Jharkhand Scam: साइबर अपराधियों ने ट्रांसपोर्ट विभाग की वेबसाइट का किया गलत इस्तेमाल!

साइबर अपराधियों ने अब ट्रांसपोर्ट विभाग की वेबसाइट के जरिए ठगी का नया तरीका इजाद किया है। जानिए कैसे एक महिला को धोखा दिया गया और इससे कैसे बच सकते हैं।

Jan 16, 2025 - 17:31
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Jharkhand Scam: साइबर अपराधियों ने ट्रांसपोर्ट विभाग की वेबसाइट का किया गलत इस्तेमाल!
Jharkhand Scam: साइबर अपराधियों ने ट्रांसपोर्ट विभाग की वेबसाइट का किया गलत इस्तेमाल!

आजकल साइबर अपराधियों के नए तरीके हमें चौकाते रहते हैं। एक बार फिर एक दिलचस्प और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें साइबर ठगों ने ट्रांसपोर्ट विभाग की वेबसाइट का इस्तेमाल कर लोगों को धोखा दिया। झारखंड में एक महिला को ट्रांसपोर्ट विभाग के नाम पर भेजे गए ई चालान ने साइबर ठगी का नया रूप सामने ला दिया। जानिए क्या था पूरा मामला और कैसे इस ठगी से बचा जा सकता है।

ई चालान का नया तरीका: साइबर ठगों की चाल

झारखंड के एक छोटे से शहर की महिला, स्वाति पटनायक, को अचानक अपने मोबाइल पर एक ई चालान प्राप्त हुआ। इसमें झारखंड परिवहन विभाग का एक लिंक भेजा गया, जिसमें लिखा था कि वह 6,000 रुपए का भुगतान करें। इस चालान का उल्लेख किया गया था कि यह जून 2022 का है और इसमें भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं का जिक्र था, जो आमतौर पर ट्रैफिक जुर्माने के लिए नहीं होती। स्वाति को इस ई चालान ने बहुत चौंका दिया और उन्होंने अपने परिचित वकील श्रीकांत सिंह से इस बारे में जानकारी ली।

वकील की जांच से हुआ खुलासा

स्वाति के वकील श्रीकांत सिंह ने जब इस चालान के बारे में कोर्ट से जानकारी प्राप्त करनी शुरू की, तो यह खुलासा हुआ कि इस मामले में कोई रिकॉर्ड ही नहीं था। इससे और भी चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि साकची ट्रैफिक थाना के अधिकारी भी इस चालान से अनजान थे। उनके अनुसार, भारतीय दंड संहिता के तहत कोई ट्रैफिक चालान नहीं भेजा जाता है। आमतौर पर स्पॉट फाइन ना देने पर चालान मोटर व्हीकल एक्ट (MV Act) के तहत स्थानीय अदालत में भेजे जाते हैं, न कि IPC के तहत।

साइबर अपराधियों का नया तरीका: डिटेल्स का गलत इस्तेमाल

इसके बाद यह साफ हो गया कि साइबर अपराधियों ने ट्रांसपोर्ट विभाग के ऐप्स, जैसे ई परिवहन और एम परिवहन से वाहन मालिकों के डिटेल्स चुराए हैं। इन ऐप्स में गाड़ियों और उनके मालिकों की पूरी जानकारी रहती है, जिसे साइबर ठगों ने धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल किया। इस तरह के अपराधियों ने पूरी जानकारी लेकर इस ठगी को अंजाम दिया और ई चालान भेजने के लिए लिंक तैयार किया। जब लोगों को इस लिंक पर क्लिक करने के लिए कहा जाता है, तो वे समझते हैं कि यह सरकार की ओर से भेजा गया एक आधिकारिक नोटिस है।

सजग रहना है जरूरी

साइबर अपराधियों के इस नए तरीके से बचने के लिए लोगों को जागरूक रहना जरूरी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि किसी भी ई चालान या लिंक पर क्लिक करने से पहले, हमें उस लिंक की प्रमाणिकता की जांच करनी चाहिए। अगर किसी भी प्रकार का संदेह हो, तो सीधे ट्रांसपोर्ट विभाग या पुलिस से संपर्क करें। इसके अलावा, अगर आप भी किसी ऐसे लिंक का शिकार हो गए हैं, तो तुरंत स्थानीय पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराएं।

कैसे करें बचाव?

  • सभी लिंक की जांच करें: किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक करने से पहले उसकी प्रमाणिकता को जांचें।
  • सरकारी वेबसाइट पर जाएं: ई चालान और अन्य दस्तावेजों के लिए सीधे संबंधित विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
  • पुलिस से संपर्क करें: अगर आपको किसी लिंक पर संदेह हो, तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें।
  • अधिकारिक नंबर से संपर्क करें: हमेशा सरकारी संपर्क नंबरों से ही जानकारी प्राप्त करें।

साइबर अपराध से बचने का समय है

साइबर अपराधियों के द्वारा उठाए गए नए कदमों ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हम अपनी ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर कितना सजग हैं। ई चालान के इस प्रकार के मामलों को देखकर यह जरूरी हो जाता है कि हम अपनी व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखें और किसी भी संदिग्ध लिंक से बचें। सरकार और पुलिस को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे ताकि नागरिकों को इन ठगों से बचाया जा सके और डिजिटल दुनिया को सुरक्षित बनाया जा सके।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।