Ranchi Literary Event: चोंच भर बादल काव्य संग्रह का भव्य लोकार्पण
राँची में आयोजित राष्ट्रीय पुस्तक मेले में वीणा श्रीवास्तव के काव्य संग्रह 'चोंच भर बादल' का लोकार्पण किया गया। जानिए इस साहित्यिक कार्यक्रम की खास बातें, जिनमें साहित्यकारों की प्रेरक बातें और कविता की ताकत की चर्चा हुई।
राँची के जिला स्कूल मैदान में आयोजित राष्ट्रीय पुस्तक मेले में मंगलवार को वीणा श्रीवास्तव के काव्य संग्रह ‘चोंच भर बादल’ का भव्य लोकार्पण किया गया। इस आयोजन को शब्दकार साहित्यिक समूह और पुस्तक मेला समिति के द्वारा संयोजित किया गया था। कार्यक्रम की शुरुआत अंशुमान की सरस्वती वंदना से हुई, जो इस साहित्यिक संध्या की सुंदरता में चार चाँद लगा गई।
काव्य संग्रह की विशेषताएँ और विचार
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार श्री अशोक प्रियदर्शी ने कवियित्री वीणा श्रीवास्तव को उनकी उत्कृष्ट रचनाओं के लिए बधाई दी और कहा कि “वीणा श्रीवास्तव की कविताओं में ऊँचाई और गहराई दोनों हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि उनकी कविताएँ न केवल भावनाओं का शानदार चित्रण करती हैं, बल्कि समाज की वास्तविकताओं को भी उकेरती हैं।
श्री शंभू बादल ने कहा कि वीणा श्रीवास्तव की कविताएँ समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों, जैसे पुरुष वर्चस्व, स्त्री उत्पीड़न और लूट खसोट के खिलाफ एक सशक्त आवाज़ हैं। उन्होंने कवयित्री की एक कविता “याद रखना, मैं औरत हूँ, कैक्टस में फूल खिलाना जानती हूँ” का पाठ किया, जो उपस्थित श्रोताओं के दिलों को छू गई।
साहित्यकारों और विद्वानों के विचार
डॉक्टर कमल बोस ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि “कोई बड़ा काम करने के लिए धन की नहीं, मन की जरूरत है।” उन्होंने टैगोर के शब्दों का उल्लेख करते हुए कहा, “हमारे मन में एक वियोगिनी बैठी होती है,” जो कविता के माध्यम से व्यक्त होती है। उनका मानना था कि कविता यथार्थ की आत्मा है और कवि का पुरूषार्थ उसका सार है।
डॉक्टर बिनोद कुमार ने कहा कि ‘चोंच भर बादल’ की कविताएँ आज के समाज का सच हैं और इनमें आत्मबोध की गहरी भावनाएँ छिपी हुई हैं। उन्होंने इस काव्य संग्रह को एक ऐसा रास्ता बताया, जो हमें आत्ममूल्य की ओर ले जाता है।
शब्दकार का योगदान और बढ़ती सदस्य संख्या
कार्यक्रम की शुरुआत में शब्दकार साहित्यिक समूह की अध्यक्ष रश्मि शर्मा ने स्वागत करते हुए कहा, “यह हम सब के लिए खुशी की बात है कि शब्दकार के सदस्य लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हमारा साहित्यिक कारवाँ बढ़ता जा रहा है और इससे हम सभी को प्रेरणा मिलती है।”
कवयित्री का व्यक्तिगत विचार और काव्य संग्रह की उत्पत्ति
कवयित्री वीणा श्रीवास्तव ने अपने चौथे काव्य संग्रह ‘चोंच भर बादल’ के बारे में बताया कि इस पुस्तक का नामकरण आदरणीय नामवर जी ने किया था, जो उनके लिए एक बड़ा सम्मान था। उन्होंने अपनी रचनाओं के बारे में भी बात की और बताया कि ये कविताएँ जीवन के विविध पहलुओं को सशक्त तरीके से प्रस्तुत करती हैं।
कार्यक्रम का सफल संचालन और उपस्थिति
कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन सीमा चंद्रिका तिवारी ने किया, जिनकी प्रस्तुतियों ने माहौल को जीवंत बना दिया। इस अवसर पर शब्दकार की उपाध्यक्ष संगीता कुजारा टॉक, सदस्य जय माला, और शहर के अन्य प्रबुद्ध साहित्यकार जैसे कुमार विजेंद्र, पंकज मित्र, चंद्रिका तिवारी, राकेश रमण, पूनम आनंद, मयंक मुरारी, प्रणव प्रियदर्शी, सुमिता सिन्हा, मधुमिता साहा, कविता सिंह, चारूमित्रा, रेणु मिश्रा, अनुपम श्री, विजय श्रीवास्तव, सोनू कृष्णन, डॉ अशोक प्रमाणिक आदि उपस्थित थे।
साहित्य की शक्ति और सामाजिक बदलाव की दिशा
इस कार्यक्रम ने न केवल वीणा श्रीवास्तव की कविता को मान्यता दी, बल्कि यह समाज में कविता की शक्ति और साहित्यिक संवाद की अहमियत को भी उजागर किया। ऐसे आयोजनों से यह संदेश जाता है कि साहित्य समाज के हर पहलू को उजागर करने की ताकत रखता है और यह हमेशा हमारे विचारों और दृष्टिकोणों को प्रभावित करता है।
‘चोंच भर बादल’ काव्य संग्रह का लोकार्पण राँची में आयोजित इस साहित्यिक समारोह का मुख्य आकर्षण था। यह आयोजन न केवल वीणा श्रीवास्तव के काव्य योगदान को सम्मानित करता है, बल्कि यह रचनात्मकता और साहित्य के महत्व को भी प्रमोट करता है। साहित्यिक समाज का एकजुट होना और सामाजिक मुद्दों पर गहरी सोच को बढ़ावा देना ऐसे कार्यक्रमों के मुख्य उद्देश्य हैं।
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