Jharkhand Gift: नर्सों की सैलरी में ऐतिहासिक उछाल, अब हर महीने मिलेंगे ₹25,000!
झारखंड की प्रशिक्षु नर्सों के लिए बड़ी सौगात, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने वेतन में ₹15,000 की बढ़ोतरी की घोषणा की। अब हर माह मिलेंगे ₹25,000, जानें पूरी खबर और इसके पीछे की कहानी।

झारखंड की स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी एक बेहद उत्साहजनक खबर सामने आई है, खासकर उन प्रशिक्षु नर्सों के लिए जो वर्षों से कम वेतन में सेवा दे रही थीं। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए प्रशिक्षु नर्सों के मानदेय में ₹15,000 की सीधी बढ़ोतरी की घोषणा की है।
अब तक ₹10,000 प्रतिमाह पाने वाली नर्सों को सरकार की इस सौगात के बाद सीधे ₹25,000 प्रतिमाह मिलेंगे। यह न सिर्फ आर्थिक मजबूती की ओर एक बड़ा कदम है, बल्कि नर्सिंग पेशे की प्रतिष्ठा को भी नया सम्मान देता है।
क्या है इस बढ़ोतरी के पीछे की सोच?
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर इस फैसले की जानकारी साझा करते हुए लिखा:
“स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने की दिशा में एक और अहम कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर प्रशिक्षु नर्सों का मानदेय ₹10,000 से बढ़ाकर ₹25,000 कर दिया गया है। यह फैसला उनकी मेहनत को सम्मान देने और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए लिया गया है।”
इस घोषणा से साफ है कि सरकार झारखंड की प्राथमिक और माध्यमिक स्वास्थ्य सेवाओं को न केवल मजबूत करना चाहती है, बल्कि उस backbone को भी सम्मान देना चाहती है जो ज़मीनी स्तर पर मरीजों की सेवा करती हैं—नर्सें।
नर्सिंग इतिहास में बड़ा मोड़
भारत में नर्सिंग सेवा का इतिहास ब्रिटिश काल से जुड़ा है, जब फ्लोरेंस नाइटिंगेल के आदर्शों पर आधारित प्रशिक्षण मॉडल को अपनाया गया। लेकिन समय के साथ नर्सों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में खास सुधार नहीं हुआ। खासकर झारखंड जैसे राज्यों में, प्रशिक्षु नर्सें कम वेतन पर लंबी शिफ्टों में काम कर रही थीं।
हाल के वर्षों में कई राज्यों में नर्सों ने वेतन और सुविधा को लेकर आंदोलन किए हैं। ऐसे में झारखंड सरकार का यह निर्णय न केवल राज्य बल्कि देश भर की स्वास्थ्य नीतियों के लिए एक प्रेरणा हो सकता है।
युवाओं को मिलेगा प्रोत्साहन
झारखंड में हर साल हजारों युवतियां नर्सिंग कॉलेजों से प्रशिक्षित होकर निकलती हैं, लेकिन कम वेतन के कारण वे या तो प्राइवेट अस्पतालों में शोषण झेलती हैं या फिर राज्य से बाहर चली जाती हैं। ₹25,000 प्रतिमाह की राशि उन लोगों को वापस राज्य में रोकने का काम कर सकती है और नई पीढ़ी को भी इस सेवा से जुड़ने के लिए प्रेरित कर सकती है।
क्या आगे और सुविधाएं जुड़ेंगी?
सूत्रों की मानें तो सरकार भविष्य में प्रशिक्षु नर्सों के लिए पीएफ, स्वास्थ्य बीमा और पेंशन जैसी सुविधाएं भी लागू करने की दिशा में सोच रही है। अगर ऐसा होता है, तो यह झारखंड के लिए नर्सिंग क्रांति जैसा साबित हो सकता है।
झारखंड सरकार का यह फैसला न केवल एक आर्थिक राहत है, बल्कि यह संदेश भी है कि फ्रंटलाइन वर्कर्स को अब सिर्फ 'कोरोना योद्धा' कह कर छोड़ नहीं दिया जाएगा, बल्कि उनकी मेहनत का उचित मोल दिया जाएगा। आने वाले समय में यदि अन्य राज्यों ने भी इस मॉडल को अपनाया, तो भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था और मजबूत हो सकती है।
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