Jharkhand Report: गरीबी रेखा से जूझते झारखंड के 5 जिले, जानें हालात और सुधार

झारखंड के गरीबी से जूझते पांच जिलों की चिंताजनक स्थिति, लेकिन कुपोषण और शिशु मृत्यु दर में सुधार की झलक। जानें कैसे बदलाव संभव है।

Jan 20, 2025 - 19:22
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Jharkhand Report: गरीबी रेखा से जूझते झारखंड के 5 जिले, जानें हालात और सुधार
Jharkhand Report: गरीबी रेखा से जूझते झारखंड के 5 जिले, जानें हालात और सुधार

Jharkhand Report: झारखंड में गरीबी और वंचित जीवन का दायरा लगातार चिंता का विषय बना हुआ है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2023 की रिपोर्ट ने राज्य के हालात को उजागर किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड के पांच जिले – पाकुड़, साहेबगंज, पश्चिम सिंहभूम, लातेहार, और दुमका – गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों की सबसे बड़ी संख्या वाले जिलों में शामिल हैं।

पाकुड़ की स्थिति सबसे खराब

झारखंड के पाकुड़ जिले में गरीबी रेखा के नीचे जीवन जीने वालों की संख्या 49.4% है। इसका मतलब है कि यहां हर दूसरा व्यक्ति बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहा है। इसके बाद साहेबगंज (48.95%), पश्चिम सिंहभूम (47.81%), लातेहार (41.68%), और दुमका (37.99%) का स्थान है।

अन्य जिलों की स्थिति भी गंभीर

पांच प्रमुख जिलों के अलावा, देवघर, चतरा, गोड्डा, गढ़वा, खूंटी, पलामू, सिमडेगा, गुमला, गिरिडीह, जामताड़ा, और कोडरमा जैसे जिलों में भी 30% से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है। वहीं, झारखंड के कुछ बेहतर स्थिति वाले जिलों में हजारीबाग (26.10%), सरायकेला-खरसांवा (23.16%), लोहरदगा (22.71%), और रांची (15.80%) शामिल हैं।

इतिहास में झारखंड और गरीबी का संघर्ष

झारखंड को खनिजों और प्राकृतिक संसाधनों का खजाना माना जाता है, लेकिन विकास के असंतुलन ने इसे गरीबी के जाल में फंसा रखा है। 2000 में अलग राज्य बनने के बाद, झारखंड ने कई योजनाएं शुरू कीं, लेकिन दूरदराज के इलाकों में इनका प्रभाव सीमित रहा। खासकर जनजातीय क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और अशिक्षा गरीबी के मुख्य कारण बने।

नीति आयोग की रिपोर्ट में सुधार के संकेत

हालांकि गरीबी और वंचितों की स्थिति चिंताजनक है, लेकिन नीति आयोग की रिपोर्ट में कुछ सुधार भी देखने को मिले हैं:

  • कुपोषण दर में गिरावट: 2015-16 में झारखंड की कुपोषण दर 34.39% थी, जो 2020-21 में घटकर 23.22% रह गई।
  • शिशु मृत्यु दर में कमी: 2015-16 में यह दर 2.74% थी, जो अब 1.75% पर आ गई है।
  • मातृत्व स्वास्थ्य में सुधार: मातृत्व स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकारी प्रयासों का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
  • शिक्षा में सुधार: पिछले पांच वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव देखे गए हैं, जिससे बाल श्रम और अशिक्षा की दर में कमी आई है।

सरकार की योजनाएं और चुनौतियां

राज्य सरकार ने गरीबी उन्मूलन के लिए कई योजनाएं चलाईं, जिनमें से कुछ उल्लेखनीय हैं:

  • पीडीएस योजना: राशन वितरण प्रणाली को सुदृढ़ किया गया है।
  • मनरेगा: ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाए गए।
  • स्वास्थ्य और पोषण मिशन: बच्चों और महिलाओं के लिए पोषण योजनाएं लागू की गईं।
    हालांकि, इन योजनाओं का प्रभाव तब तक सीमित रहेगा, जब तक दूरस्थ इलाकों में जागरूकता और बुनियादी ढांचा बेहतर नहीं होगा।

भविष्य की राह

  • शिक्षा और रोजगार पर ध्यान: अशिक्षा और बेरोजगारी को खत्म करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
  • स्वास्थ्य सेवाएं बढ़ानी होंगी: खासकर ग्रामीण और जनजातीय इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार जरूरी है।
  • पानी और स्वच्छता का सुधार: पानी की गुणवत्ता और स्वच्छता पर ध्यान देने से बीमारियों को रोका जा सकता है।

झारखंड के लिए गरीबी उन्मूलन और सामाजिक सुधार की राह लंबी है, लेकिन छोटे-छोटे कदम राज्य को नई दिशा में ले जा सकते हैं। सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और जन जागरूकता से ही झारखंड अपनी छवि को सुधार सकता है।

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