CM decision: झारखंड में फिर हुआ ऐतिहासिक फैसला, 37 कैदी होंगे रिहा, सीएम हेमंत सोरेन ने लिया बड़ा कदम!

झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 37 आजीवन सजा काट रहे कैदियों को रिहा करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। जानें, इस फैसले का इतिहास और इसके बाद की योजनाएं।

Feb 18, 2025 - 12:29
Feb 18, 2025 - 12:46
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CM decision: झारखंड में फिर हुआ ऐतिहासिक फैसला, 37 कैदी होंगे रिहा, सीएम हेमंत सोरेन ने लिया बड़ा कदम!
CM decision: झारखंड में फिर हुआ ऐतिहासिक फैसला, 37 कैदी होंगे रिहा, सीएम हेमंत सोरेन ने लिया बड़ा कदम!

झारखंड में एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया है! मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के विभिन्न कारागारों में आजीवन सजा काट रहे 37 कैदियों को रिहा करने का निर्णय लिया है। यह कदम राज्य सरकार की नीति में बदलाव और सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। सोमवार को रांची स्थित कांके रोड पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवासीय कार्यालय में आयोजित झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया।

इस बैठक में राज्य के विभिन्न कारागारों में बंद 37 कैदियों को रिहा करने पर सहमति बनी, और इसके साथ ही झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण परिषद की पिछली बैठकों में अस्वीकृत मामलों पर भी पुनर्विचार किया गया। यह कदम न केवल कैदियों के भविष्य के लिए एक नया अवसर लेकर आया है, बल्कि झारखंड की न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुधार का प्रतीक भी बन गया है।

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गहन विचार-विमर्श

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में राज्य सजा पुनरीक्षण परिषद द्वारा अनुशंसा किए गए 103 कैदियों के मामलों पर गहन विचार-विमर्श किया गया। बैठक में यह सुनिश्चित किया गया कि प्रत्येक कैदी के अपराध की प्रवृत्ति, उनके आचरण, और संबंधित जिलों के पुलिस अधिकारियों के विचारों को ध्यान में रखते हुए ही रिहाई का फैसला लिया जाए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से इन कैदियों के ट्रैक रिकॉर्ड की जानकारी ली और यह सुनिश्चित किया कि रिहाई से पहले सभी पहलुओं पर विचार किया जाए।

रिहाई के बाद क्या होगा कैदियों का भविष्य?

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कैदियों की रिहाई के बाद उनके सामाजिक और आर्थिक पुनर्वास की दिशा में भी एक योजना बनाई है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि रिहा हुए कैदियों की सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि का सत्यापन जरूर किया जाए। साथ ही, इन कैदियों को सरकार द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जाए, ताकि वे समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें और अपना जीवन सुचारू रूप से जी सकें।

क्या इतिहास में ऐसी घटनाएं पहले भी हुई हैं?

झारखंड में इससे पहले भी कई बार जेल सुधारों के तहत कैदियों को रिहा किया गया है, लेकिन इस बार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा लिया गया यह निर्णय राजनीतिक और न्यायिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। यह निर्णय इस बात का प्रतीक है कि राज्य सरकार सुधार की दिशा में काम कर रही है, और न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता की ओर कदम बढ़ा रही है।

इतिहास में देखा जाए तो आजीवन सजा काट रहे कैदियों की रिहाई के फैसले से समाज में कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आती हैं। ऐसे फैसले न्यायिक प्रणाली की लचीलापन और समर्पण की ओर इशारा करते हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या समाज में बदलाव की दिशा में इस तरह के फैसले मददगार साबित होंगे?

मुख्यमंत्री के निर्देश और भविष्य की योजनाएं

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि रिहा हुए कैदियों का ट्रैक रिकॉर्ड और उनकी गतिविधियों की निरंतर मॉनिटरिंग की जाएगी। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इन कैदियों को समाज में एक सकारात्मक दिशा में स्थापित किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि रिहा हुए कैदियों को सरकार द्वारा आय सृजन के कार्यक्रमों से जोड़कर उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जाए।

समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में यह कदम अहम

मुख्यमंत्री के इस फैसले से न केवल न्यायिक सुधारों की दिशा में एक नया मोड़ आया है, बल्कि यह समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है। रिहाई के बाद, इन कैदियों को समाज में एक नया स्थान प्राप्त होगा, और उनकी पुनर्वास प्रक्रिया से यह संदेश जाएगा कि समाज सभी को एक नई शुरुआत देने के लिए तैयार है।

झारखंड सरकार का यह निर्णय समाज में न्याय, सुधार और समर्पण की भावना को प्रोत्साहित करने वाला है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन 37 कैदियों की रिहाई के बाद राज्य में और देश में इस निर्णय के प्रभाव क्या होंगे।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।