Nawada candle march: प्राइवेट स्कूल संचालकों ने कैंडल मार्च निकालकर सरकार के खिलाफ जताया विरोध, जानिए क्या है पूरा मामला
नवादा में प्राइवेट स्कूल संचालकों ने कैंडल मार्च निकालकर सरकार से प्रतिपूर्ति राशि की मांग की। छह साल से लंबित शिक्षा शुल्क के भुगतान को लेकर स्कूल संचालकों का विरोध, जानिए इस विवाद की पूरी कहानी।
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नवादा में प्राइवेट स्कूल संचालकों ने सोमवार, 23 दिसंबर की शाम को एक कैंडल मार्च निकाला, जिससे उनका विरोध बिहार सरकार द्वारा शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत दी जाने वाली प्रतिपूर्ति राशि के भुगतान में देरी को लेकर सामने आया। इस मार्च में भाग लेने वाले स्कूल संचालकों ने सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया और अपनी मांगों को लेकर अधिकारियों के सामने आवाज उठाई।
कैंडल मार्च: विरोध का नया तरीका
नवादा नगर के प्रमुख सड़कों पर यह कैंडल मार्च निकाला गया था, जिसमें जिले भर के प्राइवेट स्कूल संचालकों ने एकजुट होकर सरकार से उचित कार्रवाई की मांग की। यह कदम उन स्कूल संचालकों द्वारा उठाया गया, जिनका कहना था कि सरकार ने पिछले छह सालों से उन्हें आरटीई के तहत पात्र बच्चों की शिक्षा के लिए प्रतिपूर्ति राशि का भुगतान नहीं किया है। इससे न केवल स्कूलों की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ा है, बल्कि बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है।
आरटीई अधिनियम और सरकारी प्रतिबद्धता
आरटीई अधिनियम 2011 में केंद्र सरकार द्वारा लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य गरीब बच्चों को मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना था। बिहार सरकार ने इस अधिनियम को राज्य में लागू किया और प्राइवेट स्कूलों में 25% गरीब बच्चों का नामांकन सुनिश्चित करने का आदेश दिया। इसके तहत, प्राइवेट स्कूलों को इन बच्चों से कोई शुल्क नहीं लेना था, और उनकी शिक्षा के लिए सरकार को प्रतिपूर्ति राशि देनी थी।
हालांकि, स्कूल संचालकों का कहना है कि यह प्रतिपूर्ति राशि पिछले छह सालों से सरकार द्वारा नहीं दी गई है, जिससे वे वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं। इस मुद्दे पर उन्होंने पहले काला बिल्ला लगाकर विरोध जताया था, और अब कैंडल मार्च के माध्यम से अपने विरोध को और मुखर किया है।
सरकार से निराश स्कूल संचालक
नवादा में प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष ने बताया कि उन्होंने इस मुद्दे को लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिलाधिकारी, शिक्षा सचिव, मुख्य सचिव, शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री बिहार सरकार को कई बार पत्र लिखा है, लेकिन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। स्कूल संचालकों का कहना है कि यदि सरकार ने जल्द ही उनकी मांगों को नहीं माना, तो वे 8 जनवरी 2025 को बड़ा धरना आयोजित करेंगे।
शिष्टमंडल ने अपर समाहर्ता से की मुलाकात
कैंडल मार्च के बाद, स्कूल संचालकों का एक शिष्टमंडल अपर समाहर्ता चंद्रशेखर आजाद से मिला और अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा। उन्होंने सरकार से यह मांग की कि जल्द से जल्द प्रतिपूर्ति राशि का भुगतान किया जाए, ताकि स्कूलों की वित्तीय स्थिति में सुधार हो सके और बच्चों को बेहतर शिक्षा दी जा सके।
क्यों अहम है यह मुद्दा?
यह मामला सिर्फ स्कूल संचालकों के लिए ही नहीं, बल्कि उन बच्चों के भविष्य के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है, जो आरटीई के तहत निःशुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यदि सरकार ने इस मामले में जल्द कदम नहीं उठाए, तो न केवल स्कूलों को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, बल्कि बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हो सकती है।
आखिरकार क्या होगा समाधान?
नवादा के स्कूल संचालकों ने स्पष्ट रूप से सरकार से अनुरोध किया है कि वह इस लंबित भुगतान को शीघ्र पूरा करे। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की जाती हैं, तो वे 8 जनवरी 2025 को धरना देंगे। अब देखना यह होगा कि सरकार इस मामले पर किस प्रकार की कार्रवाई करती है, और क्या स्कूल संचालकों की मांगें पूरी होती हैं।
नवादा में प्राइवेट स्कूल संचालकों द्वारा निकाला गया कैंडल मार्च न केवल एक विरोध का प्रतीक है, बल्कि यह सरकारी नीतियों और शिक्षा के अधिकार को लेकर एक महत्वपूर्ण सवाल भी उठाता है। यदि सरकार जल्द ही इस मुद्दे का समाधान नहीं करती है, तो यह मामला बड़े विरोध प्रदर्शनों का रूप ले सकता है, जो ना केवल स्कूल संचालकों, बल्कि छात्रों और शिक्षा प्रणाली को भी प्रभावित करेगा।
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