Ranchi Crime: रेप के बाद इंजीनियरिंग छात्रा को जलाकर मारने वाले की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
रांची में 19 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्रा के रेप और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी की मौत की सजा पर रोक लगा दी। जानें, इस क्रूर घटना के पीछे की पूरी कहानी।
रांची, झारखंड। 19 साल की एक इंजीनियरिंग छात्रा के साथ रेप और हत्या के दिल दहला देने वाले मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने दोषी को दी गई मृत्युदंड की सजा पर रोक लगा दी। यह घटना झारखंड की राजधानी रांची में 15 दिसंबर 2016 को हुई थी, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस मामले में दोषी राहुल कुमार उर्फ राहुल राज को पहले निचली अदालत और फिर हाईकोर्ट से मौत की सजा सुनाई गई थी।
क्या हुआ था उस रात?
2016 की ठंडी रात में, रांची की यह घटना खबरों की सुर्खियां बनी। 19 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्रा के साथ पहले रेप किया गया और फिर गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी गई। हत्या के बाद, दोषी ने उसके शव को आग के हवाले कर दिया। इस क्रूर अपराध ने न केवल रांची बल्कि पूरे देश को आक्रोशित कर दिया था।
न्याय की लड़ाई और सुप्रीम कोर्ट का फैसला
इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने इस साल 9 सितंबर को निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए दोषी को मौत की सजा की पुष्टि की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस सजा पर रोक लगा दी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत, पंकज मिथल, और उज्जल भुइयां की पीठ ने निचली और उच्च अदालत से मामले की पूरी रिकॉर्ड की प्रमाणित और अनुवादित प्रतियां मांगी हैं।
पीठ ने कहा, "मृत्युदंड पर रोक रहेगी जब तक मामले की पूरी सुनवाई नहीं हो जाती।" सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद मामले में नया मोड़ आ गया है।
रांची से बिहार तक का सफर
दोषी राहुल कुमार, बिहार के नवादा जिले का निवासी है। घटना के तीन साल बाद 2019 में निचली अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने इसे बरकरार रखा, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गहराई से जांच के लिए रोक लगा दी है।
झारखंड में दूसरा झटका
इसी के साथ झारखंड में पॉक्सो एक्ट के तहत एक अन्य मामले में भी अदालत ने कठोर सजा सुनाई है। हिंदपीढ़ी थाना क्षेत्र के निवासी मो. अली उर्फ नूर अली को एक नाबालिग से जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने के मामले में 20 साल कैद की सजा सुनाई गई है। साथ ही, 15,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
इस घटना में आरोपी ने शादी का झांसा देकर नाबालिग को बहलाया और धमकी देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। बाद में आरोपी ने न केवल पीड़िता को चुप रहने के लिए कहा बल्कि उसके माता-पिता और परिवार के सदस्यों के साथ मारपीट भी की।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: रेप और मौत की सजा
भारत में रेप और हत्या जैसे मामलों में सजा के इतिहास को देखें तो निर्भया केस के बाद ऐसे अपराधों में मौत की सजा देने का चलन बढ़ा। 2012 के निर्भया केस के बाद सरकार ने पॉक्सो एक्ट और दंड संहिता में कई कड़े संशोधन किए। इसके बावजूद, अपराधों में कमी नहीं आई।
झारखंड की यह घटना भी उसी क्रूरता का प्रतिबिंब है, जहां पीड़िता को न केवल रेप का शिकार बनाया गया बल्कि उसकी हत्या कर दी गई।
क्या है भविष्य?
इस घटना से जुड़े ताजा सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या मृत्युदंड पर रोक का मतलब है कि आरोपी को सजा में रियायत मिलेगी? या यह न्याय प्रक्रिया का हिस्सा है?
आखिरकार, इस मामले ने भारत में कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा पर फिर से बहस छेड़ दी है।
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