Garhwa: छात्रा ने फिनाइल पीकर किया आत्महत्या का प्रयास, अस्पताल में इलाज जारी
गढ़वा के कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय की 14 वर्षीय छात्रा ने फिनाइल पीकर आत्महत्या का प्रयास किया। जानें पूरी घटना और अस्पताल में उपचार की स्थिति।
गढ़वा जिले के मेराल प्रखंड स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में शुक्रवार को एक गंभीर घटना घटी। 10वीं कक्षा की 14 वर्षीय छात्रा ने आत्महत्या का प्रयास करते हुए फिनाइल पी लिया। इस घटना से विद्यालय और इलाके में हड़कंप मच गया। छात्रा को तत्क्षण सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है।
घटना की पूरी जानकारी
सूत्रों के अनुसार, यह घटना सुबह करीब 10 बजे हुई। छात्रा ने हास्टल में रहते हुए अपने कमरे में फिनाइल पी लिया। जब अन्य छात्राओं ने उसे इस हालत में देखा, तो उन्होंने तत्काल वार्डन सुधा कुमारी को सूचित किया। इसके बाद, छात्रा को सीएचसी मेराल ले जाया गया, जहां उसकी स्थिति को गंभीर देखते हुए चिकित्सकों ने उसे सदर अस्पताल रेफर कर दिया।
अस्पताल में हंगामा और विवाद
सदर अस्पताल में छात्रा का प्राथमिक उपचार किया गया। लेकिन, कुछ ही समय बाद अस्पताल में उसकी स्थिति को लेकर एक विवाद उठ गया। छात्रा की मां को अस्पताल बुलाया गया, और वार्डन व गार्ड ने उसे स्कूल रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने का दबाव डाला ताकि वह घर जा सके। छात्रा ने घर जाने से मना कर दिया और कहा कि वह विद्यालय लौटना चाहती है।
अस्पताल में छात्रा की तबीयत बिगड़ने के बाद और उल्टी कराए जाने की प्रक्रिया के कारण वह कांप रही थी और रो रही थी। इसके चलते अस्पताल में भीड़ जुट गई। अस्पताल कर्मियों ने फिर से वार्डन को छात्रा को भर्ती करने की सलाह दी।
समस्या की जड़ और चेतावनी
इस घटना ने विद्यालय प्रबंधन और प्रशासन को एक बार फिर से छात्राओं के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की याद दिलाई है। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय जैसी संस्थाओं में जहां बच्चियों का रहन-सहन और पढ़ाई पर ध्यान दिया जाता है, वहाँ उनके मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
पारिवारिक दृष्टिकोण और घटनाएं
यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि किशोरावस्था में मानसिक तनाव और अकेलापन अक्सर आत्महत्या के प्रयासों को जन्म दे सकता है। इसी तरह की घटनाओं ने समाज और प्रशासन को बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता को समझाया है।
आगे की कार्यवाही
इस घटना के बाद प्रशासन ने वार्डन और विद्यालय प्रबंधन से जवाब-तलब किया है। घटनास्थल पर छात्रा की हालत को लेकर कई बार फोन किया गया, लेकिन वार्डन ने इसका जवाब नहीं दिया। अब, प्रशासन ने फैसला लिया है कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
अंतिम विचार
इस घटना ने एक बार फिर यह दिखाया कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर ध्यान देने की आवश्यकता है। विद्यालयों में शिक्षकों और प्रबंधन को छात्रों की भावनात्मक और मानसिक भलाई के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाए ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति से बचा जा सके।
आपका योगदान:
यदि आप या आपके आसपास कोई भी मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्या महसूस कर रहे हैं, तो सही समय पर मदद लें। समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए बच्चों और किशोरों के साथ बातचीत और समर्थन आवश्यक है।
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