सरायकेला में चंपाई सोरेन और गणेश महाली के बीच कांटे की टक्कर, 23 नवंबर को होगा फैसला
सरायकेला विधानसभा चुनाव में भाजपा के चंपाई सोरेन और झामुमो के गणेश महाली की सीधी टक्कर। दोनों नेताओं के बगावत के बाद चुनावी माहौल गरमा गया है। 23 नवंबर को जनता के फैसले से खुलासा होगा, किसे मिलेगा जनसमर्थन।
सरायकेला, झारखंड, 2 नवंबर 2024: झारखंड के सरायकेला विधानसभा क्षेत्र में इस बार का चुनावी मुकाबला बेहद रोचक हो गया है। 23 नवंबर को नतीजे आएंगे और तभी पता चलेगा कि जनता का समर्थन किसे मिला। इस बार चुनावी मैदान में भाजपा के चंपाई सोरेन और झामुमो के गणेश महाली एक-दूसरे के खिलाफ आमने-सामने हैं। खास बात यह है कि दोनों ही नेता पहले एक ही दल का हिस्सा थे, लेकिन अब अपने-अपने नए दलों से चुनाव लड़ रहे हैं।
चंपाई सोरेन की बगावत और भाजपा का साथ
करीब चार दशक तक झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक सदस्य रहे चंपाई सोरेन ने कुछ समय पहले झामुमो को अलविदा कह दिया और भाजपा का दामन थाम लिया। इस कदम से झामुमो में हलचल मच गई। चंपाई सोरेन का भाजपा में शामिल होना झामुमो के लिए झटका साबित हो सकता है, वहीं भाजपा इस बार सरायकेला सीट जीतने के लिए पूरी तरह तैयार दिख रही है।
गणेश महाली का झामुमो में आगमन
चंपाई सोरेन के पुराने प्रतिद्वंद्वी गणेश महाली, जो पहले भाजपा में थे, ने इस बार झामुमो का रुख किया है। वे झामुमो के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। महाली इससे पहले दो बार भाजपा के टिकट पर चंपाई सोरेन के सामने हार चुके हैं। इस बार वे झामुमो के समर्थन से चुनावी मैदान में उतरकर अपनी पुरानी हार का बदला लेने का प्रयास कर रहे हैं।
कुड़मी वोट बैंक पर पकड़ और समीकरण
सरायकेला विधानसभा क्षेत्र में कुड़मी समुदाय का वोट बैंक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। झामुमो में शामिल हुए कुड़मी सेना के केंद्रीय अध्यक्ष लालटू महतो और आजसू युवा मोर्चा के अध्यक्ष सन्नी सिंह भी चुनावी समीकरण में बदलाव ला सकते हैं। कुड़मी वोट बैंक में झामुमो का बढ़ता प्रभाव भाजपा के लिए चुनौती बन सकता है।
दल-बदल और चुनावी गणित
इस चुनाव में दल-बदल की राजनीति सरायकेला विधानसभा के समीकरण को पूरी तरह बदल सकती है। लालटू महतो की कुड़मी समुदाय पर मजबूत पकड़ मानी जाती है, और उनकी झामुमो में एंट्री ने चुनावी माहौल को और गरमा दिया है। अब देखना होगा कि भाजपा इन बगावतों का किस प्रकार जवाब देती है। दोनों युवा नेता सन्नी सिंह और लालटू महतो का प्रभाव युवाओं पर भी है, जिससे झामुमो का पक्ष मजबूत हो सकता है।
भाजपा और झामुमो की चुनौती
भाजपा के पास इस बार 20 साल बाद सरायकेला सीट जीतने का मौका है। वहीं, झामुमो के लिए इस सीट को बचाना बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। दोनों ही पार्टियां पूरी ताकत से चुनावी मैदान में हैं और जनता का समर्थन पाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं।
इस बार का चुनावी नतीजा किसके पक्ष में जाएगा, यह जानने के लिए 23 नवंबर का इंतजार रहेगा।
What's Your Reaction?