Kota Tragedy: कोटा में एक और छात्र ने आत्महत्या की, कारणों का खुलासा नहीं
कोटा में एक और छात्र ने आत्महत्या की, जिससे शिक्षा नगरी में एक बार फिर शोक की लहर दौड़ गई है। जानिए पूरी घटना और पुलिस जांच की स्थिति।
राजस्थान के शिक्षा नगरी कोटा से एक और दुखद खबर सामने आई है। जहां एक और कोचिंग के छात्र ने बिल्डिंग की छठी मंजिल से कूद कर आत्महत्या कर ली। इस घटना ने कोटा में एक बार फिर चिंता और शोक की लहर फैला दी है। मृतक छात्र की पहचान विवेक कुमार के रूप में हुई है, जो मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले का निवासी था।
कोटा: शिक्षा नगरी में आत्महत्या की बढ़ती घटनाएं
कोटा, जो अपने कोचिंग संस्थानों के लिए प्रसिद्ध है, पिछले कुछ सालों से आत्महत्या की घटनाओं के लिए भी सुर्खियों में रहा है। यहाँ के छात्र अत्यधिक दबाव और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के चलते मानसिक तनाव से जूझते हैं। इसके पहले भी, कोटा में कई छात्र आत्महत्या की घटनाओं का शिकार हो चुके हैं। यही कारण है कि इस शहर को ‘ऑक्सफोर्ड ऑफ इंडिया’ के साथ-साथ ‘सुसाइड कैपिटल’ भी कहा जाने लगा है।
क्या है इस आत्महत्या के कारण?
विवेक कुमार के आत्महत्या के कारणों का खुलासा अभी तक नहीं हो सका है, लेकिन पुलिस को घटना स्थल से ऐसी जानकारी मिली है, जिससे यह माना जा रहा है कि यह आत्महत्या का मामला है। विवेक, जो कि कोटा में जेईई मेंस की तैयारी कर रहा था, एक साल पहले ही यहां आया था। जानकारी के मुताबिक, विवेक वर्तमान में राजीव गांधी नगर में रह रहा था और अपनी कोचिंग की तैयारी में व्यस्त था।
विवेक की लहूलुहान अवस्था में छठी मंजिल से गिरने के बाद उसकी पहचान की गई। जब यह घटना हुई, तो पास के लोग मौके पर पहुंचे और तुरंत पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने तुरंत विवेक के परिवार को घटना के बारे में सूचित किया और शव का पोस्टमार्टम करवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
कोटा में बढ़ते तनाव और आत्महत्या की घटनाएं
कोटा में छात्रों की आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोचिंग संस्थानों में प्रतिस्पर्धा, उच्च लक्ष्य और मानसिक दबाव के चलते छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। कोटा में जेईई, नीट और अन्य मेडिकल-इंजीनियरिंग एग्जाम की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए यह एक बड़ा दबाव होता है, और कई बार यह मानसिक स्थिति ऐसी हो जाती है कि छात्र तनाव के कारण आत्मघाती कदम उठा लेते हैं।
इसी कारण कोटा में आत्महत्या की घटनाओं की बढ़ती संख्या को गंभीरता से लिया जा रहा है। हाल के वर्षों में, सरकार और कोचिंग संस्थान इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर काम करने की कोशिश कर रहे हैं।
कोटा के शिक्षा नगरी में क्यों हो रही हैं ऐसी घटनाएं?
कोटा को भारत के शिक्षा हब के रूप में जाना जाता है, जहां लाखों छात्र हर साल अपनी भविष्यवाणी को पूरा करने के लिए आते हैं। यहाँ का वातावरण, प्रतिस्पर्धा और अध्ययन की तीव्रता छात्रों को मानसिक दबाव में डालती है। हालांकि, कोटा में सरकारी और निजी संस्थाओं द्वारा मानसिक स्वास्थ्य पर कार्य करने के प्रयास किए जा रहे हैं, फिर भी छात्रों के मानसिक संतुलन को बनाए रखना एक चुनौती बनी हुई है।
केंद्र और राज्य सरकार का कदम
इस बढ़ते मुद्दे के मद्देनजर, राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार दोनों ने शिक्षा क्षेत्र में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी है। पिछले कुछ वर्षों में, सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य और काउंसलिंग के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। इसके अलावा, कोचिंग संस्थानों को भी अब छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया गया है।
कोटा में विवेक कुमार की आत्महत्या ने एक बार फिर उन समस्याओं को उजागर किया है, जिनका सामना छात्रों को इस प्रतिस्पर्धी माहौल में करना पड़ता है। हालांकि आत्महत्या के कारणों की जांच जारी है, लेकिन इस घटना ने कोटा में बढ़ते मानसिक तनाव और आत्महत्या की घटनाओं पर चिंता जताई है। अब यह देखने की बात होगी कि शिक्षा नगरी कोटा में इस समस्या को सुलझाने के लिए कौन से प्रभावी कदम उठाए जाते हैं।
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