Sahibganj Fake Currency: रेलवे स्टेशन पर चौंकाने वाली गिरफ्तारी, दो तस्कर पकड़े गए 4 लाख से ज्यादा के नकली नोटों के साथ!
साहिबगंज के बरहरवा रेलवे स्टेशन से जीआरपी ने दो तस्करों को 4 लाख से अधिक के जाली नोटों के साथ गिरफ्तार किया है। जानिए कैसे हुआ यह पर्दाफाश और कौन है इस रैकेट का मास्टरमाइंड।

साहिबगंज, झारखंड — रविवार शाम बरहरवा रेलवे स्टेशन एक बड़े खुलासे का गवाह बना, जब बरहरवा जीआरपी ने संदिग्ध गतिविधियों की सूचना पर कार्रवाई करते हुए 4 लाख 12 हजार रुपए के जाली नोटों के साथ पंजाब के दो तस्करों को दबोच लिया। इस घटना ने न केवल पूरे जिले में सनसनी फैला दी, बल्कि जाली नोटों के बढ़ते कारोबार की गहराई को भी उजागर कर दिया।
कैसे हुआ जाली नोट रैकेट का भंडाफोड़?
बरहरवा जीआरपी के सब इंस्पेक्टर बुद्धेश्वर उरांव ने जानकारी दी कि रविवार शाम रेलवे स्टेशन पर दो युवकों की गतिविधियां संदिग्ध लग रही थीं। शक के आधार पर दोनों को हिरासत में लिया गया और उनके पास मौजूद दो बैगों की तलाशी ली गई।
जब बैग खोले गए तो उनमें से 500-500 रुपए के नोटों की भारी गड्डियां निकलीं। तुरंत जांच की गई और पाया गया कि सभी नोट जाली हैं। जीआरपी ने दोनों तस्करों को गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ शुरू कर दी।
कौन हैं ये तस्कर?
गिरफ्तार तस्करों की पहचान पंजाब के लुधियाना जिले के रहने वाले युवकों के रूप में हुई:
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तीरथ सिंह, थाना दिवा रोड, गली नंबर 7 का निवासी, जिसके बैग से ₹2.14 लाख के जाली नोट बरामद किए गए।
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इंद्रजीत सिंह, थाना बर्धमान, विश्वकर्मा नगर, ताजपुर रोड का निवासी, जिसके पास से ₹1.98 लाख के नकली नोट मिले।
इन दोनों ने पूछताछ में बताया कि उन्हें यह नकली करेंसी बरहरवा के मिर्जापुर गांव से मिली, जहां के निवासी कालू घोष के घर से उन्होंने नोट हासिल किए।
कौन है मास्टरमाइंड?
पूछताछ में कालू घोष का नाम सामने आया, जिसे तुरंत हिरासत में लिया गया। कालू ने पुलिस को बताया कि नकली नोटों की आपूर्ति पश्चिम बंगाल के फरक्का निवासी विप्लव घोष ने की थी, जो उसका रिश्तेदार है।
विप्लव घोष इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है, जो बंगाल से झारखंड होते हुए पंजाब तक नकली करेंसी पहुंचाने का नेटवर्क चला रहा है। पुलिस अब उसकी गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी कर रही है।
नकली नोटों का इतिहास और नेटवर्क
भारत में नकली नोटों का इतिहास कोई नया नहीं है। 1990 के दशक से लेकर अब तक नकली मुद्रा का उपयोग देश को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए होता रहा है। खासकर भारत-पाकिस्तान सीमा और बांग्लादेश-भारत बॉर्डर से जुड़े इलाकों में ऐसे कई नेटवर्क सक्रिय पाए गए हैं।
इस बार जो मामला सामने आया है, उसमें खास बात यह है कि नकली नोटों की डिस्ट्रीब्यूशन पंजाब तक हो रही थी, जो बताता है कि नेटवर्क कितनी दूर तक फैला हुआ है।
पुलिस की कार्रवाई और अगला कदम
बरहरवा जीआरपी ने बताया कि इस पूरी कार्रवाई में एसआई बुद्धेश्वर उरांव, एएसआई मंसू मरांडी, कमलेश कुमार, गौरी शंकर पासवान, अनिल सोरेन, वरुण कुमार और सत्येंद्र कुमार ने अहम भूमिका निभाई।
गिरफ्तार दोनों तस्करों को जेल भेज दिया गया है, और मिर्जापुर निवासी कालू घोष से गहन पूछताछ जारी है। पुलिस का अगला लक्ष्य विप्लव घोष को पकड़ना है, जिससे यह जानने की कोशिश की जाएगी कि इसके पीछे कोई अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क तो नहीं है।
बरहरवा रेलवे स्टेशन से हुई यह गिरफ्तारी केवल एक कार्रवाई नहीं, बल्कि एक बड़े नेटवर्क के सुराग की शुरुआत हो सकती है। नकली नोट देश की अर्थव्यवस्था को खोखला करने का सबसे खतरनाक जरिया हैं, और जब इन्हें रेलवे जैसे अहम माध्यम से ट्रांसपोर्ट किया जा रहा हो, तो सवाल और गहराते हैं।
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