Jamshedpur Pension: बहरागोड़ा की वृद्धा को चार महीने से नहीं मिल रही पेंशन, त्योहार पर बढ़ी परेशानी
जमशेदपुर के बहरागोड़ा में चार महीने से पेंशन नहीं मिलने पर वृद्धा परेशान। दवाई के लिए पैसे तक नहीं हैं। सरकार और बैंक की लापरवाही से त्योहारों में भी मदद नहीं मिल पाई।
झारखंड के जमशेदपुर ग्रामीण क्षेत्र के बहरागोड़ा प्रखंड की पाथरी पंचायत की बुजुर्ग विधवा महिला मिजो बागाल चार महीनों से पेंशन नहीं मिलने के कारण बेहद परेशान हैं। उन्होंने बताया कि बार-बार बैंक का चक्कर लगाने के बावजूद उन्हें निराशा ही हाथ लगी है।
चार महीने से नहीं मिली पेंशन, दवाई तक के पैसे नहीं
मिजो बागाल ने अपनी स्थिति बताते हुए कहा कि पेंशन न मिलने की वजह से उनकी दवाइयां बंद हो चुकी हैं। रोजाना चलने वाली दवाओं के लिए पैसे नहीं हैं।
- पेंशन में देरी: पहले हर महीने पेंशन मिलती थी, लेकिन अब चार-पांच महीने तक इंतजार करना पड़ता है।
- जीवनयापन पर असर: त्योहारों पर भी बिना पेंशन के ही दिन गुजारने पड़े।
मिजो बागाल ने सरकार से इस समस्या का समाधान जल्द करने की अपील की है।
सरकार की योजनाओं पर उठे सवाल
झारखंड सरकार बुजुर्गों और विधवाओं के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना चला रही है। इसका उद्देश्य जरूरतमंदों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है।
- पेंशन योजना: वृद्धा, विधवा और दिव्यांग व्यक्तियों को हर महीने आर्थिक सहायता दी जाती है।
- वास्तविकता: बहरागोड़ा जैसी जगहों पर लाभार्थी महीनों से पेंशन से वंचित हैं।
बैंक और प्रशासन की लापरवाही का शिकार वृद्धा
मिजो बागाल ने कहा कि हर बार बैंक में जाने पर कोई समाधान नहीं मिलता। स्थानीय अधिकारियों से शिकायत करने पर भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।
- बैंक का रवैया: बार-बार बैंक के चक्कर लगाने के बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई है।
- सरकार की भूमिका: वृद्धा ने सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया।
इतिहास में पेंशन योजनाओं का महत्व
भारत में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाएं कमजोर वर्गों की मदद के लिए शुरू की गई थीं। झारखंड में यह योजना बुजुर्गों और विधवाओं के लिए एक अहम सहारा है।
- पहली पहल: 1995 में राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत पेंशन योजनाएं शुरू की गई थीं।
- वर्तमान: झारखंड जैसे राज्यों में यह योजना जरूरतमंदों के जीवन का आधार है।
क्या कहती है सरकार?
झारखंड सरकार ने पेंशन वितरण में सुधार के दावे किए थे।
- डिजिटल भुगतान: पेंशन सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है।
- देरी का कारण: तकनीकी समस्याओं या प्रशासनिक खामियों को जिम्मेदार ठहराया जाता है।
समस्या का समाधान जरूरी
बहरागोड़ा की मिजो बागाल जैसे हजारों लाभार्थी सरकार और बैंक के बीच फंसे हुए हैं।
- जरूरत: प्रशासन को ऐसी समस्याओं को गंभीरता से लेकर समाधान करना चाहिए।
- प्रभाव: पेंशन योजना में सुधार न होने पर बुजुर्गों और विधवाओं का जीवन और कठिन हो सकता है।
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