथम राष्ट्रपति और देश के महानतम विधिवेत्ताओं में से एक डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती के उपलक्ष्य में वकील समुदाय के योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन वकीलों को उनके कर्तव्यों और कानून की मर्यादा बनाए रखने की जिम्मेदारी याद दिलाई जाती है।
कौन थे डॉ. राजेंद्र प्रसाद?
जन्म और प्रारंभिक जीवन:
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सिवान जिले के जीरादेई में हुआ। उनके पिता महादेव सहाय संस्कृत और फारसी के विद्वान थे, जबकि उनकी माता कमलेश्वरी देवी धर्मपरायण महिला थीं।
शिक्षा और करियर:
डॉ. प्रसाद की शिक्षा कोलकाता के प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में हुई। उन्होंने 1915 में कानून में स्नातकोत्तर की परीक्षा में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। भागलपुर (बिहार) में वकालत के दौरान वे अपने ज्ञान और न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध हुए।
महात्मा गांधी से प्रेरणा और स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका
डॉ. राजेंद्र प्रसाद महात्मा गांधी के विचारों से गहराई से प्रभावित हुए। 1921 में उन्होंने अपने पद और वकालत को त्यागकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कूदने का साहसिक कदम उठाया।
- 1934: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बॉम्बे अधिवेशन में उन्हें अध्यक्ष चुना गया।
- उन्होंने संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में भारतीय गणतंत्र के संविधान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भारत के पहले राष्ट्रपति और उनके योगदान
1947 में स्वतंत्रता के बाद, डॉ. प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया।
- अपने 12 साल के कार्यकाल में उन्होंने राष्ट्रपति पद की गरिमा और स्वतंत्रता बनाए रखने की कई मिसालें कायम कीं।
- उनके नेतृत्व में हिंदू कोड बिल जैसे महत्वपूर्ण विधेयकों को लागू किया गया।
- 1962 में, राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्ति के बाद, उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
अधिवक्ता दिवस का महत्व
डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती पर अधिवक्ता दिवस मनाने का उद्देश्य वकील समुदाय को उनके कर्तव्यों की याद दिलाना है। यह दिन कानूनी प्रणाली की गरिमा और न्याय के प्रति वकीलों की प्रतिबद्धता को सम्मानित करने का प्रतीक है।
- अधिवक्ता दिवस पर विभिन्न राज्यों में संगोष्ठियों, सेमिनार और कानूनी कार्यशालाओं का आयोजन होता है।
- वकीलों को न्यायालय के भीतर और बाहर अपनी जिम्मेदारियों का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
विधि और न्याय प्रणाली में डॉ. प्रसाद की प्रेरणा
डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि भारत की कानूनी प्रणाली और संविधान को भी आकार दिया।
- उनकी सोच और नेतृत्व ने भारतीय न्याय प्रणाली को आधुनिक और न्यायप्रिय बनाया।
- उनका जीवन वकील समुदाय को प्रेरणा देता है कि वे कानून के प्रति निष्ठा और समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाने में कोई समझौता न करें।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद की विरासत
आज जब भारत 3 दिसंबर को अधिवक्ता दिवस मनाता है, यह दिन डॉ. राजेंद्र प्रसाद की विरासत को याद करने का अवसर बन जाता है।
- उनकी सादगी, ईमानदारी और दृढ़ संकल्प ने भारतीय राजनीति और न्याय व्यवस्था में स्थायी छाप छोड़ी।
- वकील समुदाय के लिए वे एक आदर्श और प्रेरणा स्रोत हैं।
क्या हमें अधिवक्ता दिवस की भूमिका को और व्यापक बनाने की आवश्यकता है?
डॉ. प्रसाद के योगदान को याद करना और वकीलों को उनके कर्तव्यों की याद दिलाना महत्वपूर्ण है। लेकिन क्या यह दिन केवल औपचारिकताओं तक सीमित रह गया है? क्या वकील समुदाय और आम जनता के बीच इस दिन के महत्व को लेकर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है?
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