Adityapur Protest: सिक्योरिटी गार्ड की मौत पर मुआवजे की मांग, कंपनी प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप

आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया में सड़क दुर्घटना में मारे गए सिक्योरिटी गार्ड के परिजन मुआवजे की मांग को लेकर झामुमो नेता सन्नी सिंह के नेतृत्व में थाने पहुंचे। जानिए पूरी खबर।

Dec 18, 2024 - 18:36
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Adityapur Protest: सिक्योरिटी गार्ड की मौत पर मुआवजे की मांग, कंपनी प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप
Adityapur Protest: सिक्योरिटी गार्ड की मौत पर मुआवजे की मांग, कंपनी प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप

आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया के फेज 7 में जेंपन इलेक्ट्रॉनिक कंपनी के सिक्योरिटी गार्ड फूलचंद सहिस की सड़क दुर्घटना में हुई मौत ने इलाके में तनाव पैदा कर दिया है। बुधवार को मृतक के परिजन झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) नेता सन्नी सिंह के नेतृत्व में आदित्यपुर थाना पहुंचे। उन्होंने कंपनी प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए मृतक के परिवार को उचित मुआवजा दिलाने की मांग की।

कैसे हुई दुर्घटना?

मंगलवार रात फूलचंद सहिस कंपनी के किसी काम से बाहर गए थे। इस दौरान किसी अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी, जिससे उनकी मौत हो गई। झामुमो नेता सन्नी सिंह ने कहा कि फूलचंद कंपनी के काम में पूरी तरह समर्पित थे और 24 घंटे ड्यूटी पर रहते थे।

परिजनों का आरोप: मुआवजा क्यों जरूरी?

मृतक के परिवार ने आरोप लगाया कि फूलचंद सहिस की मौत कंपनी प्रबंधन की लापरवाही का नतीजा है।

  • ड्यूटी का दबाव: फूलचंद लगातार 24 घंटे काम कर रहे थे।
  • सुरक्षा का अभाव: कंपनी के काम से बाहर जाने के दौरान उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की गई।
  • कंपनी की जिम्मेदारी: झामुमो नेता ने स्पष्ट किया कि कंपनी प्रबंधन को मुआवजा देना चाहिए क्योंकि दुर्घटना ड्यूटी के दौरान हुई।

झारखंड मुक्ति मोर्चा का रुख

झामुमो नेता सन्नी सिंह ने चेतावनी दी कि यदि कंपनी प्रबंधन मुआवजा देने में असफल रहा, तो पार्टी जोरदार आंदोलन करेगी। उन्होंने कहा कि यह मामला सिर्फ फूलचंद सहिस का नहीं, बल्कि मजदूरों और कर्मचारियों के अधिकारों का है।

इतिहास में ऐसे मामले क्यों दोहराते हैं?

झारखंड के औद्योगिक क्षेत्रों में इस तरह की घटनाएं आम हैं।

  • 2018: बोकारो में एक फैक्ट्री कर्मचारी की मौत के बाद परिजनों ने मुआवजे के लिए लंबा संघर्ष किया।
  • 2020: धनबाद में एक मजदूर की दुर्घटनावश मौत के बाद भी कंपनी प्रबंधन ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया था।

कंपनियों की यह उदासीनता न केवल श्रमिकों के अधिकारों का हनन है, बल्कि कानूनों का उल्लंघन भी है।

कानून क्या कहता है?

  • कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम 1923: यह अधिनियम नियोक्ता को कर्मचारी की ड्यूटी के दौरान होने वाली किसी भी दुर्घटना के लिए मुआवजा देने के लिए बाध्य करता है।
  • सुरक्षा और स्वास्थ्य अधिनियम: औद्योगिक क्षेत्रों में सुरक्षा मानकों का पालन न करने पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान है।

सन्नी सिंह का बयान

झामुमो नेता ने कहा कि फूलचंद सहिस जैसे कर्मियों की मेहनत से ही कंपनियां चलती हैं। ऐसे में उनकी सुरक्षा और परिवार का भविष्य सुनिश्चित करना कंपनी की जिम्मेदारी बनती है।

क्या हो सकता है समाधान?

  1. तुरंत मुआवजा: फूलचंद सहिस के परिजनों को तत्काल आर्थिक सहायता।
  2. सुरक्षा उपाय: कंपनी कर्मचारियों के लिए ट्रैवल सुरक्षा और स्वास्थ्य बीमा अनिवार्य करे।
  3. जागरूकता अभियान: श्रमिकों को उनके अधिकारों और कानूनी प्रावधानों के प्रति जागरूक करना।

आदित्यपुर की यह घटना औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिकों की सुरक्षा पर सवाल खड़े करती है। झामुमो का यह कदम श्रमिकों के अधिकारों की लड़ाई को मजबूत करने में मदद कर सकता है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।