Tapkara Tribute: तपकारा गोलीकांड की बरसी पर खूंटी में श्रद्धांजलि सभा, शहीदों की याद में बंद रहेंगे पर्यटन स्थल
तपकारा गोलीकांड की बरसी पर खूंटी में शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। मौन जुलूस और सभा के साथ पूरे क्षेत्र में पिकनिक स्पॉट भी रहेंगे बंद।
झारखंड के खूंटी जिले में आज एक ऐतिहासिक दिन है। 2 फरवरी 2001 को हुए तपकारा गोलीकांड की बरसी पर यहां शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। यह दिन झारखंड के संघर्षों की गवाही देता है और हर साल उन आठ वीरों की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने अपने अधिकारों की लड़ाई में प्राण न्योछावर कर दिए थे।
शहीदों के सम्मान में विशेष आयोजन
रविवार को तपकारा शहीद स्थल पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाएगी, जहां कोयल कारो जनसंगठन के नेतृत्व में ग्रामीण एकत्र होंगे। इस मौके पर एक मौन जुलूस निकाला जाएगा, जो तपकारा के विभिन्न मार्गों से गुजरकर शहीद स्थल तक पहुंचेगा।
श्रद्धांजलि सभा में सबसे पहले शहीदों के परिजन उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करेंगे, फिर अन्य ग्रामीण और गणमान्य लोग अपने श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। इसके बाद एक विशेष सभा का आयोजन किया जाएगा, जिसमें शहीदों के बलिदान और उनके संघर्ष की कहानी पर चर्चा होगी।
बंद रहेंगे पर्यटन स्थल
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 2 फरवरी को क्षेत्र के प्रमुख पर्यटन स्थल पेरवांघाघ, पांडुपुरिंग और चंचलाघाघ बंद रहेंगे। यह निर्णय शहीदों के सम्मान में लिया गया है ताकि इस दिन को पूरी गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ मनाया जा सके।
कैसे हुई थी यह घटना? जानिए इतिहास
तपकारा गोलीकांड 2 फरवरी 2001 को हुआ था, जब कोयल कारो जल विद्युत परियोजना का विरोध कर रहे ग्रामीणों ने तपकारा ओपी का घेराव किया था। इससे एक दिन पहले, पुलिस ने जनता कर्फ्यू के दौरान लगाए गए बैरिकेड्स को जबरन हटा दिया था, जिससे ग्रामीणों में रोष उत्पन्न हो गया।
अगले दिन, जब ग्रामीणों ने पुलिस चौकी का घेराव किया, तो माहौल तनावपूर्ण हो गया और गोलीकांड हो गया, जिसमें आठ ग्रामीण शहीद हो गए। इसके बाद से हर साल यह दिन शहीदों की याद में श्रद्धांजलि सभा के रूप में मनाया जाता है।
ये थे शहीद, जिनकी याद में जलेंगे दीप
तपकारा गोलीकांड में जिन आठ वीरों ने अपने प्राण न्योछावर किए, उनके नाम इस प्रकार हैं:
- जमाल खान (तपकारा)
- बोडा पाहन (चंपाबहा)
- सुरसेन गुड़िया (डेरांग)
- सोमा जोसेफ गुड़िया (गोंडरा)
- लुकस गुड़िया (गोंडरा)
- प्रभु सहाय कंडुलना (बेलसिया जराकेल)
- समीर डहंगा (बंडा जयपुर)
- सुंदर कंडुलना (बनई)
श्रद्धांजलि सभा का महत्व
हर साल कोयल कारो जनसंगठन इस दिन को यादगार बनाता है ताकि शहीदों का बलिदान व्यर्थ न जाए। यह सभा न केवल उन्हें श्रद्धांजलि देने का अवसर है, बल्कि संघर्ष के इतिहास को याद करने और समाज में जागरूकता फैलाने का भी माध्यम है।
तपकारा गोलीकांड: एक सबक
यह घटना झारखंड के आदिवासी समाज के संघर्ष और उनके अधिकारों की लड़ाई का एक प्रतीक है। यह हमें याद दिलाती है कि संघर्ष की राह आसान नहीं होती, लेकिन न्याय और अधिकारों के लिए आवाज उठाना जरूरी है।
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