India Pollution Crisis: भारत की हवा में सुधार या खतरा बरकरार? जानिए 2024 की रिपोर्ट और प्रदूषण से बचने के उपाय!

2024 में भारत दुनिया का पांचवां सबसे प्रदूषित देश बना, लेकिन क्या वाकई हालात सुधर रहे हैं? दिल्ली समेत 6 शहर टॉप 10 में क्यों? जानिए पूरी रिपोर्ट!

Mar 11, 2025 - 15:11
 0
India Pollution Crisis: भारत की हवा में सुधार या खतरा बरकरार? जानिए 2024 की रिपोर्ट और प्रदूषण से बचने के उपाय!
India Pollution Crisis: भारत की हवा में सुधार या खतरा बरकरार? जानिए 2024 की रिपोर्ट और प्रदूषण से बचने के उपाय!

भारत में प्रदूषण की स्थिति को लेकर एक नई रिपोर्ट सामने आई है, जिसने कुछ राहत भरी तो कुछ चिंता बढ़ाने वाली बातें सामने रखी हैं। 2024 में भारत दुनिया का पांचवां सबसे प्रदूषित देश बना है, जबकि 2023 में यह तीसरे स्थान पर था। यानी वायु प्रदूषण में थोड़ा सुधार जरूर हुआ है, लेकिन क्या यह पर्याप्त है? इस साल PM 2.5 का स्तर 7% कम हुआ है, लेकिन अभी भी स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है।

2024 में भारत में PM 2.5 का औसत स्तर 50.6 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया, जो 2023 के 54.4 माइक्रोग्राम से कम है। हालांकि, दुनिया के टॉप 10 सबसे प्रदूषित शहरों में 6 भारत के ही हैं। दिल्ली की स्थिति अब भी भयावह बनी हुई है, जहां PM 2.5 का सालाना औसत 91.6 माइक्रोग्राम रहा, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक स्तर पर है।

दुनिया का सबसे साफ क्षेत्र कौन सा है?

जहां भारत और कई अन्य देशों में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है, वहीं एक ऐसा क्षेत्र भी है जहां हवा सबसे साफ है। ओशिनिया 2024 में दुनिया का सबसे स्वच्छ क्षेत्र बना। इस क्षेत्र के 57% शहर WHO के वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा करते हैं।

ओशिनिया में शामिल देश - ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिजी, पापुआ न्यू गिनी, नौरू, किरिबाती, माइक्रोनेशिया और मार्शल आइलैंड्स जैसी 14 जगहें प्रदूषण के मामले में सबसे बेहतर स्थिति में हैं। लेकिन सवाल उठता है कि भारत इनसे क्या सीख सकता है?

भारत के शहर क्यों हैं सबसे प्रदूषित?

भारत में 35% शहरों में PM 2.5 का स्तर WHO के तय मानकों से 10 गुना ज्यादा है। यानी, यहां की हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि लोगों की औसत उम्र 5.2 साल कम हो रही है।

इतिहास पर नजर डालें तो 2009 से 2019 के बीच हर साल लगभग 15 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण हुई। यह आंकड़ा बताता है कि भले ही हालात में सुधार हो रहा हो, लेकिन समस्या अब भी विकराल बनी हुई है।

PM 2.5 क्या है और यह कितना खतरनाक है?

PM 2.5 सूक्ष्म प्रदूषण कण होते हैं, जिनका आकार 2.5 माइक्रॉन से भी छोटा होता है। यह इतने महीन होते हैं कि सांस के जरिए फेफड़ों और रक्त प्रवाह में आसानी से प्रवेश कर जाते हैं।

 इनका मुख्य स्रोत -
 वाहनों से निकलने वाला धुआं
 औद्योगिक उत्सर्जन
 लकड़ी और फसल जलाने से निकलने वाला धुआं

इन कणों के कारण सांस की बीमारियां, फेफड़ों का कैंसर, हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। दिल्ली जैसे शहरों में यह समस्या और गंभीर हो जाती है, जहां सर्दियों में हवा की गुणवत्ता और भी गिर जाती है।

क्या भारत इस संकट से उबर सकता है?

हालांकि भारत में प्रदूषण को कम करने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस दिशा में और अधिक सख्त कदम उठाने की जरूरत है।

क्या किया जा सकता है?
वाहनों का उपयोग कम करना: सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना
हरियाली बढ़ाना: ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना
उद्योगों में सख्त नियम: उत्सर्जन मानकों को कड़ाई से लागू करना
पराली जलाने पर नियंत्रण: किसानों को वैकल्पिक समाधान देना

सरकार कई प्रयास कर रही है, जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना, उद्योगों पर सख्त नियंत्रण और पराली जलाने के खिलाफ सख्त नियम लागू करना। लेकिन क्या यह पर्याप्त है? यह बड़ा सवाल है!

भारत को अभी लंबा सफर तय करना है!

भारत में प्रदूषण के आंकड़ों में थोड़ा सुधार जरूर हुआ है, लेकिन यह समस्या के हल होने का संकेत नहीं है। दुनिया के सबसे प्रदूषित 10 शहरों में से 6 भारत के हैं, जो यह बताता है कि हमें और भी सख्त कदम उठाने की जरूरत है।

भारत को अगर वाकई स्वच्छ हवा की तरफ बढ़ना है, तो उसे ओशिनिया जैसे देशों से सीखना होगा। अन्यथा, प्रदूषण का यह संकट हर साल लाखों लोगों की जान लेता रहेगा!

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।