Palamu Shaheed: नम आंखों से दी गई विदाई, दंतेवाड़ा में शहीद जवान का पार्थिव शरीर पहुंचा गांव
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सली हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवान महिमानंद शुक्ला को पलामू में नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई। हजारों लोगों ने दी श्रद्धांजलि, नेताओं और अधिकारियों ने किया नमन।

पलामू: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 11 फरवरी को हुए बारूदी सुरंग विस्फोट में शहीद हुए महिमानंद शुक्ला को उनके पैतृक गांव कमलकेडिया, लेस्लीगंज में गमगीन माहौल में अंतिम विदाई दी गई। गुरुवार देर रात शहीद का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, जहां शुक्रवार को हजारों लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
गांव में शोक की लहर, अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब
जैसे ही शहीद महिमानंद शुक्ला का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, हर आंख नम हो गई। पूरा गांव "अमर शहीद महिमानंद शुक्ला अमर रहें" के नारों से गूंज उठा।
- अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा। लोग "भारत माता की जय" और "वंदे मातरम" के जयघोष कर रहे थे।
- परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था, पिता बार-बार अपने बेटे की तस्वीर को निहार रहे थे।
- मां और पत्नी की चीखें सुनकर वहां मौजूद हर कोई भावुक हो गया।
नेताओं और अधिकारियों ने दी श्रद्धांजलि
शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए चतरा सांसद कालीचरण सिंह, विधायक डॉ. शशि भूषण मेहता, सीआरपीएफ झारखंड सेक्टर आईजी साकेत सिंह, पलामू डीआईजी वाईएस रमेश, सीआरपीएफ डीआईजी पंकज कुमार समेत कई बड़े अधिकारी पहुंचे।
- सीआरपीएफ आईजी समेत अधिकारियों ने शहीद को कंधा दिया और सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी।
- सांसद और विधायकों ने परिवार को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया और कहा कि सरकार शहीद के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देगी।
कैसे हुआ यह हमला?
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में 11 फरवरी को नक्सलियों ने बारूदी सुरंग विस्फोट किया, जिसमें सीआरपीएफ जवान महिमानंद शुक्ला शहीद हो गए।
- यह हमला तब हुआ जब सीआरपीएफ की टुकड़ी इलाके में गश्त कर रही थी।
- नक्सलियों ने पहले से घात लगाकर आईईडी विस्फोट किया, जिसमें महिमानंद शुक्ला की मौके पर ही मौत हो गई।
- यह हमला नक्सलियों की बौखलाहट को दर्शाता है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा बलों ने उन पर लगातार दबाव बनाया है।
महिमानंद शुक्ला: बचपन से ही देश सेवा का जज्बा
महिमानंद शुक्ला का जन्म पलामू जिले के कमलकेडिया गांव में हुआ था। बचपन से ही वे देश सेवा का सपना देखते थे।
- 2008 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए और कई नक्सली अभियानों का हिस्सा रहे।
- उनकी बहादुरी और निडरता के किस्से गांव में हर कोई सुनाता है।
- परिवार में पत्नी और दो छोटे बच्चे हैं, जो अब इस वीर जवान की यादों के सहारे जिएंगे।
नक्सलियों के खिलाफ और सख्त कार्रवाई की मांग
शहीद के परिजनों और गांववालों ने सरकार से नक्सलियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
- परिजनों ने कहा कि शहीद के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाए।
- स्थानीय लोगों ने सरकार से मांग की कि गांव में शहीद के नाम पर कोई स्मारक बनाया जाए।
सरकार क्या करेगी?
झारखंड सरकार ने शहीद के परिवार को हर संभव सहायता देने की घोषणा की।
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर शहीद को श्रद्धांजलि दी और कहा कि सरकार परिवार को हरसंभव मदद देगी।
- परिवार को मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
शहीद का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा!
महिमानंद शुक्ला ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उनकी शहादत हर देशवासी के लिए गर्व की बात है। उनका बलिदान नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में एक और बड़ा कदम साबित होगा।
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