Ranchi Mining Scandal: रांची में अवैध खनन पर सेंट्रल इंटेलीजेंस की नजर, राजनीतिक हलकों में हड़कंप

रांची में अवैध खनन और ट्रांसपोर्टर माफिया का बड़ा खेल। सेंट्रल इंटेलीजेंस ने वन, खनन विभाग और जिला प्रशासन की भूमिका पर कसी नजर। पढ़ें पूरी खबर।

Dec 24, 2024 - 19:06
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Ranchi Mining Scandal: रांची में अवैध खनन पर सेंट्रल इंटेलीजेंस की नजर, राजनीतिक हलकों में हड़कंप
Ranchi Mining Scandal: रांची में अवैध खनन पर सेंट्रल इंटेलीजेंस की नजर, राजनीतिक हलकों में हड़कंप

रांची: झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में अवैध खनन का मामला सेंट्रल इंटेलीजेंस तक पहुंच चुका है। खनन माफिया, ट्रांसपोर्टरों और स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत का ऐसा खेल सामने आ रहा है, जिसने राज्य सरकार के राजस्व पर बड़ा असर डाला है।

इस मामले में वन विभाग, खनन विभाग और जिला प्रशासन की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। खबरों के अनुसार, खनन माफिया ने झारखंड के एक कद्दावर नेता से संपर्क कर वर्तमान पुलिस अधीक्षक (SP) को हटाने की साजिश रची है। वहीं, इस अवैध खेल में भारी मात्रा में धन का लेन-देन और राजनीतिक संरक्षण का खुलासा भी हुआ है।

खनन माफिया का खेल: तीन करोड़ की साजिश

सूत्रों के मुताबिक, खनन माफिया और ट्रांसपोर्टर एक ईमानदार पुलिस अधीक्षक को हटाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इसके लिए तीन करोड़ रुपये की फंडिंग तैयार की जा रही है। माफिया की योजना है कि किरीबुरू के पूर्व SDPO को जिले का नया SP बनाया जाए, ताकि बंद खदानों से अवैध खनन को तेजी से अंजाम दिया जा सके।

नोवामुंडी और बड़ाजामदा जैसे इलाकों में इस साजिश को अंजाम देने की तैयारी चल रही है। इन इलाकों में अवैध खनन और लौह अयस्क की अवैध धुलाई जोरों पर है।

अवैध खनन पर सेंट्रल इंटेलीजेंस की कड़ी नजर

सेंट्रल इंटेलीजेंस ने बड़ाजामदा और नोवामुंडी इलाकों में अपनी टीम तैनात कर दी है। इन इलाकों में अवैध खनन और ट्रांसपोर्ट गतिविधियों की रिपोर्ट सीधे भारत सरकार को भेजी जा रही है।

सूत्रों के अनुसार, हाल ही में रेलवे साइडिंग की सफाई के नाम पर लगभग 1 लाख टन लौह अयस्क की अवैध धुलाई की गई है। इस मामले की गुप्त रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपी गई है, जिसके बाद केंद्र ने इसे गंभीरता से लिया है।

खनन माफिया के बढ़ते हौसले: "CM हाउस सेट है"

खनन माफिया का दावा है कि उनके पास राज्य के उच्चतम स्तर का राजनीतिक संरक्षण है। सूत्र बताते हैं कि माफिया सरगना ने यह कहते हुए अपने सहयोगियों को आश्वस्त किया है कि "CM हाउस सेट है, डरने की जरूरत नहीं।"

यह दावा बताता है कि अवैध खनन के इस खेल में राजनीतिक दबाव और संरक्षण कितना गहरा है।

पृष्ठभूमि: झारखंड का खनन विवाद

झारखंड लंबे समय से अपने खनिज संसाधनों के लिए जाना जाता है। लेकिन, अवैध खनन और राजस्व की हानि का मुद्दा हमेशा से चर्चा में रहा है।
पश्चिमी सिंहभूम जिला पहले भी खनन घोटालों का गवाह रहा है। 25 साल पहले कोड़ा दंपति के शासनकाल में खनन माफिया की सक्रियता चरम पर थी। अब फिर से वही तस्वीर उभर रही है।

स्थानीय प्रशासन और विभागों की भूमिका पर सवाल

इस अवैध खनन के मामले में खनन विभाग, वन विभाग और जिला प्रशासन की भूमिका संदेह के घेरे में है। स्थानीय पुलिस भी माफिया के प्रभाव में काम करती दिख रही है।

रेलवे साइडिंग से लेकर बंद खदानों तक, हर जगह अवैध गतिविधियां जारी हैं। यहां तक कि क्रशर मालिकों की मिलीभगत की बात भी सामने आई है।

क्या कहते हैं जानकार?

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते इस अवैध खनन को रोका नहीं गया, तो यह न केवल राज्य के राजस्व को नुकसान पहुंचाएगा बल्कि क्षेत्र के सामाजिक और पर्यावरणीय संतुलन को भी बिगाड़ देगा।

रांची में अवैध खनन का यह मामला राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों के लिए चुनौती बन गया है। सेंट्रल इंटेलीजेंस की नजर में आने के बाद उम्मीद है कि इस पर कड़ी कार्रवाई होगी।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं और खनन माफिया के हौसलों को कैसे काबू में लाते हैं।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।