Ranchi: हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना पर रोक लगाने से किया इनकार! जानिए क्या है मामला
झारखंड हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना पर रोक लगाने से इनकार किया। जानें इस महत्वपूर्ण सुनवाई और याचिका के बारे में जो राज्य सरकार की योजना पर सवाल उठा रही थी।
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रांची,14 नवंबर 2024: झारखंड सरकार द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना पर हाल ही में झारखंड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें इस योजना को चुनावी राजनीति से जोड़ते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की गई थी। यह मामला गुरुवार को राज्य के मुख्य न्यायाधीश की बेंच में सुनवाई के लिए प्रस्तुत हुआ, जहां कोर्ट ने योजना पर रोक लगाने से मना कर दिया।
मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना क्या है?
मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना, जो झारखंड सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई है, एक महत्वाकांक्षी पहल है। इस योजना के तहत राज्य सरकार ने उन नागरिकों के लिए वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है, जिन्हें पूर्व में किसी कारणवश आर्थिक मदद की आवश्यकता थी। मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना का उद्देश्य राज्य के कमजोर वर्गों को समाज की मुख्यधारा में लाना और उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाना है। लेकिन इस योजना पर सवाल उठाए गए हैं, और इसकी वैधता को लेकर कानूनी विवाद खड़ा हो गया है।
याचिका में क्या कहा गया?
इस याचिका को सिमडेगा जिले के रहने वाले विष्णु साहू ने दायर किया था। उन्होंने अपने अधिवक्ता राजीव कुमार के माध्यम से जनहित याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने राज्य सरकार की योजना को चुनावी राजनीति का हिस्सा बताते हुए इसे चुनावी वोट बैंक की रणनीति के रूप में पेश किया। उनका कहना था कि यह योजना सिर्फ आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए शुरू की गई है, और इसके पीछे सरकार की असली मंशा मतदाताओं को लुभाना है।
झारखंड सरकार की प्रतिक्रिया
झारखंड सरकार की ओर से इस मामले में महाधिवक्ता राजीव रंजन और अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने कोर्ट में बहस की। उन्होंने योजना की वैधता को लेकर सभी आरोपों को नकारते हुए कहा कि यह योजना पूरी तरह से जनहित में शुरू की गई है और इसका उद्देश्य राज्य के गरीब और जरूरतमंद वर्गों की मदद करना है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि योजना का चुनावों से कोई लेना-देना नहीं है, और यह सिर्फ राज्य के नागरिकों की भलाई के लिए लागू की गई है।
अदालत ने क्यों किया इनकार?
हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने सुनवाई के बाद जनहित याचिका पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि योजना के खिलाफ कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि किसी को योजना के बारे में कोई आपत्ति है, तो वे आगे की कानूनी प्रक्रियाओं का पालन कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना पर रोक क्यों जरूरी थी?
याचिका में यह तर्क दिया गया था कि चुनावों से पहले ऐसी योजनाओं का शुरुआत करना एक प्रकार से चुनावी फायदे के लिए किया गया कदम है। आरोप था कि राज्य सरकार ने इस योजना को सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के लिए अपनाया है, जो लोकतंत्र की असली भावना के खिलाफ है। चुनावी पूर्वाभ्यास के रूप में ऐसी योजनाएं मतदाताओं को लुभाने की कोशिश हैं। लेकिन अदालत ने इस पर रोक लगाने से इनकार करते हुए इसे एक कानूनी और संवैधानिक कदम माना।
झारखंड में योजनाओं का इतिहास
झारखंड सरकार की कई योजनाएं पहले भी चुनावों से पहले विवादों में रही हैं। राज्य के विकास के लिए विभिन्न योजनाएं लाने का सरकार का प्रयास हमेशा से आलोचना का विषय रहा है। लेकिन मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना को लेकर चल रहे विवाद ने फिर से सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकार इस तरह की योजनाओं के माध्यम से अपना चुनावी फायदा उठा रही है।
भविष्य में क्या हो सकता है?
अदालत के इस फैसले के बाद, मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना जारी रहेगी, और राज्य सरकार को इस योजना के तहत और भी बेहतर सेवाएं देने का अवसर मिलेगा। हालांकि, राजनीतिक दृष्टिकोण से इसे लेकर विरोध बढ़ सकता है, और विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को लेकर सरकार पर और हमले कर सकती हैं।
यह मामला अब पूरी तरह से न्यायिक प्रक्रिया में जाएगा और इसके अगले चरण में क्या फैसला आता है, यह देखना दिलचस्प होगा। वहीं, मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना का भविष्य इस पर निर्भर करेगा कि कैसे राज्य सरकार इसे जनहित में लागू करती है और इसे लेकर उठ रहे सवालों का समाधान करती है।
झारखंड हाईकोर्ट का यह फैसला मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के लिए एक बड़ी राहत के रूप में सामने आया है। राज्य सरकार को इस योजना के तहत अपने दावों को साबित करने का एक और मौका मिलेगा। अब देखना यह है कि क्या यह योजना राज्य के गरीबों के लिए वास्तव में फायदेमंद साबित होती है या फिर इसे केवल चुनावी रणनीति के रूप में देखा जाता है।
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