Warisaliganj Tribute: अहिल्याबाई होलकर की जयंती पर प्रभात फेरी और प्रेरणादायक कार्यक्रम
वारिसलीगंज महिला महाविद्यालय में रानी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती पर प्रभात फेरी और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन। जानें रानी के ऐतिहासिक योगदान और उनके प्रेरक कार्यों की पूरी कहानी।
वारिसलीगंज के महिला महाविद्यालय ने मालवा साम्राज्य की महान रानी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती के अवसर पर प्रभात फेरी का आयोजन किया। सैकड़ों छात्राओं और शिक्षकों की भागीदारी ने इस आयोजन को खास बना दिया।
शनिवार की सुबह, कॉलेज परिसर से प्रारंभ हुई इस प्रभात फेरी का नेतृत्व प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार सिंह ने किया। प्रतिभागी छात्राओं ने प्रेरणादायक नारों और भक्ति गीतों के साथ रानी अहिल्याबाई को श्रद्धांजलि दी।
कार्यक्रम में रानी के योगदान पर रोशनी
प्रभात फेरी के पश्चात कॉलेज परिसर में एक सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इसमें प्रोफेसर बृज बिहारी प्रसाद सिंह, डॉ. रविंद्र कुमार निराला और अन्य वक्ताओं ने रानी के जीवन और कार्यों पर चर्चा की।
प्रमुख बिंदु:
- रानी अहिल्याबाई ने 30 वर्षों तक इंदौर में कुशल प्रशासन किया।
- उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर और गया के विष्णुपद मंदिर जैसे ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण में भूमिका निभाई।
- उनके कार्यकाल में बद्रीनाथ, रामेश्वरम, द्वारका और पुरी के मंदिरों का भी जीर्णोद्धार हुआ।
- सती प्रथा को समाप्त करने में उनकी अहम भूमिका रही।
- धर्म, शिक्षा, और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
रानी अहिल्याबाई का ऐतिहासिक योगदान
रानी अहिल्याबाई होलकर का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। उनके शासनकाल में इंदौर एक आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र बना।
- सामाजिक सुधार: रानी ने महिलाओं और गरीबों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं।
- धार्मिक संरक्षण: उन्होंने देशभर में क्षतिग्रस्त मंदिरों के पुनर्निर्माण का बीड़ा उठाया।
- सती प्रथा का अंत: रानी ने सती प्रथा के खिलाफ कड़ा कदम उठाया, जिससे समाज में महिलाओं की स्थिति मजबूत हुई।
कार्यक्रम में सहभागिता और भावनात्मक जुड़ाव
कार्यक्रम में शिक्षकों और छात्रों ने रानी के जीवन से प्रेरणा लेने का संदेश दिया।
प्रोफेसर रीता कुमारी ने कहा, "अहिल्याबाई का जीवन हमें सिखाता है कि सशक्त नेतृत्व और जनहितकारी सोच के जरिए समाज को कैसे बदला जा सकता है।"
इस मौके पर उपस्थित प्रमुख शिक्षकों और छात्राओं ने रानी के योगदान को स्मरण करते हुए उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी।
ऐतिहासिक कड़ी से वर्तमान का जुड़ाव
कार्यक्रम ने इस बात पर जोर दिया कि रानी अहिल्याबाई होलकर केवल एक कुशल प्रशासक ही नहीं थीं, बल्कि वे भारतीय समाज के लिए एक आदर्श भी थीं।
उनके सुधारात्मक कदम आज भी हमारे समाज को प्रेरणा देते हैं।
रानी अहिल्याबाई होलकर की जयंती पर आयोजित यह कार्यक्रम केवल एक आयोजन नहीं था, बल्कि यह उनकी अद्वितीय विरासत को समझने और उसे आगे बढ़ाने का एक प्रयास था।
उनकी 300वीं जयंती ने यह साबित कर दिया कि उनका योगदान न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि आज भी प्रासंगिक है।
"रानी अहिल्याबाई होलकर की प्रेरणादायक जीवन यात्रा और उनके सुधारात्मक कार्यों को याद रखना हर पीढ़ी का कर्तव्य है।"
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