मध्य प्रदेश के रीवा में दो महिलाओं को जिंदा गाड़ने की कोशिश! क्या इंसानियत मर गई है?
मध्य प्रदेश के रीवा में जमीनी विवाद ने खौफनाक रूप ले लिया जब दबंगों ने सड़क निर्माण का विरोध करने वाली दो महिलाओं को मुरुम मिट्टी में जिंदा गाड़ने की कोशिश की। परिवार वालों की सूझबूझ से उनकी जान बची, लेकिन यह घटना इंसानियत पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।
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रीवा, मध्य प्रदेश: क्या इंसानियत इतनी गिर गई है कि अब जमीन के लिए महिलाओं को जिंदा गाड़ने की कोशिश की जाएगी? हिनौवा गांव में जमीनी विवाद ने ऐसा भयानक मोड़ लिया कि यह सवाल हर किसी के मन में उठने लगा है। इस घटना में दो महिलाओं के साथ जो हुआ, वह न केवल हैरान करने वाला है, बल्कि रौंगटे खड़े कर देने वाला भी है।
क्या हुआ था उस दिन?
घटना रीवा जिले के हिनौवा गांव की है, जहां निजी जमीन पर जबरन सड़क निर्माण को लेकर विवाद चल रहा था। इस विवाद का कारण था जमीन पर अवैध रूप से सड़क बनाने की कोशिश। जब इस निर्माण का विरोध करने दो महिलाएं, आशा पांडेय और ममता पांडेय, आगे आईं, तो दबंगों ने बिना सोचे-समझे इनकी जान को ही खतरे में डाल दिया। सड़क निर्माण में उपयोग की जा रही मुरुम मिट्टी से भरे डम्पर को महिलाओं पर उड़ेल दिया गया, जिससे एक महिला गले तक और दूसरी कमर तक मिट्टी में धंस गईं।
आखिर क्यों हुआ ऐसा अमानवीय व्यवहार?
मामला तब शुरू हुआ जब राजेश सिंह उर्फ छुटकउ अपने डम्पर और जेसीबी लेकर विवादित जमीन पर सड़क निर्माण करने पहुंचे। जब महिलाओं ने इसका विरोध किया, तो दूसरे पक्ष के गोकर्ण पांडेय, महेंद्र पांडेय और चंद्रभान पांडेय सहित आधे दर्जन से ज्यादा लोगों ने महिलाओं पर हमला कर दिया। इन लोगों ने ना सिर्फ महिलाओं के साथ मारपीट की, बल्कि उनको जिंदा दफनाने जैसा दुस्साहस भी कर डाला।
वीडियो हुआ वायरल, पुलिस की कार्रवाई कितनी प्रभावी?
इस घटना का वीडियो तेजी से वायरल हो गया, जिससे पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। महिलाओं के परिवार के लोग जब मौके पर पहुंचे, तो उन्होंने फावड़े की मदद से महिलाओं को मिट्टी से बाहर निकाला। गंगेव पुलिस चौकी ने तुरंत कार्रवाई करते हुए डम्पर मालिक और अन्य आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। महिलाओं का इलाज कराया गया है और अब उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
क्या अब भी मिलेगा न्याय?
इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कब तक जमीनी विवादों में इंसानियत कुचली जाती रहेगी? क्या महिलाओं के साथ इस तरह का अमानवीय व्यवहार अब आम होता जा रहा है? या फिर समाज को ऐसे अपराधों के खिलाफ और कठोर कदम उठाने की जरूरत है?
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