Giridih Suicide: फाइनेंस कंपनी की प्रताड़ना से तंग आकर महिला ने उठाया जानलेवा कदम, बच्चों का बुरा हाल

झारखंड के गिरिडीह जिले में एक महिला ने फाइनेंस कंपनी की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली। जानें इस दिल दहला देने वाली घटना के बारे में और समाज की जिम्मेदारी के बारे में।

Dec 24, 2024 - 11:23
 0
Giridih Suicide: फाइनेंस कंपनी की प्रताड़ना से तंग आकर महिला ने उठाया जानलेवा कदम, बच्चों का बुरा हाल
Giridih News: फाइनेंस कंपनी की प्रताड़ना से तंग आकर महिला ने उठाया जानलेवा कदम, बच्चों का बुरा हाल

झारखंड के गिरिडीह जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक महिला ने फाइनेंस कंपनी की ओर से हो रही प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली। इस घटना ने न केवल परिवार को गहरे दुख में डुबो दिया, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या फाइनेंस कंपनियों द्वारा अपनी वसूली की प्रक्रियाओं के दौरान मानवीय पक्ष को भी ध्यान में रखा जाता है।

क्या था पूरा मामला?

गिरिडीह जिले के तिसरी थाना क्षेत्र के भुराय गांव की निवासी 30 वर्षीय सुलेखा देवी ने अपनी जान फांसी के फंदे से लटकाकर ले ली। सुलेखा देवी के पति अमरजीत शर्मा पुणे में मजदूरी करते हैं, और कुछ समय पहले सुलेखा देवी ने एक माइक्रो फाइनेंस कंपनी से कुछ हजार रुपये का लोन लिया था।

फाइनेंस कंपनी के अधिकारियों और कर्मियों द्वारा लोन की राशि की समय पर अदायगी न होने पर सुलेखा देवी को लगातार परेशान किया जा रहा था। इसके बावजूद, सुलेखा देवी बार-बार यह वादा करती रही कि जैसे ही उसे पैसे मिलेंगे, वह पूरी राशि चुका देगी। लेकिन कंपनी के कर्मियों ने उसकी एक नहीं सुनी और उसे लगातार परेशान किया।

महिला की परेशानियों का बढ़ता दौर

सोमवार को भी फाइनेंस कंपनी के कर्मियों ने सुलेखा देवी के घर जाकर उन्हें अपशब्द कहे और फिर से कर्ज की मांग की। सुलेखा देवी यह सब बर्दाश्त नहीं कर पाई। इस दौरान उसके बच्चे भी घर पर मौजूद थे, जो इस तनावपूर्ण माहौल को महसूस कर रहे थे।

कंपनी के कर्मियों के जाने के बाद सुलेखा देवी ने घर का दरवाजा बंद किया और फांसी के फंदे से लटक कर आत्महत्या कर ली। उसके बाद घर में अफरा-तफरी मच गई, और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। इस घटना के बाद गांव वालों ने इसकी सूचना तिसरी पुलिस को दी। पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए गिरिडीह भेज दिया।

मृतका के परिवार की हालत

सुलेखा देवी की आत्महत्या ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया है। खासकर उनके बच्चों की स्थिति काफी नाजुक है, जो इस हादसे के बाद गहरे मानसिक आघात का सामना कर रहे हैं। सुलेखा देवी के परिजनों का कहना है कि वह हमेशा अपने बच्चों के लिए काम करती रही, लेकिन फाइनेंस कंपनी की अव्यवस्थित वसूली प्रक्रिया ने उसे मानसिक रूप से बहुत परेशान किया था।

परिवार और समाज का यह कर्तव्य बनता है कि मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लिया जाए, क्योंकि आर्थिक तनाव और मानसिक दबाव कभी-कभी किसी व्यक्ति को आत्महत्या जैसे खतरनाक कदम उठाने पर मजबूर कर सकते हैं।

फाइनेंस कंपनियों की वसूली प्रक्रिया पर सवाल

यह घटना फाइनेंस कंपनियों द्वारा अपनाई जाने वाली वसूली प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाती है। क्या वसूली के दौरान मानवीय पहलुओं का ख्याल रखा जाता है? क्या कंपनियों को यह समझना चाहिए कि उनकी कार्रवाई एक परिवार की मानसिक स्थिति पर गहरा असर डाल सकती है?

फाइनेंस कंपनियों को अपनी वसूली की प्रक्रिया को संवेदनशील और मानवीय दृष्टिकोण से पुनः मूल्यांकन करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

समाज और सरकार की जिम्मेदारी

समाज और सरकार का यह कर्तव्य है कि वे मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं को समझें और लोगों को इस पर खुलकर बात करने के लिए प्रेरित करें। इस दुखद घटना से यह संदेश मिलता है कि जब तक मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं दी जाती, तब तक ऐसी घटनाएं घटती रहेंगी।

हम सभी को इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने होंगे, ताकि समाज में व्याप्त आर्थिक और मानसिक तनाव को कम किया जा सके और परिवारों के बीच सहयोग और समझ बढ़े।

गिरिडीह जिले की यह घटना न केवल एक परिवार के लिए अपूरणीय क्षति लेकर आई है, बल्कि यह हमें यह भी बताती है कि मानसिक तनाव और आर्थिक परेशानियां एक व्यक्ति के जीवन को इस हद तक प्रभावित कर सकती हैं। यह समय है जब हमें मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में जागरूकता फैलाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow