आदिवासियों के भूमि अधिकारों को बचाने में पीएम मोदी का बड़ा कदम: सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई
वन अधिकार अधिनियम के तहत आदिवासियों के भूमि स्वामित्व के दावों को खारिज करने पर पीएम मोदी की रिव्यू पिटीशन के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई। झामुमो सरकार पर पेसा कानून लागू न करने का आरोप।
झारखंड, 10 सितंबर 2024: वन अधिकार अधिनियम के तहत अनुसूचित जनजातियों और अन्य पारंपरिक वनवासियों के भूमि स्वामित्व के दावों को खारिज कर दिया गया था। इसके बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक रिव्यू पिटीशन दाखिल की। सुप्रीम कोर्ट ने अब अपने फैसले पर रोक लगा दी है, जिससे लाखों आदिवासी परिवारों को बेदखल होने से बचाया जा सका है।
झामुमो सरकार पर आदिवासियों के अधिकारों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए, भाजपा नेता लखन मार्डी ने कहा कि राज्य सरकार ने पेसा कानून लागू नहीं किया है। पेसा कानून के माध्यम से आदिवासियों को ग्रामसभा के माध्यम से संवैधानिक अधिकार मिलते हैं। झारखंड की 2026 पंचायतें, जो पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में आती हैं, पेसा कानून के अधीन हैं।
लखन मार्डी ने आरोप लगाया कि झामुमो सरकार ने पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए माफियाओं के माध्यम से कोयला, बालू, पत्थर, लकड़ी आदि की लूट जारी रखी है। उन्होंने कहा कि झारखंड छोड़कर ज्यादातर राज्यों में पेसा कानून लागू है, लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार ने पिछले पांच वर्षों में इसे लागू नहीं किया है। इस प्रकार, आदिवासियों को उनके अधिकारों से वंचित करने का काम जेएमएम सरकार ने किया है।
श्री मार्डी ने सभी को 15 सितंबर को जमशेदपुर के गोपाल मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। इस अवसर पर भाजपा दामपाड़ा मंडल अध्यक्ष संजय महाकुड़, दिलीप मुर्मू, सौरभ हांसदा, मुनीराम सोरेन, पवन टुडू, विकास बिशई, बबलु टुडू, मंगल मुर्मू, बास्ता मुर्मू, श्याम मुर्मू, लुस्की टुडू, फुलमुनी मानकी समेत कई अन्य ग्रामीण उपस्थित थे।
इस घटनाक्रम ने आदिवासियों के भूमि अधिकारों की सुरक्षा को लेकर महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं और राजनीतिक चर्चाओं का विषय बन गया है।
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