सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व तमिलनाडु मंत्री वी सेंथिल बालाजी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दी
सुप्रीम कोर्ट ने 2014 के 'कैश-फॉर-जॉब्स' घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व तमिलनाडु मंत्री वी सेंथिल बालाजी को जमानत दी है। इस मामले पर कोर्ट ने सख्त शर्तें लगाई हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पूर्व तमिलनाडु मंत्री वी सेंथिल बालाजी को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जमानत दे दी है। यह मामला 2014 के 'कैश-फॉर-जॉब्स' घोटाले से जुड़ा है, जिसमें वी सेंथिल बालाजी पर पैसे लेकर सरकारी नौकरियों के आवंटन का आरोप था। इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति अभय एस ओका और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह शामिल थे, ने कड़े शर्तों के साथ जमानत दी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर 12 अगस्त को अपना निर्णय सुरक्षित रखा था। उस समय प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने और वी सेंथिल बालाजी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा ने अपनी दलीलें पेश की थीं। मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च न्यायालय ने पहले वी सेंथिल बालाजी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अगर इस तरह के मामले में आरोपी को जमानत दी जाती है, तो इससे समाज में गलत संदेश जाएगा और यह जनहित के खिलाफ होगा।
हालांकि, उच्च न्यायालय ने यह भी माना था कि चूंकि वी सेंथिल बालाजी आठ महीने से अधिक समय से हिरासत में हैं, इसलिए मामले का निपटारा एक तय समय सीमा के भीतर किया जाना चाहिए। कोर्ट ने निर्देश दिया कि चेन्नई की प्रधान विशेष अदालत इस मामले को आदेश की प्राप्ति के तीन महीने के भीतर निपटाए।
साथ ही उच्च न्यायालय ने यह भी आदेश दिया था कि मामले की सुनवाई रोजाना की जाएगी, और यह शीर्ष न्यायालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार होगी। इस तरह के मामलों में शीघ्र निपटारा और सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
इस जमानत आदेश के बावजूद, वी सेंथिल बालाजी पर लगे आरोप गंभीर हैं, और कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें कई कड़े शर्तों का पालन करना होगा। इसके साथ ही, यह भी कहा गया है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) और अन्य संबंधित एजेंसियां इस मामले की बारीकी से जांच करेंगी।
इस 'कैश-फॉर-जॉब्स' घोटाले ने तमिलनाडु की राजनीति में भूचाल ला दिया था। वी सेंथिल बालाजी पर आरोप था कि उन्होंने 2014 में कुछ सरकारी पदों के लिए नौकरियों का आवंटन पैसे लेकर किया था। इस घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुरू की थी, जिसके बाद उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का भी मामला दर्ज किया गया।
अब, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद, यह देखना होगा कि इस मामले की आगे की सुनवाई किस दिशा में जाती है। हालाँकि, कोर्ट ने सख्त निर्देश दिए हैं कि इस मामले की सुनवाई तेज गति से की जाए और इसे जल्द से जल्द निपटाया जाए।
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