Odisha Tiger ने फिर किया आतंक, क्या वन विभाग की टीम पकड़ पाएगी उसे? जानिए क्या हो रहा है!
ओडिशा के सिमलीपाल से आई बाघिन ने राजाबासा और माचाडीहा के जंगलों में आतंक मचाया है। जानिए बाघिन के पकड़े जाने की पूरी कहानी और ग्रामीणों की चिंता!
ओडिशा के सिमलीपाल से निकलकर बाघिन ने पांचवें दिन फिर से चिंयाबांधी के जंगल को पार करते हुए राजाबासा और माचाडीहा के जंगल में कदम रख दिया है। यह घटना अब वन विभाग के लिए एक नई चुनौती बन गई है। बाघिन की लोकेशन के बारे में पता चलते ही ओडिशा और चाकुलिया के वन विभाग की टीमें सक्रिय हो गई हैं और रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हैं। इस बाघिन ने पहले भी लोगों के बीच दहशत फैलाई थी, और अब जब वह फिर से इन जंगलों में पहुँच चुकी है, तो ग्रामीणों के बीच घबराहट का माहौल है।
बाघिन की यात्रा और रेस्क्यू ऑपरेशन
बाघिन ने पहले चिंयाबांधी के जंगल में कुछ दिन बिताए थे, लेकिन अब वह राजाबासा और माचाडीहा के जंगल में आ चुकी है। वन विभाग की टीमें बाघिन को पकड़ने के लिए पूरे इलाके में नजर रखे हुए हैं। बाघिन की लोकेशन को ट्रैक करने के लिए जीपीएस सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है, ताकि उसकी गतिविधियों पर सटीक जानकारी मिल सके।
बाघिन के पकड़े जाने के लिए पहले चिंयाबांधी के जंगल में भैंसों को बांधा गया था, ताकि बाघिन इन भैंसों को शिकार करने के लिए आए और तब उसका रेस्क्यू किया जा सके। हालांकि, इस प्रयास में वन विभाग को कोई सफलता नहीं मिली। अब टीम ने माचाडीहा और राजाबासा के जंगलों में पूरी तैयारी के साथ बाघिन का पीछा करना शुरू किया है।
क्यों है बाघिन का यह खौफनाक कदम?
बाघिन का यह कदम विशेष रूप से इसलिए खतरनाक माना जा रहा है क्योंकि यह जंगल के बाहरी इलाके में आ चुकी है, जहां लोग और उनके जानवर ज्यादा होते हैं। बाघिन का इन इलाकों में आना, जहां पहले भी उसे देखे जाने की सूचना मिली थी, अब ग्रामीणों के लिए चिंता का कारण बन गया है। इस इलाके के जामुआ, माचाडीहा, सुनसुनिया, मोरबेड़ा और सानघाटी जैसे गांवों में लोग अब अपने घरों से बाहर निकलने में डर रहे हैं।
यह बाघिन पहले भी इन क्षेत्रों में आ चुकी है और उसकी गतिविधियों ने ग्रामीणों को भयभीत कर दिया है। खासकर रात के समय, जब यह बाघिन सक्रिय होती है, तो इलाके के लोग घरों में ही कैद रहने को मजबूर हो जाते हैं।
वन विभाग की तत्परता
वन विभाग अब पूरी तरह से तैयार है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे बाघिन को जल्द से जल्द रेस्क्यू करने के लिए पूरी कोशिश करेंगे। चाकुलिया और राजाबासा के जंगलों में तैनात टीमों ने अपनी रणनीति को तेज कर दिया है। बाघिन की खोज के लिए ट्रैप और अन्य उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बाघिन को पकड़ने के लिए जितना जल्द कदम उठाया जाएगा, उतनी ही सफलता की संभावना अधिक होगी। अगर बाघिन ज्यादा दिनों तक इन गांवों के पास रहती है, तो यह किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती है।
ऐतिहासिक संदर्भ
ओडिशा में बाघों के आतंक का यह कोई नया मामला नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में राज्य में बाघों के मानव क्षेत्रों में घुसने के कई मामले सामने आए हैं। सिमलीपाल जैसे वन क्षेत्र, जो बाघों का प्राकृतिक आवास है, कभी-कभी इन बड़े शिकारी जानवरों के ग्रामीण इलाकों में आ जाने के कारण लोगों के लिए समस्या बन जाते हैं।
क्या बाघिन को पकड़ा जा सकेगा?
अब सवाल यह उठता है कि क्या वन विभाग की टीम बाघिन को समय रहते पकड़ पाएगी? क्या ये रेस्क्यू ऑपरेशन सफल होगा, या फिर बाघिन और लोगों के बीच की दूरी और बढ़ेगी? इन सवालों का जवाब आने वाले दिनों में ही मिलेगा। फिलहाल वन विभाग ने पूरी तैयारी की है और ग्रामीणों को भी जागरूक किया है कि वे किसी भी स्थिति में बाघिन से दूर रहें और उसकी गतिविधियों की सूचना तुरंत दें।
ओडिशा में बाघिन की गतिविधियां एक बार फिर लोगों के लिए चिंता का कारण बनी हैं। वन विभाग पूरी कोशिश कर रहा है कि वह बाघिन को जल्द से जल्द पकड़ सके, लेकिन यह प्रयास कितना सफल होगा, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।
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