टाटा स्टील के निबंधित कर्मचारियों के बच्चों की बहाली की मांग, यूनियन पर बढ़ा दबाव
टाटा स्टील के निबंधित कर्मचारियों के बच्चों ने अपनी बहाली की मांग को लेकर यूनियन पर दबाव बढ़ाया है। उन्होंने यूनियन अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपते हुए बोनस समझौते के साथ-साथ नियोजन पर भी चर्चा की मांग की है।
टाटा स्टील के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के बच्चों और निबंधित युवाओं ने अपनी नियोजन की मांग को लेकर दबाव बढ़ा दिया है। टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी टुन्नु को एक ज्ञापन सौंपते हुए, इन युवाओं ने यूनियन से निवेदन किया है कि आगामी बोनस समझौते के साथ-साथ उनके नियोजन को लेकर भी चर्चा की जाए।
ज्ञापन सौंपने वालों में ट्यूब-टिस्को निबंधित पुत्र-पुत्री संघ के प्रमुख सदस्य अनिता महतो, सुनिल कुमार, समर महतो, असरफ आलम और पिंकी झा शामिल थे। इन लोगों का कहना है कि सेवानिवृत्त निबंधित कर्मचारियों के बच्चों के लिए इस बार के बोनस समझौते में नियोजन की घोषणा होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले साल 16 सितंबर को टाटा स्टील मैनेजमेंट के साथ दो कंपनियों, टाटा टेक्निकल और टाटा स्पोर्ट सर्विसेज, के नाम पर समझौता हुआ था, लेकिन एक साल बाद भी निबंधित कर्मचारियों के बच्चों का नियोजन नहीं हो पाया है।
ज्ञापन में इन लोगों ने यह भी बताया कि इन कंपनियों के माध्यम से अन्य बाहरी लोगों का नियोजन शुरू हो गया है, लेकिन निबंधित कर्मचारियों के बच्चों को अभी तक नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने मांग की है कि टाटा स्टील में नियोजन संबंधी मांगों को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। इन लोगों का कहना है कि इन कंपनियों में निबंधित कर्मचारियों के लिए उम्र सीमा नहीं लगाई जानी चाहिए, क्योंकि इस कंपनी का निर्माण ठेका कंपनी के स्थान पर हुआ है और ठेका मजदूरों की काम करने की उम्र सीमा 55 वर्ष है।
ज्ञापन में यह भी मांग की गई है कि जो निबंधित कर्मचारी उम्र सीमा पार कर चुके हैं या जो इस दुनिया को छोड़कर जा चुके हैं, उनके बच्चों को इन कंपनियों में नियोजित किया जाए। इन युवाओं ने तर्क दिया कि जब ठेका मजदूरों के नियोजन के लिए किसी भी प्रकार की परीक्षा नहीं होती, तो इन कंपनियों में निबंधित कर्मचारियों के बच्चों के लिए परीक्षा के माध्यम से नियोजन करवाना उचित नहीं है।
उन्होंने यूनियन और मैनेजमेंट से आग्रह किया है कि इस मुद्दे पर तत्काल बातचीत कर समाधान निकाला जाए, ताकि निबंधित कर्मचारियों और उनके बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके। इन युवाओं ने यह भी मांग की कि बोनस समझौते के साथ ही स्थायीकरण का भी तोहफा कर्मचारियों और उनके बच्चों को दिया जाए।
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