Bihar Reality: Startups का बुरा हाल, CEO की सोशल मीडिया पुकार से हिली सरकार!
बिहार में स्टार्टअप्स की हालत खराब! एक CEO की सोशल मीडिया पोस्ट से सरकार जागी, क्या सुधरेगी हालात? पढ़ें पूरी खबर।

बिहार... जहां राजनीति और UPSC टॉपर्स की भरमार है, जहां भगवान बुद्ध की कर्मभूमि है, जहां प्राचीन नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों का गौरवशाली इतिहास है। लेकिन क्या आज भी यह राज्य विकास की दौड़ में पीछे है?
हाल ही में 2024 UPSC परीक्षा के टॉप 200 में बिहार के 25 छात्र शामिल हुए, लेकिन राज्य की बुनियादी सुविधाओं की हालत क्या दर्शाती है? क्या यह सिर्फ संयोग है कि एक CEO को ट्विटर पर शिकायत करनी पड़ी, या यह बिहार की हकीकत है?
सिर्फ एक ट्वीट या कड़वी सच्चाई?
सुरेश सेमिकॉन के संस्थापक चंदन राज ने बिहार की जर्जर सड़कों, ड्रेनेज और लाइट जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी पर सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई। उन्होंने स्वीकार किया कि बिहार में स्टार्टअप शुरू करना उनकी सबसे बड़ी गलती थी। उनका ट्वीट वायरल हुआ और प्रशासन हरकत में आया।
लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या बिहार में अब भी आधारभूत संरचनाओं के लिए सोशल मीडिया पर आवाज उठानी पड़ेगी? यह मामला सरकार की जवाबदेही पर सवाल खड़े करता है। बिहार के उद्योग मंत्री नितीश मिश्रा लगातार यह कहते रहे हैं कि सरकार राज्य में निवेश के अनुकूल माहौल बना रही है, लेकिन आंकड़े क्या कहते हैं?
विकास की हकीकत या केवल भ्रम?
बिहार की स्थिति को आंकड़ों से समझें तो राज्य की आर्थिक तस्वीर इतनी उजली नहीं दिखती।
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बिहार की GDP में देश का योगदान मात्र 3% है।
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2021 के Human Development Index (HDI) में बिहार सबसे निचले पायदान पर था।
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बिहार के 15,000 से अधिक सरकारी स्कूलों में अभी भी डेस्क-बेंच नहीं हैं।
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2024 में राज्य के 12 पुल गिर चुके हैं।
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2020 की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में बिहार 26वें स्थान पर था।
साल 2011 की जनगणना के अनुसार, 7 लाख से अधिक लोग बिहार से रोजगार के लिए पलायन कर चुके थे। क्या यह आंकड़े बिहार की प्रगति को दर्शाते हैं?
बिहार में अपराध और राजनीति का खेल
2024 के आम चुनाव में बिहार से चुने गए 40 सांसदों में से 21 (53%) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 19 (48%) पर गंभीर अपराधों के आरोप हैं। वहीं, 68% विधायकों पर भी आपराधिक मामले हैं। इससे राज्य में कानून व्यवस्था और गुंडागर्दी की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
बदलते बिहार की नई तस्वीर?
बिहार में 2019-2023 के बीच गरीबी दर 7% घटी है। 2004-2019 के बीच अपराधों में सुधार देखने को मिला:
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बलात्कार के मामलों में 47% की कमी।
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डकैती के मामलों में 70% की कमी।
लेकिन क्या यह बदलाव बिहार के प्रति बनी धारणा को तोड़ सकता है? राज्य में अब भी उद्योगों और नौकरियों की भारी कमी बनी हुई है। 2023 में बिहार की बेरोजगारी दर 3.9% थी, जो राष्ट्रीय औसत 3.2% से अधिक थी।
स्टार्टअप और औद्योगिक क्रांति का सपना?
बिहार सरकार स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाएं बना रही है:
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बिहार स्टार्टअप पॉलिसी 2022 के तहत स्टार्टअप्स को ₹10 लाख तक का ब्याज मुक्त लोन।
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महिलाओं और SC/ST उद्यमियों को अतिरिक्त सब्सिडी।
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शार्क टैंक इंडिया में बिहार के स्टार्टअप्स की भागीदारी।
लेकिन निवेशकों का बिहार से परहेज बरकरार है। RodBez के संस्थापक दिलखुश कुमार ने बताया कि उन्हें निवेशकों ने साफ कहा – "आपका आइडिया अच्छा है, लेकिन बिहार से बाहर आएं, तभी फंड मिलेगा।"
क्या बिहार बदल सकता है?
सरकार 2023 में ₹50,530 करोड़ के एमओयू पर हस्ताक्षर कर चुकी है। Britannia, PepsiCo, Tata Group और Medanta जैसे बड़े ब्रांड बिहार में निवेश कर रहे हैं। लेकिन क्या यह पर्याप्त है?
बिहार का इतिहास गौरवशाली रहा है, लेकिन वर्तमान संघर्षरत है। अगर राज्य अपनी बुनियादी समस्याओं पर ध्यान नहीं देगा, तो क्या निवेश, स्टार्टअप्स और औद्योगिकीकरण केवल कागज़ों तक सीमित रह जाएंगे?
बिहार को बुनियादी संरचना, निवेश और रोजगार पर गंभीरता से काम करना होगा। सोशल मीडिया पर शिकायत करने से पहले सरकार को समस्याओं का हल निकालना होगा। वरना बिहार का सुनहरा इतिहास, सिर्फ इतिहास बनकर रह जाएगा!
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