Dhanbad Shock: 40 लाख की डायबिटीज और हाइपरटेंशन की दवा खत्म, विभाग को नहीं पता किन मरीजों को दी गई

धनबाद में 40 लाख रुपये की डायबिटीज और हाइपरटेंशन की दवा खत्म, लेकिन विभाग को नहीं पता किसे दी गई। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर सवाल।

Dec 11, 2024 - 11:48
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Dhanbad Shock: 40 लाख की डायबिटीज और हाइपरटेंशन की दवा खत्म, विभाग को नहीं पता किन मरीजों को दी गई
Dhanbad Shock: 40 लाख की डायबिटीज और हाइपरटेंशन की दवा खत्म, विभाग को नहीं पता किन मरीजों को दी गई

धनबाद। झारखंड के धनबाद जिले में स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में, जिले में डायबिटीज और हाइपरटेंशन के मरीजों के लिए लगभग 40 लाख रुपये की दवा खरीदी गई थी। हैरानी की बात यह है कि अब विभाग को यह तक नहीं पता कि ये दवाएं किन-किन मरीजों को दी गई हैं। यह मामला हाल ही में रांची में आयोजित स्वास्थ्य मुख्यालय की समीक्षा बैठक में सामने आया, जिससे विभाग की गड़बड़ियों की गंभीरता उजागर हुई है।

खर्च की गई दवा का रहस्य

स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, डायबिटीज और हाइपरटेंशन की दवा अब खत्म हो चुकी है। लेकिन विभाग में यह जानकारी नहीं है कि इन दवाओं का वितरण किस-किस मरीज को किया गया। नियमों के अनुसार, मरीजों को दवा देने के बाद उनकी जानकारी ऑनलाइन एनसीडी (नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज) पोर्टल पर दर्ज करनी होती है, ताकि भविष्य में उनके इलाज की स्थिति का मूल्यांकन किया जा सके। लेकिन धनबाद में इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

समीक्षा बैठक में हुआ खुलासा

हाल ही में रांची में हुई समीक्षा बैठक में यह बात सामने आई कि जिला स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में डायबिटीज और हाइपरटेंशन की दवा खत्म हो गई है, और विभाग को यह जानकारी नहीं है कि दवा का वितरण कहां हुआ। स्वास्थ्य मुख्यालय ने इस मामले की जांच का आदेश दिया है और जिला एनसीडी विभाग को यह पता लगाने की जिम्मेदारी सौंपी है कि दवाएं किन-किन मरीजों को दी गई थीं।

क्या है नियम और प्रक्रिया?

जिले और राज्य में डायबिटीज और हाइपरटेंशन के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिसके चलते स्वास्थ्य चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग ने प्रत्येक जिले को वार्षिक लक्ष्य दिया है। इसके तहत, धनबाद जिले के स्वास्थ्य केंद्रों को क्षेत्रीय निवासियों की नियमित जांच करनी होती है और उन्हें दवा प्रदान करनी होती है। दवा दिए जाने के बाद उसकी ऑनलाइन इंट्री एनसीडी पोर्टल पर करनी होती है।

विभाग का कहना क्या है?

इस मामले में सिविल सर्जन डॉ. चंद्रभानु प्रतापन ने कहा कि जांच की जा रही है और जल्द ही यह पता चलेगा कि दवा की इंट्री क्यों नहीं हुई। उन्होंने यह भी कहा कि विभाग नियमों के अनुसार मरीजों को दी गई दवाओं की जानकारी दर्ज करने के लिए गंभीर है और जल्द ही इस मामले में कोई ठोस कदम उठाया जाएगा।

स्वास्थ्य विभाग की छवि पर सवाल

इस घटना से यह सवाल उठता है कि क्या स्वास्थ्य विभाग मरीजों के इलाज और दवा वितरण में पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में काम कर रहा है? यदि विभाग ने दवा के वितरण और रिकॉर्ड को लेकर उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया, तो यह गंभीर चिंता का विषय है।

नतीजा क्या हो सकता है?

डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों के लिए समय पर इलाज और दवा की सही जानकारी महत्वपूर्ण है। इस मामले में विभाग की लापरवाही से न केवल मरीजों को असमय कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी सवाल उठ सकते हैं।

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