ग़ज़ल - 15 - नौशाद अहमद सिद्दीकी

तीर खा खा के भी सुनो मुस्कुराने वाले,  हम हैं दुश्मन को भी अपना बनाने वाले....

Sep 25, 2024 - 16:44
Sep 26, 2024 - 13:09
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ग़ज़ल  - 15  - नौशाद अहमद सिद्दीकी
ग़ज़ल - 15 - नौशाद अहमद सिद्दीकी

ग़ज़ल 

तीर खा खा के भी सुनो मुस्कुराने वाले, 
हम हैं दुश्मन को भी अपना बनाने वाले।   

हो के मदहोश नशें में भी ऐ जमाने वाले, 
आए मयखाने की आदाब सिखाने वाले।   

लड़खड़ाएंगें क़दम और न ज़बां  फिसलेंगी, 
क्यों कि हम लोग हैं ग़ालिब के घराने वाले।   

की बहुत ज़िद कि न पियेंगे मगर मान गए, 
शेख़ जी आज हैं मयखाने में आने वाले।   

रूबरू जब नहीं कह पाते हैं नौशाद, 
तब इशारों में बताते हैं बताने वाले।  

गज़लकार  
नौशाद अहमद सिद्दीकी,

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।