Jharkhand Election – शहरी निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार को दिया तीन महीने का अल्टीमेटम
झारखंड हाईकोर्ट ने शहरी निकाय चुनावों में देरी पर सरकार को फटकार लगाते हुए तीन महीने में चुनाव प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया। जानिए पूरी जानकारी।
झारखंड में शहरी निकाय चुनाव को लेकर एक बार फिर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। पार्षद रोशनी खलखो बनाम झारखंड सरकार मामले में गुरुवार को जस्टिस आनंदा सेन की अदालत में सुनवाई हुई।
इससे पहले 4 जनवरी 2024 को हाईकोर्ट ने झारखंड सरकार को तीन सप्ताह के भीतर चुनाव कराने का आदेश दिया था। लेकिन अब तक चुनाव नहीं होने पर अदालत ने अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को तीन महीने के भीतर चुनाव प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया।
सरकार का तर्क – ट्रिपल टेस्ट के बाद ही चुनाव
सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की ओर से मुख्य सचिव अलका तिवारी और महाधिवक्ता राजीव रंजन उपस्थित रहे। सरकार ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि:
- पहले ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया पूरी की जाए।
- इसके बाद ही चुनाव कराया जा सकता है।
ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया क्या है?
ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया, स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए एक तीन-स्तरीय जांच प्रक्रिया है, जिसमें:
- सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन का आकलन।
- आरक्षण की उचित सीमा सुनिश्चित करना।
- वोटिंग प्रक्रिया की निष्पक्षता।
हाईकोर्ट ने किया तर्क खारिज, चुनाव में देरी पर नाराजगी
जस्टिस आनंदा सेन ने सरकार के तर्क को खारिज करते हुए कहा कि:
- पांच वर्षों से कई स्थानों पर चुनाव नहीं हुए हैं।
- यह गंभीर लोकतांत्रिक विषय है।
- हर हाल में तीन महीने के भीतर चुनाव प्रक्रिया पूरी की जाए।
सरकार ने अदालत के आदेश पर सहमति जताई।
वोटर लिस्ट बनी देरी की वजह
सरकार ने अदालत को यह भी बताया कि:
- 5 जनवरी 2024 को प्रकाशित नई वोटर लिस्ट अब तक सरकार को प्राप्त नहीं हुई है।
- इससे चुनाव कराने में दिक्कतें आ रही हैं।
हाईकोर्ट का जवाब:
- चुनाव आयोग को एक सप्ताह का समय दिया गया।
- वोटर लिस्ट की अद्यतन स्थिति पर अगले सप्ताह फिर सुनवाई होगी।
- अदालत ने स्पष्ट कहा कि वोटर लिस्ट न होने के बावजूद चुनाव प्रक्रिया टालने का आधार नहीं बन सकता।
भारत में शहरी निकाय चुनावों का महत्व
शहरी निकाय चुनाव भारत के स्थानीय प्रशासन के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।
- पहला निकाय चुनाव: 1882 में लॉर्ड रिपन के कार्यकाल में हुआ था।
- ये चुनाव स्थानीय विकास कार्यों और जनता की समस्याओं को हल करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
- पंचायती राज व्यवस्था और नगरपालिका प्रणाली को मजबूत करने के लिए यह चुनाव संविधान द्वारा आवश्यक बनाए गए हैं।
अदालत का सख्त संदेश – लोकतंत्र को कमजोर मत करो
हाईकोर्ट ने झारखंड सरकार को कड़ा संदेश देते हुए कहा:
- चुनाव टालना लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है।
- संविधान के अनुच्छेद 243 के तहत स्थानीय चुनावों का समय पर होना आवश्यक है।
- यदि चुनाव प्रक्रिया में देरी होती है, तो यह लोकतांत्रिक मूल्यों को आहत करता है।
अब क्या होगा आगे?
- एक सप्ताह में चुनाव आयोग को वोटर लिस्ट सौंपनी होगी।
- तीन महीने के भीतर चुनाव प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
- अगर सरकार फिर से विलंब करती है, तो अवमानना कार्यवाही की जा सकती है।
झारखंड में शहरी निकाय चुनावों को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार को तीन महीने का सख्त अल्टीमेटम दिया है। लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में देरी को गंभीर मामला मानते हुए, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि ट्रिपल टेस्ट और वोटर लिस्ट की बाधाओं के बावजूद चुनाव समय पर कराए जाने चाहिए।
What's Your Reaction?