आपके दिल को झटका देने वाले खतरे: पेरिनैटल डिप्रेशन से जुड़ा नया खुलासा !
आपके दिल को झटका देने वाले खतरे: पेरिनैटल डिप्रेशन से जुड़ा नया खुलासा !
नई रिसर्च के अनुसार, पेरिनैटल डिप्रेशन से पीड़ित महिलाएं दिल की बीमारी का 36% अधिक जोखिम झेलती हैं। इंडिया टुडे के एक लेख में प्रकाशित इस अध्ययन ने कई लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। यह रिसर्च बताती है कि प्रेग्नेंसी के दौरान और बाद में होने वाली डिप्रेशन, न केवल मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि कार्डियोवस्कुलर हेल्थ पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है।
मुख्य निष्कर्ष:
- पेरिनैटल डिप्रेशन वाली महिलाओं में दिल की बीमारी का जोखिम 36% तक बढ़ जाता है।
- यह रिसर्च 10 साल तक की स्टडी पर आधारित है जिसमें कई महिलाओं के स्वास्थ्य रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया है।
- मानसिक स्वास्थ्य और कार्डियोवस्कुलर हेल्थ के बीच का संबंध इस अध्ययन के माध्यम से और स्पष्ट होता है।
विशेषज्ञों की राय:
प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ. शर्मा, ने बताया, "ये निष्कर्ष बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये दिखाते हैं कि पेरिनैटल डिप्रेशन को केवल एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या समझना गलत होगा। इसका असर शारीरिक स्वास्थ्य, विशेष रूप से दिल के स्वास्थ्य पर भी होता है। इसलिए, पेरिनैटल पीरियड में मानसिक स्वास्थ्य सपोर्ट प्रदान करना जरूरी है।"
डॉ. शर्मा आगे कहती हैं, "प्रेग्नेंसी और पोस्टपार्टम पीरियड एक महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान महिलाओं को इमोशनल और साइकोलॉजिकल सपोर्ट मिलना उनकी समग्र स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।"
अतिरिक्त जानकारी:
रिसर्च टीम की प्रमुख लेखक, डॉ. प्रिया मेहता, जो एक अनुभवी साइकियाट्रिस्ट हैं, ने कहा, "पेरिनैटल डिप्रेशन का समय पर निदान और इलाज जरूरी है। हमने देखा है कि अनट्रीटेड डिप्रेशन न केवल मां के लिए, बल्कि बच्चे के विकास के लिए भी हानिकारक हो सकती है।"
डॉ. मेहता ने सुझाव दिया कि हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स को इंटीग्रेटेड केयर अप्रोचेस अपनानी चाहिए जिसमें मानसिक स्वास्थ्य स्क्रीनिंग्स और समय पर इंटरवेंशन्स शामिल हों। यह अप्रोच महिलाओं के दिल की सेहत को भी सुरक्षित रखने में मददगार हो सकता है।
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