Ranchi Protest: शिल्पी तिर्की के आदेश के बाद पंचायत स्वयंसेवकों में आक्रोश, बेरोजगारी का संकट!

Ranchi में कृषि मंत्री शिल्पी तिर्की के आदेश के बाद पंचायत स्वयंसेवकों में भारी आक्रोश है। जानें क्यों वे बेरोजगारी के संकट से जूझ रहे हैं और क्यों इस फैसले के खिलाफ आंदोलन की बात हो रही है।

Jan 8, 2025 - 19:46
Jan 8, 2025 - 20:59
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Ranchi Protest: शिल्पी तिर्की के आदेश के बाद पंचायत स्वयंसेवकों में आक्रोश, बेरोजगारी का संकट!
Ranchi Protest: शिल्पी तिर्की के आदेश के बाद पंचायत स्वयंसेवकों में आक्रोश, बेरोजगारी का संकट!

रांची, 8 जनवरी 2025: झारखंड राज्य के पंचायत स्वयंसेवकों के लिए 2025 की शुरुआत एक नए संकट के रूप में आई है। राज्य के कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की द्वारा हाल ही में दिए गए आदेश ने पंचायत स्वयंसेवकों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। मंत्री के आदेश के बाद से पंचायत स्वयंसेवकों का भविष्य संकट में नजर आ रहा है, और उनके सामने बेरोजगारी का खतरा मंडरा रहा है।

राज्य स्तरीय पंचायत सहायक संघ के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रदीप कुमार ने मंत्री के इस आदेश का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि पंचायत स्वयंसेवकों के लिए सरकार की यह नई योजना उन्हें बेरोजगार बनाने की साजिश है। चंद्रदीप कुमार का आरोप है कि सरकार एक ओर बेरोजगारों को रोजगार देने की बात करती है, लेकिन वहीं दूसरी ओर पंचायत स्वयंसेवकों को बेरोजगार करने का कदम उठा रही है।

क्या है इस विवाद का कारण?

आदेश के अनुसार, आवास कार्य के जियो टैगिंग का काम पंचायत स्वयंसेवकों द्वारा किया जाता है। लेकिन कृषि मंत्री शिल्पी तिर्की के बयान के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या पंचायत स्वयंसेवकों का यह अहम कार्य अब खत्म किया जाएगा? पंचायत स्वयंसेवकों का कहना है कि वे पिछले कई वर्षों से यह कार्य करते आ रहे हैं, और इस काम के कारण ही झारखंड को प्रधानमंत्री आवास योजना में तीन बार नंबर एक स्थान प्राप्त हुआ है।

पंचायत स्वयंसेवकों की भूमिका:

पंचायत स्वयंसेवक झारखंड में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आए हैं। 2016 से लेकर अब तक इन स्वयंसेवकों ने ही राज्य के विभिन्न हिस्सों में आवास कार्यों का जियो टैग किया है। चंद्रदीप कुमार का कहना है कि आवास कार्यों के जियो टैगिंग की जिम्मेदारी पंचायत स्वयंसेवकों के पास ही है और सरकार के इस कदम से उनकी रोजी-रोटी छिन सकती है।

सरकार की नीतियों पर सवाल:

2014 में झारखंड सरकार ने पंचायत स्वयंसेवकों को 2500 रुपये प्रति माह देने की घोषणा की थी। हालांकि, यह योजना अभी तक लागू नहीं हो पाई है, और पंचायत स्वयंसेवकों का कहना है कि अब सरकार उनकी मेहनत को दरकिनार कर उन्हें बेरोजगार बनाने की तैयारी कर रही है। इस विषय पर उन्होंने कृषि मंत्री से अपील की है कि वे पंचायत स्वयंसेवकों के खिलाफ गलत बयानबाजी न करें। अगर सरकार अपनी नीति पर पुनर्विचार नहीं करती है, तो पंचायत स्वयंसेवक एक बार फिर आंदोलन की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

आंदोलन की चेतावनी:

पंचायत स्वयंसेवकों का कहना है कि अगर मंत्री ने अपने आदेश पर पुनर्विचार नहीं किया तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे। यह आंदोलन सिर्फ पंचायत स्वयंसेवकों के हित में नहीं, बल्कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों के महत्व को पहचानने के लिए भी होगा।

राजनीतिक संदर्भ:

झारखंड में पंचायत स्वयंसेवकों का महत्व हमेशा से रहा है। 2016 से 2024 तक इस समुदाय ने प्रधानमंत्री आवास योजना को सफल बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। झारखंड को आवास योजना में टॉप रैंक हासिल करने का श्रेय भी पंचायत स्वयंसेवकों को जाता है। ऐसे में मंत्री का यह बयान कई सवाल खड़े करता है, खासकर जब पंचायत स्वयंसेवकों की मेहनत के बावजूद उन्हें उचित सम्मान और रोजगार नहीं मिल रहा है।

आखिरकार क्या होगा पंचायत स्वयंसेवकों का भविष्य?

यह विवाद केवल पंचायत स्वयंसेवकों के भविष्य का सवाल नहीं है, बल्कि यह झारखंड के ग्रामीण विकास मॉडल और सामाजिक सुरक्षा के मुद्दे पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम को लेकर पंचायत स्वयंसेवकों की आशंकाएं सही हैं या नहीं, यह समय ही बताएगा।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।