Simdega Issue: हेमंत सोरेन का ‘गिफ्ट’ महिलाओं तक क्यों नहीं पहुंच रहा?
सिमडेगा के कोलेबिरा प्रखंड में हेमंत सोरेन की मंईयां सम्मान योजना का लाभ पाने के लिए महिलाएं बैंक और प्रखंड कार्यालय के चक्कर काट रही हैं। तकनीकी खामियों और लापरवाही से महिलाएं परेशान।
सिमडेगा के कोलेबिरा प्रखंड की महिलाएं इन दिनों हेमंत सोरेन सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मंईयां सम्मान योजना का लाभ पाने के लिए परेशान हो रही हैं। गांव-गांव की महिलाएं बैंक और प्रखंड कार्यालय के बीच दौड़ रही हैं, लेकिन सरकारी योजना का यह ‘गिफ्ट’ उनके खातों तक नहीं पहुंच रहा है। इस योजना के तहत महिलाओं को आर्थिक सहायता दी जानी थी, लेकिन तकनीकी खामियों और प्रक्रियाओं की वजह से यह सपना अधूरा रह गया है।
मंईयां सम्मान योजना: महिलाओं के लिए सरकार का बड़ा कदम
मंईयां सम्मान योजना झारखंड सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक मदद देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। इस योजना के तहत महिलाओं को उनके बैंक खातों में सीधी सहायता राशि भेजी जाती है।
हालांकि, कोलेबिरा प्रखंड की महिलाएं इस योजना के तहत मिलने वाली राशि के लिए बैंक और ब्लॉक ऑफिस के चक्कर काटते-काटते थक चुकी हैं। टूटीकेल पंचायत की गंजू टोली की महिला देवंती कुमारी ने बताया कि उन्होंने योजना का फॉर्म भरा था, लेकिन उनके खाते में पैसे नहीं आए। बैंककर्मियों ने उन्हें प्रखंड कार्यालय जाकर पता करने की सलाह दी। जब उन्होंने प्रखंड कार्यालय का रुख किया, तो वहां भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला।
तकनीकी खामियों ने बढ़ाई परेशानी
कोलेबिरा के समाज कल्याण कार्यालय के प्रभारी आशीष कुमार ने बताया कि इस समस्या के पीछे तकनीकी खामियां जिम्मेदार हैं। कई महिलाओं के फॉर्म भरने के दौरान उनके बैंक खाते या आईएफएससी कोड में गलत जानकारी भर दी गई। इसके चलते उनके खाते में राशि ट्रांसफर नहीं हो सकी। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 15-20 दिनों से वेबसाइट अपडेट के कारण बंद है, जिसकी वजह से फॉर्म की स्थिति जांचने में भी समस्या हो रही है।
महिलाओं का दर्द: बैंक और ब्लॉक के बीच फंसी योजनाएं
रायबेड़ा निवासी नीलम सुरीन ने कहा, “फॉर्म तो भरा था, लेकिन बैंक जाकर पता किया तो पैसे नहीं आए। जब ब्लॉक ऑफिस गए, तो वहां से भी कोई जवाब नहीं मिला। हर दिन दौड़ने के बावजूद हमें निराशा ही हाथ लग रही है।”
कमला देवी और जमील बीबी जैसी कई महिलाएं भी इस योजना से लाभ पाने के लिए परेशान हैं। उनका कहना है कि सरकारी प्रक्रिया इतनी जटिल है कि सामान्य महिलाएं इसे समझ नहीं पा रही हैं।
इतिहास: झारखंड की योजनाओं का असमान वितरण
झारखंड में सरकारी योजनाओं के लाभ का असमान वितरण कोई नई बात नहीं है। पहले भी कई योजनाएं तकनीकी समस्याओं और प्रशासनिक लापरवाहियों के कारण जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाई हैं। मंईयां सम्मान योजना भी अब ऐसी योजनाओं की लिस्ट में जुड़ती दिख रही है।
सरकार और समाज का समाधान क्या हो?
इन समस्याओं का समाधान तभी संभव है, जब योजनाओं को लागू करने की प्रक्रिया सरल और पारदर्शी बनाई जाए। प्रज्ञा केंद्रों और ऑपरेटरों को बेहतर प्रशिक्षण देकर इस तरह की गलतियों को रोका जा सकता है। इसके अलावा, महिलाओं को जागरूक करने और उनकी समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल करने की जरूरत है।
आखिर महिलाएं कहां जाएं?
कोलेबिरा प्रखंड की महिलाएं इस सवाल के साथ संघर्ष कर रही हैं कि वे अपनी समस्याओं को लेकर आखिर कहां जाएं। जब बैंक और प्रखंड कार्यालय दोनों से कोई मदद नहीं मिल रही, तो वे सरकार से उम्मीद लगाए बैठी हैं कि उनके लिए जल्द ही कोई समाधान निकलेगा।
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