Jharkhand Schools: ओबीसी छात्रों की संख्या राष्ट्रीय औसत से अधिक, सामान्य वर्ग की कमी ने चौंकाया
झारखंड के स्कूलों में ओबीसी छात्रों की संख्या 46.9% है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। वहीं, सामान्य वर्ग के बच्चे केवल 13% हैं। जानें झारखंड के स्कूलों का पूरा डेटा।
झारखंड के स्कूलों में छात्रों का आंकड़ा शिक्षा व्यवस्था की बदलती तस्वीर को बयां करता है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में स्कूलों में नामांकित ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) छात्रों की संख्या राष्ट्रीय औसत से अधिक है, जबकि सामान्य वर्ग के छात्रों की संख्या कम है।
झारखंड बनाम राष्ट्रीय औसत
- ओबीसी छात्र:
- झारखंड: 46.9%
- राष्ट्रीय औसत: 45.2%
- सामान्य वर्ग के छात्र:
- झारखंड: 13%
- राष्ट्रीय औसत: 26.9%
यह अंतर राज्य में सामाजिक संरचना और शिक्षा तक पहुंच को दर्शाता है।
2023-24 में क्या बदला?
रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में 2022-23 के मुकाबले 2023-24 में सामान्य वर्ग के छात्रों की संख्या में मामूली वृद्धि हुई है।
- 2022-23:
- सामान्य वर्ग: 11.1%
- ओबीसी वर्ग: 48.5%
- 2023-24:
- सामान्य वर्ग: 13%
- ओबीसी वर्ग: 46.9%
इस बदलाव ने सामान्य वर्ग के छात्रों की संख्या में 2% की वृद्धि और ओबीसी वर्ग में 2% की गिरावट दर्ज की।
अनुसूचित जाति और जनजाति का योगदान
झारखंड में अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अनुसूचित जाति (एससी) छात्रों की संख्या भी उल्लेखनीय है।
- एसटी छात्र: 27.4%
- एससी छात्र: 12.7%
राष्ट्रीय औसत के अनुसार:
- एसटी छात्र: 9.9%
- एससी छात्र: 18%
मुस्लिम छात्रों का प्रतिशत
देशभर में औसतन 15.8% मुस्लिम छात्र स्कूलों में नामांकित हैं, जबकि झारखंड में यह संख्या 14.7% है।
- 2022-23: 14.4%
- 2023-24: 14.7%
इतिहास में झारखंड का शैक्षणिक परिप्रेक्ष्य
झारखंड का शिक्षा इतिहास 2000 में राज्य गठन के बाद से लगातार बदलता रहा है। राज्य में जनजातीय और पिछड़े वर्ग की उच्च जनसंख्या के कारण शिक्षा तक पहुंच चुनौतीपूर्ण रही है।
- सरकार की पहल:
सरकारी योजनाओं जैसे "सरस्वती वंदना योजना" और "आदिवासी शिक्षा मिशन" ने शिक्षा को बढ़ावा देने का प्रयास किया।
महत्वपूर्ण सवाल
- क्या झारखंड में सामान्य वर्ग के छात्रों की कम संख्या चिंता का विषय है?
- क्या शिक्षा प्रणाली ओबीसी और एसटी छात्रों के लिए अधिक समर्पित हो रही है?
- राज्य में मुस्लिम छात्रों की संख्या में स्थिरता का क्या अर्थ है?
झारखंड के स्कूलों का यह डेटा राज्य की सामाजिक और शैक्षणिक संरचना को गहराई से समझने का मौका देता है। जहां ओबीसी और एसटी छात्रों की संख्या शिक्षा में उनकी बढ़ती भागीदारी को दिखाती है, वहीं सामान्य वर्ग की कम उपस्थिति पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
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