क्या नाथ पंथ बदल सकता है समाज की तस्वीर? गोरखपुर में सीएम योगी ने खोला बड़ा राज!
गोरखपुर विश्वविद्यालय में आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाथ पंथ के योगदान पर प्रकाश डाला। जानिए कैसे नाथ पंथ समाज में समरसता और एकता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
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गोरखपुर में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के दीक्षा भवन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी "समरस समाज के निर्माण में नाथ पंथ का अवदान" का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। इस संगोष्ठी का उद्देश्य समाज में समरसता और एकता की भावना को बढ़ावा देना है, जिसमें नाथ पंथ की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जो स्वयं नाथ संप्रदाय के प्रमुख हैं, ने इस अवसर पर नाथ पंथ के योगदान पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि नाथ पंथ ने सदियों से समाज में समानता और समरसता के संदेश को फैलाया है। यह संप्रदाय जाति, धर्म और सामाजिक भेदभाव से ऊपर उठकर मानवता के कल्याण के लिए कार्य करता रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जब समाज में विभिन्न चुनौतियां और विभाजन की स्थितियां हैं, ऐसे में नाथ पंथ का संदेश और भी अधिक प्रासंगिक हो जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नाथ पंथ ने समाज के कमजोर और वंचित वर्गों को समान अवसर प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस पंथ की शिक्षाएं सभी को साथ लेकर चलने की प्रेरणा देती हैं। उन्होंने आगे कहा कि "समरस समाज" का निर्माण तभी संभव है जब हम जाति, धर्म और संप्रदाय से ऊपर उठकर एक-दूसरे के साथ समानता और भाईचारे की भावना से जुड़ें। योगी आदित्यनाथ ने यह भी बताया कि नाथ पंथ की शिक्षाएं हमारे समाज के उन मूल्यों को पुनर्स्थापित करने का कार्य करती हैं, जो एकता और सहयोग पर आधारित हैं।
संगोष्ठी में देश-विदेश के विद्वानों और अध्येताओं ने भाग लिया, जिन्होंने नाथ पंथ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता पर अपने विचार प्रस्तुत किए। संगोष्ठी के दौरान यह भी चर्चा की गई कि नाथ पंथ ने किस प्रकार भारत के विभिन्न हिस्सों में सामाजिक समरसता और सद्भावना को बढ़ावा दिया। विद्वानों ने नाथ पंथ की शिक्षाओं को आधुनिक समाज के लिए प्रासंगिक बताते हुए कहा कि इस पंथ की शिक्षाएं आज भी लोगों को जीवन में समरसता और सह-अस्तित्व के महत्व को समझने में सहायक हैं।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा इस प्रकार की अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों का आयोजन न केवल शैक्षिक स्तर पर बल्कि समाजिक जागरूकता के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की और कहा कि ऐसी संगोष्ठियाँ समाज के विभिन्न पहलुओं को समझने और एकता की भावना को मजबूत करने में सहायक होती हैं।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रोफेसर और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के अंत में योगी आदित्यनाथ ने सभी उपस्थित लोगों से अपील की कि वे नाथ पंथ की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारें और समाज में समानता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा दें। उन्होंने कहा कि जब हम सभी मिलकर समरस समाज के निर्माण के लिए कार्य करेंगे, तभी हमारा समाज और देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़ेगा।
संगोष्ठी के समापन पर सभी विद्वानों और उपस्थित जनों ने नाथ पंथ की शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हुए समाज में एकता और समरसता के लिए काम करने का संकल्प लिया। इस संगोष्ठी ने समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संवाद और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने का मार्ग प्रशस्त किया।
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