Ranchi Court Verdict: शादी का झांसा देकर किया विश्वासघात, CRPF जवान को 10 साल की सजा!
रांची कोर्ट ने 6 साल पुराने मामले में CRPF जवान को सुनाई 10 साल की सजा। शादी का झांसा देकर रिश्ते बनाने के बाद शादी से मुकरने पर कोर्ट ने सुनाया कड़ा फैसला। जानिए पूरा मामला।
रांची: झारखंड के लोहरदगा जिले के कुडू थाना क्षेत्र से जुड़ा 6 साल पुराना मामला एक अहम मोड़ पर पहुंच गया है। रांची की अदालत ने CRPF जवान अमित उरांव को 10 साल की सजा सुनाई है, साथ ही 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
यह मामला शादी के झूठे वादे और विश्वासघात से जुड़ा हुआ है, जिसमें अदालत ने पीड़िता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कड़ी कार्रवाई की।
क्या था पूरा मामला?
- अमित उरांव का 2017 में CRPF में चयन हुआ था और वह प्रशिक्षण के लिए बाहर चला गया था।
- 2018 में वापस लौटने के बाद, उसने महिला से दोस्ती बढ़ाई और रॉक गार्डन ले जाकर नजदीकियां बनाई।
- पीड़िता के अनुसार, उसने शादी का वादा किया और लंबे समय तक उसे भरोसे में रखकर संबंध बनाए।
- जब शादी की बात आई, तो उसने मना कर दिया, जिसके बाद मामला कानूनी दायरे में चला गया।
कानूनी प्रक्रिया और अदालत का फैसला
- 2019 में नगड़ी थाना में पीड़िता ने प्राथमिकी दर्ज कराई।
- अदालत में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 4 गवाहों की गवाही दर्ज कराई गई।
- विशेष अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने अमित उरांव को दोषी करार दिया।
- 10 साल की कैद और 10,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई।
- जुर्माना न भरने पर उसे एक साल की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
इस फैसले का क्या मतलब है?
- यह फैसला कानूनी प्रक्रिया की सख्ती को दर्शाता है, जिसमें किसी भी प्रकार के झूठे वादों और धोखाधड़ी को गंभीरता से लिया जाता है।
- महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में यह एक मिसाल बन सकता है।
- यह दिखाता है कि कानून किसी के साथ अन्याय नहीं होने देगा और ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अब आगे क्या?
- अमित उरांव को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
- इस मामले में अभी भी ऊपरी अदालत में अपील करने का विकल्प मौजूद है।
- अदालत के फैसले से समाज में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक मजबूत संदेश गया है।
रांची कोर्ट का यह फैसला महिलाओं के अधिकारों और न्याय व्यवस्था की मजबूती का प्रतीक है। यह दिखाता है कि किसी भी प्रकार के झूठे वादे और विश्वासघात को कानून हल्के में नहीं लेता। अब देखना यह होगा कि क्या दोषी ऊपरी अदालत में अपील करेगा, या सजा काटेगा?
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