दिव्यांगजनों की अदम्य भावना का जश्न: टाटा स्टील फाउंडेशन (Tata Steel Foundation ) के 5वें सबल पुरस्कारों का समापन
टाटा स्टील फाउंडेशन (Tata Steel Foundation ) ने जमशेदपुर में 5वें सबल पुरस्कारों का समापन किया, जिसमें दिव्यांगजनों की अदम्य भावना और संकल्प को कला, संगीत और नृत्य के माध्यम से सम्मानित किया गया। जानें इस आयोजन की खास बातें और कैसे यह समाज में समावेशिता को बढ़ावा दे रहा है।
टाटा स्टील फाउंडेशन ( Tata Steel Foundation ) ने जमशेदपुर में 5वें सबल पुरस्कारों का समापन किया, जिसमें दिव्यांगजनों की अदम्य भावना और संकल्प को कला, संगीत और नृत्य जैसी अभिव्यक्तियों के माध्यम से सम्मानित किया गया। यह आयोजन 28 सितंबर 2024 को जमशेदपुर के सोनारी स्थित ट्राइबल कल्चर सेंटर (टीसीसी) में आयोजित किया गया, जिसमें टाटा स्टील के वरिष्ठ नेतृत्व, दिव्यांगजनों के माता-पिता और अभिभावकों के साथ-साथ पूर्व सबल पुरस्कार विजेता भी उपस्थित थे।
इस वर्ष, 750 से अधिक आवेदकों ने 21 राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों से अपनी प्रविष्टियाँ प्रस्तुत कीं। इनमें से 50 शीर्ष फाइनलिस्टों को अंतिम चयन के लिए चुना गया, जिन्होंने अपनी अद्वितीय यात्रा के माध्यम से ताकत, साहस और रचनात्मकता की एक नई कहानी पेश की। यह प्रक्रिया प्रतिभागियों की अदम्य भावना को उजागर करती है और उनके संघर्षों और उपलब्धियों के साथ-साथ समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा देती है।
इस संस्करण की एक और खास बात यह है कि प्रत्येक श्रेणी के शीर्ष प्रतिभागियों का विशेष चयन किया गया है, जो जनवरी 2025 में मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स में सबल पुरस्कारों के समापन समारोह में प्रदर्शन करेंगे। इस अवसर पर, शंकर महादेवन अकादमी के साथ मिलकर, संगीत और गायन श्रेणियों में विजेताओं को एक वर्ष का मेंटरशिप प्रदान किया जाएगा। यह पहल प्रतिभागियों को अपने कौशल को और निखारने और प्रदर्शन कला के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगी।
सबल एक राष्ट्रीय परिवर्तन मॉडल के रूप में लगातार उभर रहा है, जो समावेशी समाजों के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह पहल न केवल पारंपरिक रूढ़ियों को चुनौती देती है, बल्कि हर व्यक्ति को अपनी पहचान और बात रखने का मार्ग भी प्रशस्त करती है। दिव्यांगजनों (पीडबल्यूडी) को सरकारी कल्याण योजनाओं से जोड़ने और सुलभ वातावरण का निर्माण करने के साथ, सबल समावेशिता की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है। सबल पुरस्कारों के माध्यम से यह मंच बाधाओं को खत्म करने, रूढ़िवादी सोच को तोड़ने और न्यूरोडायवर्स समुदाय की वास्तविक क्षमता को दुनिया के सामने लाने का सशक्त प्रयास कर रहा है।
इस वर्ष के सबल पुरस्कारों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि दिव्यांगजन किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। उनकी अदम्य भावना और संकल्प ने समाज को एक नई दिशा दी है। यह आयोजन न केवल उनकी प्रतिभा को मान्यता देता है, बल्कि समाज में समानता और समावेशन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
इस प्रकार, टाटा स्टील फाउंडेशन के सबल पुरस्कार न केवल दिव्यांगजनों की असाधारण प्रतिभाओं को उजागर करते हैं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह पहल न केवल पारंपरिक रूढ़ियों को चुनौती देती है, बल्कि हर व्यक्ति को अपनी पहचान और बात रखने का मार्ग भी प्रशस्त करती है।
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