इस साल 16 अक्टूबर को मनाई जाएगी शरद पूर्णिमा: जानिए पूजा का महत्व और सही मुहूर्त

शरद पूर्णिमा 2024 की तिथि 16 अक्टूबर है। जानिए इस दिन का महत्व, लक्ष्मी पूजा का सही मुहूर्त और बंगाली समुदाय में लक्खी पूजा कैसे मनाई जाती है।

Oct 15, 2024 - 13:22
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इस साल 16 अक्टूबर को मनाई जाएगी शरद पूर्णिमा: जानिए पूजा का महत्व और सही मुहूर्त
इस साल 16 अक्टूबर को मनाई जाएगी शरद पूर्णिमा: जानिए पूजा का महत्व और सही मुहूर्त

जमशेदपुर, 15 अक्टूबर 2024: इस वर्ष शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर, बुधवार को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा को सभी पूर्णिमाओं में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है और विशेष रूप से धन और समृद्धि के लिए व्रत रखा जाता है। इसे कोजागरी पूर्णिमा या कोजागरी लक्ष्मी पूजा के नाम से भी जाना जाता है।

शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व:
पौराणिक मान्यता के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी का अवतरण हुआ था। इस दिन विशेष रूप से रात्रि में चावल की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है। यह माना जाता है कि इस रात चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है। इस खीर को खाने से बीमारियों और परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

लक्ष्मी पूजा का महत्व:
शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। श्रद्धालु इस दिन मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर विधिपूर्वक पूजा करते हैं, ताकि पूरे साल घर में धन, वैभव और सुख-समृद्धि बनी रहे। बंगाली समुदाय इस दिन को लक्खी पूजा के रूप में मनाता है और लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान नारायण की भी पूजा करता है।

शरद पूर्णिमा का मुहूर्त:
इस वर्ष शरद पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर की रात 8 बजकर 40 मिनट से शुरू होगी और 17 अक्टूबर की शाम 4 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 16 अक्टूबर की रात 11:42 से 12:32 बजे तक है। इसी समय सरस्वती पूजा भी की जा सकती है।

स्नान और दान का मुहूर्त:
पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर की रात 8:40 बजे शुरू होगी और 17 अक्टूबर तक चलेगी। श्रद्धालु 17 अक्टूबर को सुबह स्नान कर सकते हैं और शाम तक दान कर सकते हैं।

कार्तिक मास की शुरुआत:
शरद पूर्णिमा के बाद से कार्तिक मास की शुरुआत हो जाती है। इस दिन से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक दीपदान और आकाशदीप जलाने की परंपरा होती है। ऐसा करने से दुख और दरिद्रता का नाश होता है।

शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा, कौमुदी उत्सव, और कुमार उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। यह तिथि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।