Jharkhand Training: पुलिस अधिकारियों के लिए बड़ा आदेश, ‘i-GOT कर्मयोगी’ पोर्टल से अनिवार्य कोर्स!
झारखंड पुलिस के अधिकारियों के लिए ‘i-GOT कर्मयोगी’ पोर्टल पर डिजिटल ट्रेनिंग अनिवार्य! जानिए किन 6 विषयों की ट्रेनिंग होगी जरूरी?
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रांची: झारखंड पुलिस के अनुसंधान अधिकारियों के लिए अब डिजिटल प्रशिक्षण अनिवार्य कर दिया गया है! भारत सरकार के केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए ‘i-GOT कर्मयोगी पोर्टल’ पर सभी पुलिस अधिकारियों को निबंधन कराकर 6 महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम पूरे करने होंगे। यह फैसला अपर पुलिस महानिदेशक (तकनीकी एवं आधुनिकीकरण) सुमन गुप्ता की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया।
i-GOT कर्मयोगी पोर्टल क्या है?
भारत सरकार ने 2020 में ‘मिशन कर्मयोगी’ की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को नई तकनीकों, प्रशासनिक सुधारों और साइबर सुरक्षा जैसी चुनौतियों के लिए प्रशिक्षित करना है। i-GOT (Integrated Government Online Training) पोर्टल इसी मिशन का हिस्सा है, जो डिजिटल माध्यम से सरकारी अधिकारियों को आधुनिक स्किल्स सिखाने का काम करता है।
झारखंड पुलिस के लिए क्यों जरूरी हुआ यह कोर्स?
बैठक में राज्य के सभी वरीय पुलिस अधीक्षकों (SSP) और पुलिस अधीक्षकों (SP), रेल जमशेदपुर एवं रेल धनबाद को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि विशेष अभियान चलाकर सभी अनुसंधान पदाधिकारियों का निबंधन अगले एक महीने में पूरा किया जाए।
✔️ 3769 अनुसंधानकर्ताओं ने पहले ही पोर्टल पर निबंधन कर लिया है।
✔️ शेष अधिकारियों को जल्द से जल्द यह प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
✔️ सभी एसपी को निर्देश दिया गया कि वे हर सप्ताह इसकी समीक्षा करें।
इन 6 विषयों की ट्रेनिंग अनिवार्य
पुलिस अधिकारियों को i-GOT कर्मयोगी पोर्टल पर 6 महत्वपूर्ण पाठ्यक्रमों को पूरा करना होगा जो उनके कार्यक्षेत्र से सीधे जुड़े हुए हैं—
सरकारी कर्मचारियों का कोड ऑफ कंडक्ट – प्रशासनिक नैतिकता और आचार संहिता।
कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन शोषण – POSH एक्ट के तहत सुरक्षा दिशानिर्देश।
नई तकनीकों का इस्तेमाल – पुलिसिंग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन और डिजिटल टूल्स का महत्व।
साइबर स्पेस में सुरक्षा – ऑनलाइन अपराधों से निपटने की नई रणनीतियां।
मिशन लाइफ के तहत ओरियंटेशन मॉड्यूल – पर्यावरण और सामाजिक उत्तरदायित्व।
काम के दौरान योगा ब्रेक – मानसिक तनाव और फिटनेस के लिए योग के लाभ।
डिजिटल ट्रेनिंग क्यों हो रही अनिवार्य?
भारत में पुलिसिंग का डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन तेजी से हो रहा है। पुराने तरीकों की जगह अब साइबर सिक्योरिटी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा एनालिटिक्स जैसी नई तकनीकों का महत्व बढ़ रहा है।
पहले की तुलना में अपराधों की प्रकृति बदल चुकी है।
ऑनलाइन फ्रॉड, साइबर क्राइम और डेटा चोरी जैसी चुनौतियों से निपटना जरूरी है।
सरकारी प्रशासन को पारदर्शी और आधुनिक बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
हर सप्ताह होगी समीक्षा!
बैठक के दौरान एडीजी सुमन गुप्ता ने सभी पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया कि i-GOT कर्मयोगी पोर्टल पर हो रहे निबंधन की हर सप्ताह समीक्षा की जाए। यानी, जिन अधिकारियों ने अभी तक यह ट्रेनिंग शुरू नहीं की है, उनके लिए अब यह अनिवार्य हो गया है।
आगे क्या होगा?
अब सवाल यह है कि क्या झारखंड पुलिस समय पर इस ट्रेनिंग को पूरा कर पाएगी? अगर यह सफल होता है, तो यह सिस्टम पूरे भारत में लागू किया जा सकता है।
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