Jharkhand Electricity: मई से झारखंड में महंगी होगी बिजली, 1 रुपये प्रति यूनिट बढ़ेगा टैरिफ, जनता पर पड़ेगा सीधा असर

झारखंड में मई से बिजली दरों में 1 रुपये प्रति यूनिट तक की बढ़ोतरी की संभावना है। जानिए क्यों बढ़ रहे हैं टैरिफ और इसका जनता पर क्या असर पड़ेगा।

Apr 21, 2025 - 14:43
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Jharkhand Electricity: मई से झारखंड में महंगी होगी बिजली, 1 रुपये प्रति यूनिट बढ़ेगा टैरिफ, जनता पर पड़ेगा सीधा असर
Jharkhand Electricity: मई से झारखंड में महंगी होगी बिजली, 1 रुपये प्रति यूनिट बढ़ेगा टैरिफ, जनता पर पड़ेगा सीधा असर

झारखंड के आम उपभोक्ताओं के लिए एक बार फिर बिजली का झटका तय माना जा रहा है। खबर है कि मई 2025 से राज्य में बिजली दरों में भारी इजाफा होने वाला है। झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग (JSERC) इस महीने के अंत तक नया बिजली टैरिफ जारी कर सकता है, जिसके बाद उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 1 रुपये तक अधिक भुगतान करना पड़ सकता है।

क्या है प्रस्तावित बदलाव?

वर्तमान में शहरी घरेलू उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 6.65 रुपये की दर से बिजली मिल रही है। लेकिन अब इसे बढ़ाकर 8.65 रुपये प्रति यूनिट करने का प्रस्ताव रखा गया है। सिर्फ यूनिट दर ही नहीं, बल्कि फिक्स्ड चार्ज भी दोगुना किए जाने की तैयारी है। फिलहाल जहां ₹100 प्रतिमाह फिक्स्ड चार्ज लगता है, उसे ₹200 करने का प्रस्ताव दिया गया है।

बिजली तो महंगी होगी, लेकिन सुविधा कब बढ़ेगी?

हर साल टैरिफ बढ़ा दिया जाता है, लेकिन स्थिति में कोई ठोस सुधार नहीं दिखता। गर्मियों की शुरुआत होते ही बिजली की आंख मिचौली शुरू हो जाती है। ट्रांसफार्मर खराब, तार टूटे हुए, पोल गिरे हुए—इन सब समस्याओं से जूझ रही जनता के सामने एक ही सवाल है: बिजली महंगी क्यों, जब सुविधा वैसी की वैसी है?

जनता का दर्द: बिल ज्यादा, बिजली कम

राज्य के कई हिस्सों, विशेषकर ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में, आज भी बिजली की आपूर्ति अनियमित है। 4 से 6 घंटे की नियमित कटौती अब आम बात हो गई है। कई बार ट्रांसफार्मर खराब होने के कारण दो-दो दिन तक बिजली नहीं रहती। झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) से शिकायत करने पर सिर्फ आश्वासन मिलता है, समाधान नहीं।

इतिहास भी गवाह है: सुधार की गति धीमी

अगर पिछले कुछ वर्षों पर नजर डालें, तो झारखंड में बिजली टैरिफ में बढ़ोतरी कोई नई बात नहीं है। 2019, 2021 और 2023 में भी टैरिफ में इजाफा किया गया था। लेकिन इन बढ़ोतरी के बावजूद न तो बिजली की आपूर्ति में स्थायित्व आया और न ही आधारभूत ढांचे में कोई बड़ा सुधार हुआ। ट्रांसफॉर्मर की संख्या वही, मेंटेनेंस सिस्टम कमजोर और स्टाफ की भारी कमी अब भी बरकरार है।

जनसुनवाई का क्या हुआ?

मार्च 2025 में JSERC ने जेबीवीएनएल के टैरिफ प्रस्ताव पर जनसुनवाई की थी, जिसमें बड़ी संख्या में आम लोगों और उपभोक्ता संगठनों ने अपनी आपत्तियां दर्ज कराईं। लेकिन सूत्रों के अनुसार, JBVNL ने सभी आपत्तियों का जवाब आयोग को सौंप दिया है और अब अंतिम मसौदा तैयार कर लिया गया है, जिसे 30 अप्रैल तक जारी किया जाएगा।

आखिर जनता कब तक सहे?

जनता के मन में अब ये सवाल गूंज रहा है कि क्या सरकार और बिजली विभाग सिर्फ टैरिफ बढ़ाने में रुचि रखते हैं, या वे सच में लोगों की परेशानियों को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम उठाएंगे?
हर बार बढ़ा हुआ बिजली बिल भरना तो उपभोक्ताओं की मजबूरी है, लेकिन उन्हें मूलभूत सुविधा कब मिलेगी?

सुधार ज़रूरी है, सिर्फ दर नहीं

अगर सरकार और विद्युत विभाग वास्तव में सुधार चाहते हैं, तो सिर्फ टैरिफ बढ़ाकर जनता पर बोझ डालना बंद करना होगा। साथ ही ज़रूरत है—सिस्टम को मजबूत करने की, ट्रांसफार्मर और वायरिंग को दुरुस्त करने की, और मेंटेनेंस टीम को बढ़ाने की। वरना हर साल यही कहानी दोहराई जाती रहेगी—बिल ज्यादा, बिजली कम।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।