Tania Sachdev Big Appeal: दिल्ली से शतरंज को पहचान की जरूरत, तानिया सचदेव ने सरकार से की बड़ी अपील
भारतीय महिला ग्रैंडमास्टर तानिया सचदेव ने दिल्ली सरकार से शतरंज खिलाड़ियों के लिए समर्थन और पहचान की मांग की। जानिए उनके अनुभव और भारतीय शतरंज की चुनौतियां।
भारतीय शतरंज को लेकर हाल ही में चर्चाएं तेज हो गई हैं। गुकेश डी की शानदार जीत ने देश में शतरंज को एक नई पहचान दी है। उन्होंने सिंगापुर में फिडे वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप में डिफेंडिंग चैंपियन डिंग लिरेन को हराकर अपनी पहचान बनाई। लेकिन, इस सफलता की चमक अभी बाकी भारतीय शतरंज खिलाड़ियों तक नहीं पहुंची है।
महिला ग्रैंडमास्टर और फिडे इंटरनेशनल मास्टर तानिया सचदेव, जो पिछले 15 वर्षों से भारतीय शतरंज का बड़ा नाम रही हैं, ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक भावुक अपील की। उन्होंने खासतौर पर दिल्ली सरकार से शतरंज खिलाड़ियों को पहचान और समर्थन देने की मांग की।
दिल्ली सरकार से नाराजगी
तानिया ने लिखा, “मैं 2008 से भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हूं। लेकिन यह देखकर दुख होता है कि दिल्ली सरकार शतरंज में उपलब्धियों को मान्यता नहीं देती। जो राज्य अपने खिलाड़ियों को पहचानते और प्रेरित करते हैं, वे उत्कृष्टता को बढ़ावा देते हैं। लेकिन, दिल्ली अभी तक यह कदम नहीं उठा पाई है।”
तानिया, जिन्होंने तीन बार कॉमनवेल्थ महिला शतरंज चैंपियनशिप जीती है और 2024 बुडापेस्ट ओलंपियाड में हिस्सा लिया, ने अपनी निराशा व्यक्त की। उन्होंने तमिलनाडु में गुकेश को मिली पहचान का जिक्र करते हुए इसे दिल्ली से तुलना की।
ओलंपियाड में ऐतिहासिक प्रदर्शन
तानिया ने 2022 शतरंज ओलंपियाड में भारत को ऐतिहासिक टीम ब्रॉन्ज और व्यक्तिगत पदक दिलाया। उन्होंने बताया कि 2024 में ओलंपियाड गोल्ड जीतने के बावजूद दिल्ली सरकार ने आज तक कोई पहचान या समर्थन नहीं दिया।
“2022 ओलंपियाड में, मैं ऐतिहासिक टीम ब्रॉन्ज और व्यक्तिगत पदक लेकर लौटी। दो साल बाद 2024 में, ऐतिहासिक ओलंपियाड गोल्ड जीता। लेकिन अब तक राज्य सरकार की ओर से कोई मान्यता नहीं मिली,” उन्होंने कहा।
तानिया ने ओलंपियाड की स्वर्ण पदक विजेता टीम में पांचवें बोर्ड पर खेला। इस टीम में हरिका द्रोणावली, दिव्या देशमुख, वैशाली रमेशबाबू, और वंतिका अग्रवाल शामिल थीं।
दिल्ली सरकार से सीधा सवाल
अपनी अपील में, तानिया ने दिल्ली की सत्तारूढ़ पार्टी आम आदमी पार्टी, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, और शिक्षा मंत्री अतिशी मार्लेना को टैग किया। उन्होंने लिखा, “दिल्ली और भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ी के तौर पर, मैं आशा करती हूं कि @AamAadmiParty @AtishiAAP मैम और @ArvindKejriwal सर हमारे शतरंज खिलाड़ियों को समर्थन देने का महत्व समझेंगे।”
भारतीय शतरंज का इतिहास और चुनौतियां
भारत में शतरंज का इतिहास हजारों साल पुराना है। इसे प्राचीन काल में चतुरंग के नाम से जाना जाता था। वर्तमान में, विश्वनाथन आनंद और अब गुकेश डी जैसे खिलाड़ियों ने इसे नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। लेकिन अन्य खिलाड़ियों को समान समर्थन और पहचान नहीं मिलने से वे पीछे रह जाते हैं।
तानिया की अपील ने इस चुनौती को उजागर किया है। जहां तमिलनाडु जैसे राज्य अपने खिलाड़ियों को सम्मान देते हैं, वहीं दिल्ली जैसे बड़े राज्य में यह कमी देखने को मिलती है।
आगे की राह
तानिया सचदेव की यह अपील न केवल दिल्ली सरकार के लिए एक संदेश है, बल्कि भारतीय शतरंज के लिए एक नई दिशा की मांग भी है। शतरंज खिलाड़ियों को समान पहचान और समर्थन देकर देश में इस खेल को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाया जा सकता है।
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