Drepung Visit: लिंग रिनपोछे के आगमन से गूंज उठा द्रेपुंग मठ, भक्तों में उमड़ा आस्था का सैलाब!

भारत के द्रेपुंग मठ में लिंग रिनपोछे के आगमन पर हुआ भव्य स्वागत समारोह। जानें, कैसे हुआ यह ऐतिहासिक आयोजन और क्या संदेश दिया रिनपोछे ने?

Feb 2, 2025 - 13:24
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Drepung Visit: लिंग रिनपोछे के आगमन से गूंज उठा द्रेपुंग मठ, भक्तों में उमड़ा आस्था का सैलाब!
Drepung Visit: लिंग रिनपोछे के आगमन से गूंज उठा द्रेपुंग मठ, भक्तों में उमड़ा आस्था का सैलाब!

भारत के दक्षिणी भाग में स्थित ऐतिहासिक द्रेपुंग लोसेलिंग मठ ने 1 फरवरी 2025 को एक पवित्र और ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना। इस दिन परमपूज्य लिंग रिनपोछे के आगमन पर पूरे मठ में आध्यात्मिक उल्लास का माहौल था। हजारों श्रद्धालु, मठ के विद्वान भिक्षु, वरिष्ठ शिक्षक, तुलकु (पुनर्जन्मे संत) और मठ प्रशासन ने उनका भव्य स्वागत किया।

भव्य स्वागत समारोह: मंत्रों से गूंजा मठ परिसर

लिंग रिनपोछे के स्वागत में मठ में एक विशाल समारोह आयोजित किया गया। इस दौरान मठ प्रमुख, अभिषेककर्ता (चैंटिंग मास्टर), अनुशासनाधिकारी और 24 खंगत्सेन (भिक्षु छात्रावास) के प्रमुखों सहित सैकड़ों भिक्षु एवं श्रद्धालु उपस्थित रहे। पूरे परिसर में बौद्ध मंत्रों का उच्चारण किया गया, जिससे वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठा।

स्वागत के दौरान पारंपरिक खतक (शुद्धता और आशीर्वाद का प्रतीक रेशमी वस्त्र), दीप, पुष्प और अन्य धार्मिक अर्पण किए गए। इस समारोह ने मठ के ऐतिहासिक महत्व को एक बार फिर जीवंत कर दिया।

प्रार्थना सभा और आध्यात्मिक प्रवचन

लिंग रिनपोछे का स्वागत मठ के मुख्य प्रार्थना सभागार में हुआ, जहां उन्होंने भिक्षु समुदाय और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया। इस दौरान बुद्ध, धर्म और संघ की स्तुति में भजन और पारंपरिक अनुष्ठान किए गए।

इसके बाद, रिनपोछे ने एक प्रेरणादायक प्रवचन दिया, जिसमें करुणा, नैतिकता (शील), ध्यान और ज्ञान की साधना पर विशेष जोर दिया गया। उन्होंने बताया कि आत्म-अनुशासन और ध्यान के माध्यम से व्यक्ति न केवल अपने भीतर शांति स्थापित कर सकता है, बल्कि समाज में भी सद्भाव और प्रेम का संदेश फैला सकता है।

द्रेपुंग मठ का ऐतिहासिक महत्व

द्रेपुंग मठ तिब्बती बौद्ध धर्म की गेलुग परंपरा का एक प्रमुख केंद्र है, जिसकी स्थापना 1416 ईस्वी में महान संत जम्यांग चोजे ताशी पालडेन ने की थी। यह न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का केंद्र है, बल्कि बौद्ध दर्शन, तर्कशास्त्र और ध्यान की शिक्षा का प्रमुख संस्थान भी है।

रिनपोछे ने अपने प्रवचन में मठ के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व को दोहराते हुए भिक्षु समुदाय को धर्म, अध्ययन और साधना के मार्ग पर दृढ़ रहने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि संघ (भिक्षु समुदाय) का अस्तित्व मानवता की भलाई और बौद्ध शिक्षाओं के संरक्षण के लिए अत्यंत आवश्यक है।

समापन और भविष्य की योजनाएँ

यह ऐतिहासिक अवसर सामूहिक प्रार्थना और भिक्षुओं द्वारा दी गई शुभकामनाओं के साथ संपन्न हुआ। लिंग रिनपोछे की इस यात्रा को पूरे मठ समुदाय के लिए अत्यंत सौभाग्यशाली माना जा रहा है।

इस आयोजन ने न केवल द्रेपुंग मठ बल्कि संपूर्ण बौद्ध समुदाय में आध्यात्मिकता और धर्म के प्रति निष्ठा को और प्रबल कर दिया। आने वाले समय में मठ में धार्मिक प्रवचन, ध्यान साधना और शिक्षण सत्रों का आयोजन किया जाएगा, जिससे श्रद्धालु लाभान्वित हो सकें।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।