Jharkhand Crime: जेल में बैठकर करोड़ों की उगाही कर रहा गैंगस्टर सुजीत सिन्हा, कॉरपोरेट कंपनी की तरह चला रहा गिरोह!
झारखंड का कुख्यात गैंगस्टर सुजीत सिन्हा हजारीबाग जेल में रहकर भी करोड़ों की रंगदारी वसूल रहा है। जांच में खुलासा हुआ कि वह अपने गुर्गों को हर महीने वेतन देकर संगठित अपराध चला रहा है। जानिए पूरा मामला।
रांची: झारखंड का कुख्यात गैंगस्टर सुजीत सिन्हा भले ही हजारीबाग जेल में बंद हो, लेकिन उसका गैंग आज भी करोड़ों रुपये की रंगदारी वसूल रहा है। पुलिस और एटीएस की जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि सुजीत सिन्हा अपने आपराधिक नेटवर्क को किसी मल्टीनेशनल कंपनी की तरह चला रहा है।
गैंगस्टर अपने गुर्गों को हर महीने तय वेतन देता है, साथ ही अपराध को अंजाम देने के लिए हर तरह की सुविधाएं भी मुहैया कराता है।
कैसे करता है गैंग ऑपरेट?
- गैंग के गुर्गों को 15,000 से 40,000 रुपये तक वेतन मिलता है।
- रेकी करने वाले, रंगदारी मांगने वाले और हथियार रखने वालों के लिए अलग-अलग भुगतान तय है।
- गिरोह का पूरा नेटवर्क सोशल मीडिया और डिजिटल कम्युनिकेशन के जरिए चलता है।
- गैंग के निशाने पर कोयला कारोबारी, जमीन दलाल, ठेकेदार और व्यवसायी रहते हैं।
जांच में क्या हुआ खुलासा?
- झारखंड एटीएस और रांची पुलिस की जांच में यह बात सामने आई कि सुजीत सिन्हा जेल में बैठकर अपराध की कमान संभाल रहा है।
- गैंग के गुर्गे हर महीने करोड़ों रुपये की रंगदारी वसूल रहे हैं।
- अपराधियों की सूची तैयार कर कारोबारियों से फिरौती मांगी जाती है।
- गिरोह के खास लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए निर्देश जारी करते हैं।
- अगर कोई रंगदारी नहीं देता, तो उसे धमकी दी जाती है।
सुजीत सिन्हा का नेटवर्क कितना बड़ा?
- पुलिस के अनुसार, झारखंड भर में गैंग के तीन दर्जन से अधिक सक्रिय सदस्य हैं।
- कोयला कारोबार, जमीन सौदेबाजी, सरकारी टेंडर, रेलवे प्रोजेक्ट तक में हस्तक्षेप करता है गैंग।
- अधिकांश रंगदारी गुर्गों के माध्यम से मांगी जाती है, लेकिन कुछ मामलों में खुद सुजीत भी फोन करता है।
पुलिस की कार्रवाई और आगे की योजना
- पुलिस अब गिरोह के नेटवर्क को तोड़ने के लिए डिजिटल ट्रांजेक्शन और फोन रिकॉर्ड खंगाल रही है।
- गैंग के कुछ गुर्गों की पहचान कर उनकी गिरफ्तारी की तैयारी चल रही है।
- सुजीत सिन्हा पर पहले से हत्या, फिरौती, रंगदारी और गोलीबारी के कई मामले दर्ज हैं।
- झारखंड पुलिस अब जेल के अंदर से हो रहे अपराधों पर सख्ती से लगाम लगाने की योजना बना रही है।
झारखंड में संगठित अपराध का यह मॉडल पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस पूरे नेटवर्क को खत्म करने में सफल होगा, या फिर अपराधियों का यह 'कॉरपोरेट गैंग' और ज्यादा मजबूत होता जाएगा? अब देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले दिनों में पुलिस इस मामले में क्या बड़ी कार्रवाई करती है।
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