ग़ज़ल - 1 - रियाज खान गौहर भिलाई

Jul 30, 2024 - 13:29
Aug 1, 2024 - 11:37
ग़ज़ल - 1 - रियाज खान गौहर भिलाई
बागबेड़ा नया बस्ती में स्लुइस गेट खुलने से निवासियों ने ली राहत की सांस

ग़ज़ल 

पहले अपनी तरफ वो लुभाने लगे 
और फिर हम पे ऐहशाँ जताने लगे 

आज उल्टी वो गंगा बहाने लगे 
फैसला कल के मुजरिम सुनाने लगे 

देखकर कोई पहचान लेगा उन्हें
लोग कपड़े से चेहरा छुपाने लगे 

मैं नही जानता बात क्या हो गई 
वो मुझे देख क्यों मुस्कुराने लगे 

दौर जब भी इलेक्शन का आया कभी 
हमसे नज़दीकियाँ वो बढ़ाने लगे 

इसमे कोई खराबी नही है जनाब 
ऐब अपना जो खुद ही बताने लगे 

शाजिशें तेज़ फिर उनकी होने लगी 
हमको आपस में कैसे लड़ाने लगे 

क्या पता कौन सी बात उनको लगी 
सिलसिलेवार मुझको सताने लगे 

चीर कर सीना गौहर दिखा दे तो क्या 
फिर भी उनको हमेशा बहाने लगे 

गज़लकार 
रियाज खान गौहर भिलाई

Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।